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Tuesday, 24 December, 2024
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यूनिट-लिंक्ड पेंशन प्लान्स क्या है और इसके फायदे क्या हैं

यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान में निवेश करने पर अन्य पेंशन प्लान की अपेक्षा ज्यादा रिटर्न मिलता है. हालांकि, इसमें मार्केट रिस्क का खतरा रहता है, लेकिन लंबी अवधि की वजह से इसमें लाभ भी अधिक होता है.

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नई दिल्ली: जिस प्रकार से मार्केट में कई तरह के प्लान उपलब्ध हैं जो भविष्य को फाइनेंशियल रूप से सुरक्षित करने का प्रयास करते हैं. ठीक उसी तरह कई तरह के पेंशन प्लान भी मौजूद हैं, जो आपके बुढ़ापे में सहारा बन सकते हैं. आइये आपको इस आर्टिकल में यूनिट-लिंक्ड पेंशन प्लान के बारे में जानकारी और यूनिट-लिंक्ड पेंशन प्लान से जुड़ी हुई बातों के बारें में विस्तार से बताते हैं.

यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान

यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान मार्केट से जुड़ी हुई पेंशन पॉलिसी है. भारत में मौजूद कई बीमा कम्पनियां यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान की सुविधा लोगों को प्रदान करती हैं. यह प्लान मार्केट के उतार-चढ़ाव के आधार पर बीमा धारक को रिटर्न प्रदान करता है. यही वजह है यूनिट-लिंक्ड पेंशन प्लान का रिटर्न भी मार्केट के ऊपर ही निर्भर करता है.

यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान में आप अपने जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार निवेश कर सकते हैं. निवेश में मीडियम रिस्क वाले डेब्ट फंड भी शामिल होते हैं. अधिक रिस्क वाले फंडों में  इक्विटी फंड, मनी मार्केट जैसे फंड आते हैं. आप चाहे तो इन दोनों को मिलाकर भी कम रिस्क के मामले में कॉम्बिनेशन/बैलेन्स्ड फंड में निवेश कर सकते हैं.

यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान पारम्परिक पेंशन प्लान से बहुत अलग होते हैं. पारम्परिक पेंशन पॉलिसी में निवेश करने में जोखिम का खतरा कम होता है, क्योंकि इसमें सरकारी सिक्योरिटी एवं बॉन्ड में निवेश किया जाता है.

यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान में जोखिम का खतरा अधिक रहता है. इस वजह से इनमें हमेशा लम्बी अवधि के लिए निवेश करना चाहिए. यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान ज्यादा जोखिम और ज्यादा लाभ की तर्ज पर काम करता है.

यदि आप जोखिम ले सकते हैं, तो आपको इक्विटी फंड में निवेश करना चाहिए. इक्विटी फंड अन्य निवेश की तुलना में  रिटर्न के मामले में अच्छा प्रदर्शन करते हैं. कम जोखिम के साथ मध्यम लाभ पाने के लिए आपको डेब्ट फंड में निवेश करने की जरूरत होती है.

यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान को लेते समय कुछ बातों का ध्यान रखें

⦁ जैसा की हमने समझा, यह प्लान मुख्य रूप से मार्केट से जुड़े होते हैं. जैसे – जैसे मार्केट में उतार चढ़ाव आता है. उसका असर इस पेंशन प्लान पर पड़ता है. जिस वजह से इनमें रिस्क का खतरा भी होता है.

⦁ इसके साथ ही इस पेंशन प्लान में आप प्रीमियम भरने के चक्र को अपने हिसाब से चुन सकते हैं. कई बीमा कंपनियां आपको अपने निर्धारित प्रीमियम के ऊपर टॉप उप करने का अवसर भी देती हैं. इस सुविधा से आप शुरुआती दौर में कम प्रीमियम का प्लान लेकर बाद में निवेश की जाने वाली राशि बढ़ा सकते हैं.

⦁ यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान में लॉक इन की भी अवधि होती है. यह मुख्य रूप से पाँच साल की होती है. वैसे तो आप कभी भी इस पॉलिसी को सरेंडर कर सकते हैं, लेकिन यदि आप लॉक-इन अवधि में ऐसा करते हैं तो आपको पॉलिसी को सरेंडर करते ही राशि प्रदान नहीं की जाएगी. यह राशि तभी प्रदान की जाएगी जब वह यह 5 साल की अवधि खतम होगी.

यूनिट लिंक्ड पेंशन प्लान की नियम और शर्तें

अन्य योजनाओं की तरह यूएलपीपी पेंशन प्लान का भी अपना नियम और शर्ते हैं. कुछ सामान्य नियम और शर्तें निम्न हैं-

⦁ इस पॉलिसी में निवेश करने के लिए आपकी उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए.
⦁ इस पॉलिसी में निवेश करने की अधिकतम आयु 70 साल है.
⦁ यूएलपीपी पॉलिसी की अवधि 5 साल से 30 साल के बीच होती है.

यह योजना उन लोगों के लिए बहुत ही अच्छी है, जिनकी उम्र 35 साल के आसपास है और अभी तक किसी भी तरह का कोई पेंशन प्लान नहीं लिया है. इस पॉलिसी में निवेश करने से पहले आपको प्रीमियम अवधि चुनाव बहुत ध्यान से करना चाहिए. क्योंकि, आप एक बार जिस प्रकार का पेमेंट टर्म चुनेंगे, वह हमेशा के लिए लागू होगा. इस पेंशन प्लान में डेथ लाभ (पॉलिसी धारक के मरने के उपरांत मिलने वाली राशि) भी प्रदान किया जाता है.
यूनिट लिंक्ड पेंशन योजना के लाभ

यूएलपीपी के निम्नलिखित लाभ हैं

⦁ यूनिट लिंक्ड पेंशन (यूएलपीपी) प्लान में निवेश करने पर अन्य पेंशन प्लान की अपेक्षा ज्यादा रिटर्न मिलता है. हालांकि, इसमें मार्केट रिस्क का खतरा रहता है, लेकिन लंबी अवधि की वजह से इसमें लाभ भी अधिक होता है.
⦁ यूनिट लिंक्ड पेंशन (यूएलपीपी) के तहत डेथ बेनिफिट भी प्रदान किया जाता है. पॉलिसी लेने के बाद यदि इसके धारक की किसी वजह से मौत हो जाती है, तो नॉमिनी को बीमा कंपनी की नियम और शर्तों के मुताबिक रकम प्रदान की जाएगी.
⦁ यूनिट लिंक्ड पेंशन (यूएलपीपी) के तहत आपको टैक्स में भी छूट प्रदान की जाएगी. पॉलिसी धारक को आयकर की धारा 80 सी के तहत टैक्स का लाभ दिया जाएगा.

संक्षेप में समझिए, हर व्यक्ति की आवश्यकताएं अलग होती है और लक्ष्य भी अलग होते हैं, इसलिए व्यक्ति को अपनी आवश्यकताएं और लक्ष्य को सर्वप्रथम निर्धारित करना चाहिए. इसके बाद यह देखना चाहिए कि आपके लिए सबसे सही पॉलिसी कौन सी है. अगर आपको गणना करने में परेशानी हो रही हो तो आप रिटायरमेंट कैलकुलेटर की सहायता ले सकते हैं.

दिप्रिंट वैल्यूऐड इनीशिएटिव कंटेंट पेड और स्पॉन्सर्ड आर्टिकिल है. दिप्रिंट के पत्रकारों की इसे लिखने या इसकी रिपोर्टिंग करने में कोई भूमिका नहीं है.


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