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Thursday, 4 September, 2025
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बढ़ते परिवार पर वेटिंग पीरियड का प्रभाव (उपभोक्ता अधिकार और IRDA नियम)

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क्या आपको लगता है कि हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते ही आपका परिवार पूरी तरह सुरक्षित हो गया? लेकिन पॉलिसी लेने के बाद अगर आपको पता चले कि कुछ बीमारियों, मातृत्व लाभ या नवजात शिशु के कवर के लिए कुछ महीनों या सालों तक इंतज़ार करना होगा, तो? इस इंतज़ार को ही वेटिंग पीरियड कहते हैं, यानी पॉलिसी शुरू होने के बाद का वह समय, जिसमें आप कुछ खास सुविधाओं का लाभ तुरंत नहीं ले सकते.

यह नियम भले सुनने में छोटा लगे, लेकिन बढ़ते परिवार के लिए यह कई बार बड़ी परेशानी बन सकता है. लोग इंश्योरेंस लेते समय हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके प्रीमियम तो निकाल लेते हैं, लेकिन वेटिंग पीरियड पर अक्सर ध्यान नहीं देते. सोचिए, जब ज़रूरत के समय इंश्योरेंस काम ही न आए, तो कितनी मुश्किल हो सकती है. यही कारण है कि इस विषय को अच्छी तरह समझना ज़रूरी है.

IRDAI ने हाल ही में स्वास्थ्य बीमा में PED वेटिंग पीरियड 4 साल से घटाकर 3 साल कर दिया है, यानी अब डायबिटीज, हाई BP, अस्थमा जैसी पहले से मौजूद बीमारियों के लिए अधिकतम 3 साल बाद ही क्लेम किया जा सकेगा.

वेटिंग पीरियड के प्रकार 

जब आप पहली बार हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं, तो शुरुआत में कुछ समय तक सभी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता. इस तय समय को “वेटिंग पीरियड” कहा जाता है, जिसमें पॉलिसी शुरू होने के बाद भी कुछ खास सुविधाएं तुरंत उपलब्ध नहीं होतीं. हालांकि आजकल कुछ प्लान ऐसे भी हैं जिनमें इंतज़ार नहीं करना पड़ता, जैसे जीरो वेटिंग पीरियड हेल्थ इंश्योरेंस, जो पॉलिसी लागू होते ही कवरेज देना शुरू कर देते हैं.

आइए वेटिंग पीरियड के मुख्य प्रकार जानते हैं:

  1. प्रारंभिक वेटिंग पीरियड (30 दिन): लगभग सभी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में 30 दिनों की  आरंभिक प्रतीक्षा अवधि होती है, जिसके दौरान आकस्मिक मामलों से संबंधित दावों के अलावा कोई अन्य दावा स्वीकार नहीं किया जाता है. यह लगभग सभी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में होता है. इसे कूलिंग पीरियड भी कहां जाता है.

 

  • पहले से मौजूद बीमारी की अवधि (3 साल): अगर आपको पहले से कोई बीमारी है, जिसकी जांच पॉलिसी खरीदने से 48 महीने पहले हो चुकी है जैसे थायराइड, डायबिटीज या अस्थमा, तो 1 से 3 साल के बाद ही इसका इलाज कवर होगा.
  1. कुछ खास बीमारियों का वेटिंग पीरियड (1-3 साल): कुछ गंभीर बीमारियों जैसे मोतियाबिंद, हर्निया, ईएनटी समस्याएं, ऑस्टियोपोरोसिस आदि के लिए 1-3 साल का इंतजार करना पड़ता है.
  1. गंभीर बीमारी की अवधि (90 दिन): गंभीर बीमारियों (जैसे की कैंसर और स्ट्रोक) के लिए आमतौर पर 90 दिनों का वेटिंग पीरियड होता है.
  1. मातृत्व लाभ अवधि (9-36 महीने): गर्भावस्था और डिलीवरी के खर्च के लिए 9 महीने से 3 साल रुकना पड़ता है.

वेटिंग पीरियड का आपके बढ़ते परिवार पर असर 

हेल्थ इंश्योरेंस लेने का मकसद होता है कि जरूरत पड़ने पर तुरंत मदद मिले, लेकिन वेटिंग पीरियड का नियम कई बार परिवार के लिए परेशानी बन जाता है, खासकर तब जब परिवार बढ़ रहा हो. आइए समझते हैं इसके प्रभाव:

  • तुरंत कवरेज नहीं मिलता: पॉलिसी एक्टिव होने के तुरंत बाद मैटरनिटी से संबंधित लाभों के लिए या नवजात शिशु कवर के लिए तुरंत क्लेम नहीं कर सकते. इसके लिए महीनों या सालों तक इंतज़ार करना पड़ता है. ऐसे में अगर जरूरत पड़ जाए, तो पॉलिसी का इस्तेमाल नहीं हो पाएगा.
  • आर्थिक बोझ बढ़ना: अस्पताल का बिल लाखों में हो सकता है, लेकिन वेटिंग पीरियड के दौरान अगर बीमारी या डिलीवरी का खर्च आए, तो वह पूरा खर्च खुद उठाना पड़ता है, जिससे सेविंग पर भारी असर पड़ता है.
  • परिवार की सुरक्षा पर खतरा: बढ़ते परिवार में स्वास्थ्य ज़रूरतें अचानक बढ़ सकती हैं. वेटिंग पीरियड के कारण ज़रूरी इलाज समय पर न मिलना, परिवार की सुरक्षा और मानसिक शांति दोनों को हानि हो सकती है.
  • भावनात्मक तनाव: जब आपके पास इंश्योरेंस होने के बावजूद आप मदद नहीं ले पाते, तो यह निराशा और गुस्सा दोनों पैदा करता है. खासकर पहली बार माता-पिता बनने वालों के लिए यह अनुभव बेहद तकलीफदेह हो सकता है.

