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Thursday, 25 April, 2024
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हवाई में क्वाड सहयोगियों US, जापान, ऑस्ट्रेलिया ने चीन, रूस को सुनाई खरी-खोटी, भारत के रुख पर नजरें

अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया लगातार खुले तौर पर चीन और रूस की आलोचना करते रहे हैं लेकिन उन्होंने क्वाड में ऐसा करने से परहेज किया है जिसमें भारत भी एक सदस्य है.

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नई दिल्ली: अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने इस सप्ताहांत हवाई में एक बैठक के दौरान चीन और रूस के खिलाफ कड़ी बयानबाजी की, जो क्वाड की अगली बैठक की दिशा निर्धारित करने में काफी अहम साबित हो सकती है. हालांकि, बीजिंग के पड़ोसी देश और मास्को के रणनीतिक साझीदार भारत ने ऐसे बहुपक्षीय मंचों पर सार्वजनिक तौर पर उनकी आलोचना से हमेशा परहेज किया है.

त्रिपक्षीय रक्षा मंत्रियों की बैठक (टीडीएमएम) के तहत शनिवार को हवाई में यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड मुख्यालय में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड जे. ऑस्टिन ने ऑस्ट्रेलिया के उपप्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस और जापानी रक्षा मंत्री यासुकाज़ु हमदा की मेजबानी की.

टीडीएमएम की पिछली बैठक गत जून में सिंगापुर में हुई थी और इस बार मीटिंग ऐसे समय हुई है जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पैसिफिक आइलैंड्स फोरम के लिए पैसिफिक पार्टनरशिप स्ट्रैटजी जारी की है. इसमें कहा गया है कि ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की तरफ से दबाव और आर्थिक जबरदस्ती’ ही ‘इस क्षेत्र की शांति, समृद्धि और सुरक्षा घटाने और अमेरिका के विस्तार’ की वजह है.

हवाई में आयोजित टीडीएमएम में सभी देशों अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया— जो क्वाडा का भी हिस्सा हैं— ने कहा कि चीन और रूस नियम-कायदों पर चलने वाली अंतरराष्ट्रीय विश्व व्यवस्था को ‘तोड़ने’ को कोशिश कर रहे हैं.

रणनीतिक और कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, अब जबकि टीडीएमएम में यह मुद्दा गर्मा रहा है तो निश्चित तौर पर ये गठजोड़ क्वाड के एजेंडे पर हावी होने लगेगा. और इससे भारत पर भी चीन और रूस की खुले तौर पर सार्वजनिक आलोचना का दबाव बढ़ेगा.

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भारत इस टीडीएमएम गठजोड़ का हिस्सा नहीं है. हालांकि, क्वाड के हिस्से के तौर पर ये देश एक संयुक्त समुद्री युद्धाभ्यास ‘मालाबार’ का आयोजन करते हैं, जबकि भारत क्वाड के साथ किसी भी तरह के सैन्य संबंधों को खारिज करता है.

सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि टीडीएमएम का नजरिया और एजेंडा अब क्वाड के एजेंडे में भी हावी हो सकता है जो अब तक केवल परोक्ष से चीन और कुछ हद तक रूस को अपनी एकजुटता और नजरिये का संकेत देता रहा है. इसकी एक बड़ी वजह भारत रहा है जो कि चीन का पड़ोसी और रूस का एक रणनीतिक साझीदार है.

एक राजनयिक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘टीडीएमएम निश्चित तौर पर क्वाड के एजेंडे की दशा-दिशा तय करने जा रहा है, खासकर अब जब ताइवान के प्रति चीन की आक्रामकता और यूक्रेन के खिलाफ रूस का हमला तेज हो गया है.’

राजनयिक के मुताबिक, क्वाड 2019 में अपने पुराने अवतार से बाहर आने के बाद काफी हद तक एक डिप्लोमैटिक फोरम की तरह काम कर रहा है. राजनयिक ने कहा कि और इसे नया जीवन भी इसलिए मिला क्योंकि महामारी फैल गई थी, अन्यथा भारत अपने पुनरुत्थान के प्रति ‘अनिच्छुक’ ही था.

राजनयिक ने कहा कि भले ही 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के मद्देनजर क्वाड अस्तित्व में आया हो, लेकिन अब भू-राजनीति ‘पूरी तरह से बदल गई’ है और पहले महामारी और अब रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विश्व व्यवस्था में काफी बदलाव आया है.

ऑस्टिन ने शनिवार को टीडीएमएम मीट में ऑस्ट्रेलिया और जापान को अमेरिका के ‘सबसे करीबी सहयोगी’ करार देते हुए कहा, ‘दशकों से यह तीनों लोकतंत्र इंडो-पैसिफिक क्षेत्र ही नहीं पूरी दुनिया में स्थिरता और समृद्धि के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम करते रहे हैं.’

पेंटागन की तरफ से जारी बयान में ऑस्टिन के हवाले से कहा गया है, ‘हम ताइवान जलडमरूमध्य और इस क्षेत्र में अन्य जगहों पर चीन के बढ़ते आक्रामक और धौंस जमाने वाले व्यवहार से बहुत चिंतित हैं.’

