नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोनावायरस को लेकर एक बार फिर डब्ल्यूएचओ पर हमला बोला है. अपने चार पन्नों की चिट्ठी में उन्होंने सिलसिलेवार विश्व स्वास्थ्य संगठन के आचरण पर सवाल उठाए हैं और उस पर चीन के इशारों पर काम करते हुए दुनिया को इस संक्रमण के खतरे को कम आंक कर बताने का आरोप लगाया है.
ट्रंप ने यह पत्र सोमवार रात को ट्वीट किया है.
इससे पहले 14 अप्रैल 2020 को ट्रंप प्रशासन ने फैसला लिया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमरीकी फंडिंग रोक जी जाये क्योंकि संगठन चीन के इशारों पर काम कर रहा था और उसने कोविड 19 की गंभीरता को छुपा के रखा. ट्रंप का कहना था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन मे वुहान में दिसम्बर 2019 में फैंले कोविड को गंभीरता से नहीं लिया, लैंसेट जैसे मेडिकल जर्नल्स की चेतावनी को नज़रअंदाज़ किया.
This is the letter sent to Dr. Tedros of the World Health Organization. It is self-explanatory! pic.twitter.com/pF2kzPUpDv
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) May 19, 2020
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस को लिखे चार पन्नों के पत्र में ट्रंप ने कहा, ‘यह साफ है कि आपने और आपके संगठन ने महामारी से निपटने में बार-बार गलत कदम उठाए हैं जो दुनिया को बहुत महंगे पड़े हैं. डब्ल्यूएचओ के सामने सिर्फ यह रास्ता रहता है कि क्या वह असल में दिखा सकता है कि वह चीन से प्रभावित नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘मेरे प्रशासन ने आपसे इस बात पर पहले ही चर्चा शुरू कर दी है कि संगठन में सुधार कैसे हों. लेकिन तेजी से कार्रवाई की जरूरत है. हमारे पास ज़ाया करने के लिए वक्त नहीं है.’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर मेरा फर्ज है कि आपको सूचित करुं कि अगर डब्ल्यूएचओ अगले 30 दिन में बड़े मूल सुधारों के लिए प्रतिबद्ध नहीं होता है तो डब्ल्यूएचओ को स्थायी रूप से रोकी गई अमेरिकी आर्थिक सहायता को मैं स्थायी रूप से रोक दूंगा और संगठन में अमेरिका की सदस्यता के बारे में फिर से सोचूंगा.’
ट्रंप ने कहा, ‘मैं अमेरिकी करदाताओं के डॉलर को उस संगठन को देने की इजाजत नहीं दे सकता हूं, जो अपनी मौजूदा स्थिति में साफ तौर पर अमेरिकी हितों की सेवा नहीं कर रहा है.’
ट्रंप ने 18 मई को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि डब्ल्यूएचओ वायरस की उत्पत्ति की स्वतंत्र जांच की अनुमति देने के लिए चीन से सार्वजनिक रूप से अपील करने में नाकाम रहा है, बावजूद इसके कि उसकी अपनी आपात समिति ने इसका समर्थन किया है.
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने गोपनीयता और छुपाने के आरोपों को सोमवार को खारिज कर दिया और कहा कि ‘हमने पारदर्शिता और जिम्मेदारी से काम किया. हमने समय से डब्ल्यूएचओ और प्रासंगिक देशों को जानकारी दे दी थी.’
ट्रंप ने चीन पर बीमारी को छुपाने का आरोप लगाया है जबकि ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ ने चीन से वायरस की उत्पत्ति की स्वतंत्र जांच समेत कोविड-19 को नियंत्रण करने की कोशिशों में पारदर्शिता की मांग की है.
पत्र में ट्रंप के तमाम तथ्यात्मक आरोपों में से कुछ इस तरह हैं-
– उन्होंने पत्र में आरोप लगाया है कि डब्ल्यूएचओ ने वुहान में दिसंबर या उससे पहले फैले वायरस को लेकर लगातार लैंसेट के मेडिकल जर्नल सहित तमाम विश्वसनीय रिपोर्टों को नजरंदाज किया. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन सरकार से सीधे टकराव के नाते इसकी स्वंत्रत जांच कराने में नाकाम रहा, यहां तक कि वुहान के भीतर आने वाली रिपोर्ट पर भी.
– बाद में 30, दिसंबर 2019 में बीजिंग स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यालय को वुहान में ‘भारी स्वस्थ्य संकट’ का पता चला. 26 से 30 दिसंबर के बीच चीन की मीडिया ने वहां की जेनॉमिक्स कंपनियों को भेजे मरीजों के आंकडे़ के आधार पर इस तथ्य को सामने लाया गया कि वुहान से नया वायरस उभरा है. साथ ही इस दौरान हुवेई प्रॉविंसियल हॉस्पिटल ऑफ इंटीग्रेटेड चाइनीज एंड वेस्टर्न मेडिसिन के डॉ. झांग जिग्यिन ने चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों को बताया कि एक नया कोरोनावायरस एक नॉवल बीमारी फैला रहा है, इस समय तक लगभग 180 मरीज हो चुके थे.
– अगले दिन ताइवानीज अधिकारियों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इंसान से इंसान में फैलने वाले एक नये वायरस की जानकारी दी. अभी तक डब्ल्यूएचओ ने इस गंभीर जानकारी को दुनिया को बताना जरूरी नहीं समझा था, संभव है कि इसके पीछे राजनीतिक वजहें रही हों.
– अंतर्राष्ट्रीय नियमों के मुताबिक देशों को स्वास्थ्य आपदा की जानकारी 24 घंटे के अंदर देनी होती है. लेकिन चीन ने डब्ल्यूएचओ को 31 दिसंबर, 2019 तक वुहान में अज्ञात निमोनिया की जानकारी नहीं दी इसकी जानकारी नहीं दी जबकि इन मामलों की जानकारी कई दिनों या सप्ताह भर पहले जानता था.
– शंघाई पब्लिक हेल्थ क्लीनिक सेंटर के डॉ. झंग यांगझेन के मुताबिक, उन्होंने 5 जनवरी, 2020 को चाइनीज अधिकारियों को बताया कि उन्होंने वायरस के जीनोम को अनुक्रम पता कर लिया था, इसकी जानकारी 6 दिन बाद 11 जनवरी, 2020 तक भी प्रकाशित नहीं की गई, उन्होंने खुद इसे ऑनलाइन पोस्ट किया. अगले दिन चाइनीज अधिकारियों ने उनके लैब को ‘रेक्टिफिकेशन’ के नाम पर बंद कर दिया. डब्ल्यूएचओ ने डॉ. झांग की पोस्ट को बड़ी ‘पारदर्शिता’ कहते हुए संज्ञान लिया. लेकिन 6 दिन तक वह इस पर चुप्पी साधे रहा.
– डब्ल्यूएचओ बार-बार कोरोनावायरस जानकारी को लेकर भ्रमित करता रहा.