हेल्थ इंश्योरेंस वेटिंग पीरियड से जुड़े ज़रूरी पॉइंट्स

  • अगर वेटिंग पीरियड के दौरान आपको या आपके परिवार में के किसी सदस्य को पहली बार कोई बीमारी होती है, तो इसे प्री-एग्जिस्टिंग डिज़ीज़ नहीं माना जाएगा और पॉलिसी उसका कवर देगी.
  • सीनियर सिटीजन के लिए कई हेल्थ इंश्योरेंस प्लान ऐसे होते हैं, जिनमें को-पे क्लॉज़ अनिवार्य रूप से शामिल होता है. को-पे का मतलब है कि क्लेम राशि का एक निश्चित प्रतिशत आपको खुद देना होगा और बाकी इंश्योरेंस कंपनी चुकाएगी. जैसे, अगर ₹1 लाख के क्लेम पर 20% को-पे है, तो आपको ₹20,000 भरने होंगे और कंपनी ₹80,000 देगी. कुछ प्लान्स में वेटिंग पीरियड कम करने या हटाने के लिए अतिरिक्त प्रीमियम या वेटिंग पीरियड बाय आउट का विकल्प भी दिया जाता है, जो पॉलिसी की शर्तों पर निर्भर करता है.
  • अगर आप इंश्योरेंस कंपनी बदलते हैं, तो पहले पूरी की गई वेटिंग पीरियड नए प्लान में गिनी जा सकती है (IRDAI नियमों के मुताबिक).
  • हर कंपनी और प्लान में अलग-अलग बीमारियों या सुविधाओं के लिए वेटिंग पीरियड अलग हो सकता है.
  • पॉलिसी लेने से पहले वेटिंग पीरियड की डिटेल पॉलिसी डॉक्यूमेंट में ज़रूर पढ़ लें.

2024 में स्वास्थ्य बीमा के नए IRDAI नियम इस प्रकार हैं:

  1. स्वास्थ्य बीमा के लिए अब कोई आयु सीमा नहीं.
  2. पहले से मौजूद बीमारियों की वेटिंग पीरियड कम की गई.
  3. गंभीर बीमारियों के लिए अब कवरेज से इनकार नहीं होगा.
  4. कैशलेस क्लेम प्रोसेस को आसान बनाया गया.
  5. कैशलेस ऑथराइजेशन की सुविधा.
  6. डिस्चार्ज के लिए फाइनल ऑथराइजेशन की व्यवस्था.
  7. आयुष ट्रीटमेंट को भी कवरेज में शामिल किया गया.
  8. पॉलिसीधारक को प्लान चुनने की आज़ादी.
  9. कमीशन/पारिश्रमिक में बदलाव.
  10. स्थगन अवधि घटाकर 5 साल कर दी गई.

निष्कर्ष 

आपके बढ़ते परिवार की जरूरतें अचानक आ सकती हैं, चाहे वह नन्हे शिशु का जन्म हो या किसी गंभीर बीमारी का इलाज. ऐसे में वेटिंग पीरियड की बाधा आपके परिवार पर आर्थिक और भावनात्मक रूप से असर डाल सकती है. इसलिए, पॉलिसी लेते समय सिर्फ प्रीमियम या कवर राशि पर ध्यान न दें, बल्कि वेटिंग पीरियड की शर्तों को भी गहराई से समझें, जहां संभव हो, जीरो वेटिंग पीरियड वाली पॉलिसी चुनें, ताकि आपका परिवार पहले दिन से सुरक्षित रहे.

अस्वीकरण: इस ब्लॉग पोस्ट में दी गई जानकारी केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है. सामग्री लेखन के समय उपलब्ध शोध और राय पर आधारित है. हालांकि, हम सटीकता सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं, हम संपूर्ण या निश्चित होने का दावा नहीं करते हैं. पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे कोई भी निर्णय लेने से पहले यहां उल्लिखित किसी भी विवरण, जैसे विशिष्टताओं, सुविधाओं और उपलब्धता को स्वतंत्र रूप से सत्यापित करें. हीरो फिनकॉर्प इस ब्लॉग के प्रकाशन के बाद होने वाली किसी भी विसंगति, अशुद्धि या परिवर्तन की ज़िम्मेदारी नहीं लेता है. यहां प्रस्तुत जानकारी पर भरोसा करने का विकल्प पाठक के विवेक पर है और हम विशेष रुप से प्रदर्शित उत्पादों के बारे में नवीनतम और सटीक जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों और विशेषज्ञों से परामर्श करने की सलाह देते हैं.

(दिप्रिंट वैल्यूऐड इनीशिएटिव कंटेंट पेड और स्पॉन्सर्ड आर्टिकिल है. दिप्रिंट के पत्रकारों की इसे लिखने या इसकी रिपोर्टिंग करने में कोई भूमिका नहीं है.)

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