नई दिल्ली: तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच वार्ता होने से कुछ ही घंटे पहले रूस ने यूक्रेन के सबसे बड़े अनाज निर्यातक बंदरगाहों में से एक पर ड्रोन हमला शुरू कर दिया.
ओडेसा क्षेत्र में डेन्यूब नदी पर यूक्रेन के दो प्रमुख अनाज निर्यात करने वाले टर्मिनलों में से एक इज़मेल बंदरगाह के निवासियों को यूक्रेन की वायु सेना द्वारा कवर किया गया.
ओडेसा के गवर्नर ओलेह किपर ने बाद में दावा किया कि दक्षिणी क्षेत्र में 17 ड्रोन को उनकी वायुसेना ने मार गिराया. हालांकि, उन्होंने कहा कि हमले के चलते बंदरगाह के बुनियादी ढांचे को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा है.
किपर ने टेलीग्राम पर लिखा, “हमारी वायुसेना ने 17 ड्रोनों को मार गिराया गया. लेकिन, दुर्भाग्य से कुछ ड्रोन हमला करने में सफल भी रहे. इज़मेल जिले की कई बस्तियों में, गोदामों, भवनों, कृषि मशीनरी और औद्योगिक उद्यमों को नुकसान पहुंचा है.”
किपर ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्टों में किसी की मौत या घायल होने की बात सामने नहीं आई है.
ड्रोन हमला तब हुआ जब पुतिन और एर्दोगन यूक्रेन से अनाज निर्यात करने के समझौते पर चर्चा करने के लिए रूस के काला सागर स्थित रिसॉर्ट सोची में मिलने वाले थे. इस डील के बाद अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के कुछ हिस्सों में खाद्य संकट कम होगा.
जुलाई 2022 में संयुक्त राष्ट्र और तुर्की की मध्यस्थता से हुए समझौते के अनुसार, लगभग 33 मिलियन मीट्रिक टन (36 मिलियन टन) अनाज और अन्य सामान को तीन यूक्रेनी बंदरगाहों से छोड़ने की अनुमति दी गई थी.
हालांकि, मॉस्को ने अनाज और उर्वरक के अपने शिपमेंट में कठिनाइयों के साथ-साथ गरीब देशों तक यूक्रेनी अनाज की कमी का हवाला देते हुए लगभग छह सप्ताह पहले समझौते से खुद को अलग कर लिया था.
तब से, इसने डेन्यूब नदी के बंदरगाहों पर बार-बार हमले किए गए. यह बंदरगाह यूक्रेन के सबसे अनाज निर्यात करने वाले बंदरगाहों में से एक है.
सोमवार की सुबह को किया गया यूक्रेन के दूसरा प्रमुख बंदरगाह रेनी पर हुए हमले के बाद किया गया. रेनी पर हुए हमले में बंदरगाह को काफी नुकसान पहुंचा और वहां दो लोगों के गंभीर रूप से घायल होने की खबर है.
समचार एजेंसी अलजज़ीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार रविवार को तुर्की के एक समाचार चैनल से बात करने वाले एर्दोगन के एक वरिष्ठ सलाहकार ने कहा कि तुर्की और रूस के नेताओं के बीच बैठक अनाज सप्लाई को दोबारा शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
एर्दोगन के मुख्य विदेश नीति और सुरक्षा सलाहकार अलीफ कैगाटे किलिक ने कहा था, “अभी की स्थिति पर बातचीत की जाएगी. साथ ही अनाज को यूक्रेन से दूसरे जगहों पर भेजने के लिए जरूरी उपायों पर चर्चा की जाएगी. हम इस चर्चा को लेकर सतर्क हैं, लेकिन हमें लगता है कि बातचीत सकारात्मकर होगी. यह एक ऐसी स्थिति है जो पूरी दुनिया को प्रभावित कर रही है.”
एर्दोगन ने अक्सर काला सागर समझौते को दोबारा जमीन पर लाने की बात कही है. साथ ही उन्होंने 18 महीने के युद्ध के दौरान पुतिन के साथ मजबूत संबंध बनाए रखा है, जिसमें रूस के खिलाफ पश्चिमी प्रतिबंधों का समर्थन करने से इनकार करना भी शामिल है.
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