नई दिल्ली: ‘दिप्रिंट’ ने ‘इंडियाज ट्रिलियन डिजिटल इकोनॉमी’ नामक एक दस्तावेज हासिल किया है, जिसमें सन् 2022 तक 1 खरब डॉलर का डिजिटल राजस्व हासिल करने और 2025 तक डिजिटल अर्थव्यवस्था को 1 खरब डॉलर मूल्य का बनाने की 30 सूत्री कार्ययोजना को स्पष्ट किया गया है.
यह कार्ययोजना इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (मीटी) और अंतरराष्ट्रीय प्रबंधन सलाहकार मैकिन्से ऐंड कंपनी की संयुक्त पहल का परिणाम है. इसका मकसद ‘एक खरब डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था को साकार करने की कल्पना तथा कार्यक्रम को स्वरूप प्रदान करना’ है. सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद इस ब्लूप्रिंट पर चर्चा के लिए आयोजित दो प्रमुख बैठकों की अध्यक्षता कर चुके हैं. पिछली बैठक में गूगल के राजन आनंदन, क्वात्रो (अंतरराष्ट्रीय कंपनी, जो बिजनेस तथा नॉलेज प्रोसेसिंग सेवा प्रदान करती है) के सीईओ रमण राय, जियो के अध्यक्ष मैथ्यू ऊमन, लावा इंटरनेशनल के हरि ओम अग्रवाल, ओला के सह-संस्थापक प्रणय जिवराजका, एयरटेल की हरमीन मेहता और फेसबुक के शिवनाथ ठुकराल समेत अन्य लोग भाग ले चुके हैं.
कार्ययोजना
उक्त दस्तावेज यह बताता है कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था परिवर्तनकारी बुनियादी ढांचा, उपायों और इकोसिस्टम्स के जरिए उत्पादकता और मूल्य संवर्द्धन को किस तरह तेजी प्रदान कर सकती है. यह दस्तावेज उन प्रतिष्ठित ‘दिशासूचकपरियोजनाओं’ को भी रेखांकित करता है, जो डिजिटल क्षेत्र में भारत को प्रभावित कर सकते हैं. यह भी बताया गया है कि इन परियोजनाओं को सबसे उम्दा तरीके से कैसे लागू किया जा सकता है. इस विजन डॉक्युमेंट में देश को शक्तिशाली बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले नौ सेक्शनों के अंतर्गत 30 ‘डिजिटल थीम’ की पहचान की गई है.
ये नौ सेक्शन सबके लिए बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्यसेवा और बिजली के अलावा भविष्य में रोजगार के अवसर पैदा करने, ई-प्रशासन का आधार तैयार करने और 21वीं सदी वाली सूचना प्रौद्योगिकी इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिए जरूरी विभिन्न उपायों को आगे बढ़ाएंगे.
विजन दस्तावेज डिजिटल सप्लाइ चेन, डिजिटल प्लेटफॉर्म और कुशल परिवहन के लिए जीपीएस, और घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स के जरिए ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर इंडिया, ऐंड मेक फॉर द वल्र्ड’ का एक खाका भी प्रस्तुत करता है. यह ऑनलाइन कृषि बाजार और उम्दा खेती के जरिए किसानों की आय दोगुनी करने की कल्पना भी प्रस्तुत करता है. ‘सबके लिए बिजली’ का लक्ष्य इसके डिजिटल वितरण और चुस्त ग्रिडों के जरिए हासिल किया जा सकता है. इसके अलावा, इसमें एक ‘इंडिया एडुकेशन स्टैक’ और एक ‘वर्चुअल यूनिवर्सिटी’ नीति के साथ-साथ स्कूलो की डिजिटल सामग्री मुहैया कराने की भी बात की गई है.
चार सिद्धांत
दस्तावेज में चार बुनियादी व्यापक सिद्धांतों को भी रेखांकित किया गया है, जो नई डिजिटल अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए जरूरी हैं. डिजिटल कारोबार के संचालन को और ज्यादा आसान बनाना और संचालन लागत को कम करना जरूरी है. आयरलैंड का उदाहरण देते हुए रिपोर्ट मे कहा गया है कि उद्यमियों को एक दिन में अपना व्यवसाय शुरू करने की सुविधा प्रदान करने के ठोस, समयबद्ध लक्ष्य निर्धारित किए जाएं. डिजिटल व्यवसाय को प्राथमिकता देने के लिए उसे स्पष्ट रूप से परिभाषित करना जरूरी है.
डिजिटल व्यवसायों में घरेलू भारतीय पूंजी के प्रवाह का रास्ता खोलना
भारतीय डिजिटल आविष्कारकों को अहम आपूर्ति के जरिए समर्थन देना, जहां सरकार सेवाओं के बड़े खरीदार के रूप में बाजार-निर्माता की भूमिका निभा सकती है और निविदा/आपूर्ति व्यवस्था के, जो डिजिटल वेंडरों को ज्यादा महत्व देती है, जरिए सर्वोत्तम आविष्कारों के लिए आधार तैयार कर सकती है.
उच्च शिक्षा तथा आविष्कार के केंद्रों को सक्षम कार्यकर्ताओं के जरिए प्रतियोगी बढ़त लेने के लिए बंधनमुक्त करना भी जरूरी है.
तत्पर कार्रवाई
योजना को शुरू करने के लिए सलाह दी गई है कि अगले 6-12 महीने में सरकार अलग-अलग क्षेत्रों के लिए सलाहकार फोरम बनाए. शुरू में ये पांच फोरम बनाए जा सकते हैं- तकनीक के बुनियादी ढांचे के लिए, स्वास्थ्यसेवा, शिक्षा तथा हुनर प्रशिक्षण के लिए, खेती तथा खाद्य प्रसंस्करण के लिए, परिवहन तथा लॉजिस्टिक्स के लिए. आधार तथा जीएसटीएन जैसे पांच क्षेत्रों के लिए अलग-अलग राष्ट्रीय सूचना सेवा बनाने की बात कही गई है.
अन्य प्रस्ताव कुछ ‘दिशासूचक परियोजनाओं’ को तुरंत शुरू करने का है, जिन्हें सरकार के समर्थन से निजी क्षेत्रों आगे बढ़ाए, ताकि नए क्षेत्रों पर पड़े प्रभाव एक साल के भीतर दिखने लगें. मौजूदा तथा भावी अभिक्रमों की प्रगति के आकलन के लिए एक डिजिटल डैशबोर्ड भी बनाया जाना है.