कराची (पाकिस्तान) : पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ घृणा की एक और घटना में शुक्रवार को अज्ञात हमलावरों द्वारा कराची में उनके मस्जिद को अपवित्र करने का फुटेज सामने आया है. इससे एक महीना पहले भी ऐसी घटना सामने आई थी.
एक गैर-लाभकारी समाचार संगठन द राइज न्यूज ने ट्वीट किया, ‘कराची, हाशू मार्केट सदर में चरमपंथियों द्वारा कादियानी प्रार्थना स्थल पर हमला किया जा रहा है.’
उनके द्वारा ट्विटर पर पोस्ट किए गए वीडियो में हेलमेट पहने अज्ञात व्यक्तियों को कराची के सदर में अहमदी मस्जिद की मीनारों को तोड़ते और उसके बाद भागते देखा जा सकता है.
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक पुलिस भी मौके पर मौजूद थी, और हमलावर पाकिस्तान की इस्लामिक राजनीतिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के थे.
एक महीने में यह दूसरी घटना है, इससे पहले कराची में जमशेद रोड स्थित अहमदी जमात खाता की मीनारें तोड़ी गईं थीं.
मॉब अटैक और हत्याओं के साथ अहमदिया समुदाय के खिलाफ लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, पाकिस्तान एक ऐसा देश बन गया है जहां इस समुदाय के लोगों को हेट स्पीच और हिंसा समेत बड़े तौर पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है.
जिनेवा डेली, एक ऑनलाइन प्रकाशन जो मानवाधिकारों के उल्लंघन और बाल शोषण से संबंधित मुद्दों की गहन कवरेज करता है, ने बताया कि लगभग 4 मिलियन पाकिस्तानी अहमदिया समुदाय स्व-घोषित इस्लामी नेताओं द्वारा बड़े स्तर पर यातना, धार्मिक उत्पीड़न और संस्थानों और आम जनता द्वारा भेदभाव के शिकार हैं.
हाल ही में, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग (HRCP) ने पंजाब प्रांत के वज़ीराबाद जिले में एक अहमदिया पूजा स्थल की बदहाली की कड़ी निंदा की और देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के ऐसे स्थानों की सुरक्षा की मांग की थी.
अधिकार समूह ने अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किए गए एक बयान में कहा था, ‘एचआरसीपी 10 जनवरी को कथित तौर पर जिला प्रशासन द्वारा वजीराबाद में एक ऐतिहासिक अहमदिया पूजा स्थल की अपवित्रता की कड़ी निंदा करता है.’
एचआरसीपी के अनुसार, वजीराबाद प्रशासन को स्थानीय अहमदिया समुदाय को इसको लेकर मुआवजा देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटना दोबारा न हो.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने बताया कि वजीराबाद में अहमदी समुदाय के एक ऐतिहासिक पूजा स्थल को जिला प्रशासन द्वारा कथित रूप से अपवित्र किया गया था.
इससे पहले एक स्थानीय टीएलपी नेता ने यह कहते हुए शिकायत दर्ज कराई थी कि अहमदी समुदाय ने पास की मस्जिद मीनारों के साथ एक ऐसा ही कमरा बनाया था.
पाकिस्तान के अहमदी मुस्लिम समुदाय ने 1974 के बाद से लगातार भेदभाव, उत्पीड़न और हमलों का सामना किया है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने एक संवैधानिक संशोधन पेश किया था, जिसने विशेष रूप से उन्हें गैर-मुस्लिम घोषित करके समुदाय को टारगेट किया था.
1984 में, जनरल जिया-उल-हक ने अध्यादेश पेश किया, जिसने मुसलमानों के रूप में खुद को पहचान के उनके अधिकार और धर्म का स्वतंत्र को प्रैक्टिस करने की आजादी छीन ली थी.
गौरतलब है कि पाकिस्तान में आतंकी हमलों में बार-बार मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है. बीते 30 जनवरी को पेशावर पुलिस लाइन्स इलाके में एक मस्जिद में आत्मघाती बम विस्फोट में कम से कम 101 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर पुलिस अधिकारी जान गंवाने वालों में से थे.
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