लोकसभा चुनाव 2024 के पहले सोशल मीडिया पर एप वीडियो क्लिप वायरल हो रही है जिसमें कहा जा रहा है कि ईवीएम में किसी भी पार्टी के सिंबल के सामने वाली बटन दबाने पर वोट बीजेपी को ही जा रहा है. सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रहे कथित रूप से एबीपी न्यूज के इस वीडियो क्लिप में दावा किया जा रहा है कि बीजेपी ने ईवीएम के साथ ‘‘छेड़छाड़’’ की है.
भारत में इसी महीने से होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की विश्वसनियता को लेकर फिर सवाल उठने लगे हैं. चुनावों में इसके लॉन्च होने से लेकर वर्तमान तक भी विपक्ष ने सत्तारूढ़ पार्टी पर इसमें धांधली कर वोटों से छेड़छाड़ के दावे किए हैं. 2024 के आम चुनावों की घोषणा के दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल का जवाब देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने ईवीएम से जुड़े तमाम सवालों एवं दावों को खारिज करते हुए कहा था कि वोटिंग मशीनें शत प्रतिशत सुरक्षित हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘ईवीएम 100 प्रतिशत सुरक्षित हैं. हमने बहुत सारे सुधार किए हैं. एक-एक ईवीएम का नंबर उम्मीदवारों को दिया जाएगा.’’
दरअसल, सोशल मीडिया पर एबीपी न्यूज़ चैनल की एक न्यूज़ की वीडियो क्लिप वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया गया है कि किसी भी पार्टी का बटन दबाने पर वोट सीधे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को जा रहा है.
वायरल क्लिप में कहा गया है कि कैसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने ईवीएम के साथ ‘‘छेड़छाड़’’ की है, ‘‘बटन दबाया हाथी पर पर्ची निकली कमल की’’.
न्यूज़ क्लिप एबीपी न्यूज़ एंकर चित्रा त्रिपाठी के साथ शुरू होती है जिसमें कहा गया है कि मध्य प्रदेश के भिंड जिले में एक ‘मॉक ड्रिल’ के दौरान ईवीएम में खराबी के बाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) और आम आदमी पार्टी (आप) ने कई अधिकारियों को उनके पदों से हटा दिया था. त्रिपाठी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह अटेर विधानसभा क्षेत्र (भिंड) में चुनाव से पहले हुआ था, जहां वोटर-वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) में कथित तौर पर ईवीएम का बटन दबाने पर वोट भाजपा को जा रहा था.
इंस्टाग्राम पर वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया गया है, ‘‘बड़ी खबर…चुनाव में बड़ी गड़बड़ी’’ और ‘‘ईवीएम में खराबी’’ साथ में ‘‘#लोकसभा’’ और ‘‘#इलेक्शन2024’’ जैसे हैशटैग भी हैं.
एक्स पर, वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया गया: ‘‘एक बार फिर, ईवीएम में गड़बड़ी साबित. जैसे मोदी प्रेस के सवालों का जवाब नहीं दे सकते, वैसे ही मोदी वास्तव में ईवीएम के बिना चुनाव नहीं जीत सकते. ईवीएम का मतलब हर वोट मोदी को.’’
फैक्ट चैक क्या है सच्चाई?
हालांकि, जब इस खबर की पड़ताल की गई तो पता चला कि यह घटना सात साल पहले ही है और इसका हालिया या आगामी चुनाव से कोई संबंध नहीं है.
दरअसल, लॉजिकली फैक्ट्स ने इस दावे को खारिज किया है. Google सर्च से मालूम चला है कि वायरल न्यूज़ क्लिप का मूल शीर्षक ‘‘ईवीएम विवाद: भिंड के एसपी, कलेक्टर को हटाया गया’’, एक, अप्रैल, 2017 को एबीपी न्यूज़ के आधिकारिक यूट्यूब (यहां देखें) चैनल पर अपलोड किया गया था.
मूल न्यूज़ क्लिप 10 मिनट और 32 सेकंड की है, जबकि वायरल वीडियो में केवल 1 मिनट 30 सेकंड तक की फुटेज शामिल हैं. मूल खबर मध्य प्रदेश के भिंड जिले में ईवीएम विवाद के बीच जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को हटाने के बारे में थी.
कई अन्य मुख्यधारा मीडिया आउटलेट्स ने भी लगभग उस दौरान इस खबर को कवर किया था. इसके अलावा, मीडिया खबरों के मुताबिक, वायरल क्लिप में चित्रा त्रिपाठी को दिखाया गया है, जो सितंबर 2022 में एबीपी न्यूज़ छोड़ने के बाद से हिंदी समाचार चैनल आज तक के लिए काम कर रही हैं.
क्या था 2017 का ईवीएम विवाद?
भिंड जिले के अटेर विधानसभा क्षेत्र और उमरिया जिले के बांधवगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 9 अप्रैल, 2017 को उपचुनाव होने थे. चुनाव से पहले, भिंड से एक वीडियो में कथित तौर पर ईवीएम से जुड़े वीवीपैट को दिखाया गया था, जिसमें वोटिंग मशीन पर बटन दबाए जाने के बावजूद भाजपा के कमल के निशान वाली पर्चियां बन रही थी जो कि वायरल हो गया.
निर्वाचन आयोग ने भिंड जिले के 21 अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी, कांग्रेस और आप ने मध्य प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी शालिना सिंह को हटाने की मांग की. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश सरकार ने तब जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक को हटा दिया और 19 अन्य के खिलाफ कार्यवाही शुरू की. हालांकि, द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अंतिम जांच रिपोर्ट में आरोपों को खारिज कर दिया गया.
निष्कर्ष
लॉजिकली फैक्ट्स ने पाया कि वायरल हो रही वीडियो सात साल पुरानी है जो मध्य प्रदेश के भिंड जिले के अटेर विधानसभा क्षेत्र और उमरिया जिले के बांधवगढ़ विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के दौरान ईवीएम में की गई छेड़छाड़ के संबंधित है. इसका हालिया किसी चुनाव के कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए यह दावा झूठा है.
(यह स्टोरी मूल रूप से लॉजिकली फैक्ट्स द्वारा शक्ति कलेक्टिव के हिस्से के रूप में प्रकाशित की गई थी. हेडलाइन, एक्सर्प्ट और पहले पैरा के अलावा, इस स्टोरी के भावार्थ को दिप्रिंट स्टाफ द्वारा संपादित करके नहीं बदला गया है. इसमें हमने हिंदी में ट्रांसलेट किया है.)
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