बैठक में ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री मार्लेस ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि हम तीनों देशों के बीच त्रिपक्षीय गठजोड़ गहरा और मजबूत हो रहा है और आज हम उस एजेंडे को आगे बढ़ाने की दिशा में काफी आगे हैं.’

उन्होंने टीडीएमएम में इस बात को भी रेखांकित किया कि जैसा रूस यूक्रेन के साथ जारी संघर्ष में कर रहा है, कुछ वैसा ही बीजिंग की तरफ से ‘दबाव डालकर’ कैनबरा के साथ किया जा रहा है.

जापान ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था ‘कमजोर’ की गई है. जापान के रक्षा मंत्री हमादा ने एक ट्रांसलेटर के माध्यम से कहा, ‘आज यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता, दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीन की तरफ से जबरन एकतरफा बदलावों और परमाणु और मिसाइल के क्षेत्र में उत्तर कोरिया की उल्लेखनीय प्रगति के कारण अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सुरक्षा के लिहाज से एक चुनौतीपूर्ण माहौल का सामना करना पड़ रहा है. इस सबने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की नींव को कमजोर कर दिया है.’

कैलिफोर्निया स्थित थिंक टैंक रैंड कॉरपोरेशन के वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन ने कहा, ‘मुझे लगता है कि ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के लिए अपने विचारों को इस तरह साझा करना कहीं अधिक सहज है लेकिन उन्हें चीन के बुरे व्यवहार का मुकाबला करने के लिए और अधिक करने की आवश्यकता है. ऐसा तब नहीं होता जब भारत इन बहुपक्षीय चर्चाओं में शामिल हो.’

मार्लेस और ऑस्टिन ने शनिवार को एक अलग द्विपक्षीय बैठक के दौरान ‘ताइवान जलडमरूमध्य और क्षेत्र में अन्य जगहों पर चीन की आक्रामक, तेज और अस्थिर सैन्य गतिविधियों’ पर भी चर्चा की.

सूत्रों के मुताबिक, ताइवान भी जल्द ही क्वाड के एजेंडे में शामिल हो सकता है क्योंकि भारत के रूस का बचाव जारी रखने के बावजूद तनाव और अधिक बढ़ गया है.

ऑस्टिन ने कहा, ‘अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया शांति, स्थिरता और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करने वाली कार्रवाइयों का विरोध करने के लिए एकजुट हैं.’


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‘छोटे समूहों को मिलेगी नई गति’

स्वीडन स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सिक्योरिटी एंड डेवलपमेंट पॉलिसी में स्टॉकहोम सेंटर फॉर साउथ एशियन एंड इंडो-पैसिफिक अफेयर्स के प्रमुख जगन्नाथ पी. पांडा ने कहा कि टीडीएमएम की हवाई मीट दर्शाती है कि कैसे ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका ‘महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में अपनी ठोस कार्ययोजना निर्धारित कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘यह निश्चित तौर पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में क्वाड और एयूकेयूएस जैसे अन्य छोटे समूहों को एक नई गति देने में अहम साबित होगा.’

एयूकेयूएस के तहत ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका और ब्रिटेन के साथ त्रिपक्षीय रक्षा साझेदारी के माध्यम से आठ परमाणु-संचालित पनडुब्बी हासिल करने की योजना बनाई है.

पांडा ने आगे कहा, ‘क्वाड देशों को आगे चर्चा करने और साइबर व अंतरिक्ष क्षेत्र समेत रक्षा प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में विश्वसनीय सहयोग की दिशा में आगे बढ़ने के तौर-तरीकों पर आम सहमति बनाने की जरूरत है. महत्वपूर्ण तकनीकी क्षेत्र में चीन का बढ़ता दबदबा बताता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को एक मजबूत कार्ययोजना की कितनी आवश्यकता है. इसके अलावा, यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के साथ चीन की साझेदारी सभी क्वाड देशों के लिए सजग हो जाने का संदेश है कि संवेदनशील प्रौद्योगिकी वाले महत्वपूर्ण रक्षा क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा करना उनके लिए अब बेहद अहम हो गया है.’

इस माह के शुरू में इंडो-पैसिफिक सुरक्षा मामलों के अमेरिकी सहायक रक्षा मंत्री एली रैटनर— जो यूएस-इंडिया 2+2 इंटरसेशनल डायलॉग में हिस्सा लेने के लिए नई दिल्ली में थे— ने संवाददाताओं से कहा था कि अमेरिका-भारत के बीच सुरक्षा साझेदारी ‘किसी भी अन्य मुद्दे से अधिक अहम है. यह ‘इंडो-पैसिफिक को लेकर हमारे साझे दृष्टिकोण से जुड़ी है और क्षेत्र के बेहतर भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रख साथ मिलकर काम करने पर केंद्रित है.’

वहीं, पिछले हफ्ते एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में भारत ने चीन को वियना में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) में एयूकेयूएस के खिलाफ अपना प्रस्ताव वापस लेने को मजबूर कर दिया. चीन ने ऑस्ट्रेलिया को पारंपरिक हथियारों के साथ परमाणु-संचालित पनडुब्बियों से लैस करने को लेकर एयूकेयूएस के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित कराने का प्रयास किया था.

 (इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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