जम्मू: मई महीने का पहला दिन सीमा बेगम के लिए उतना अच्छा नहीं बीत रहा. वह फर्श पर बैठी हैं, काफी चिंतित भी हैं, हाथ दुआ के लिए उठे हुए हैं और होंठ कुछ बुदबुदाते नजर आ रहे हैं, नजरें टकटकी लगाकर टीवी स्क्रीन पर टिकी हैं, जिसमें उनकी आंखों का तारा, उनका 22 वर्षीय बेटा सनराइजर्स हैदराबाद और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच आईपीएल मैच में खेलता दिख रहा है.
सीमा बेगम को न तो यह खेल समझ आता हैं और न ही वो इन खिलाड़ियों को पहचानती हैं. उन्हें इंतजार है तो बस इस बात का कि उमरान मलिक अपनी तेज गेंदबाजी से एक विकेट ले, जैसा पूरे टूर्नामेंट में सामान्य तौर पर होता रहा है. लेकिन इस दिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा था. हर बार जब उनकी गेंद पर कोई चौका-छक्का लग जाता तो उनके चेहरे पर उदासी छा जाती, और फिर वे तेजी से दुआ पढ़ने लगतीं.
उन्होंने अपनी बगल में बैठे अपने पति अब्दुल राशिद मलिक की ओर मुड़ते हुए कहा, ‘मुझे चिंता हो रही है.’
वह मुस्कुराकर उन्हें दिलासा देते हैं, और उन्हें याद दिलाते हैं कि सनराइजर्स के पिछले खेल में, 28 अप्रैल को, उमरान ने पांच विकेट लिए थे और उसे मैन ऑफ द मैच चुना गया था, जबकि उसकी टीम गुजरात टाइटन्स से हार गई थी.
राशिद कहते हैं, ‘क्रिकेट में हर दिन एक जैसा नहीं होता. पिछली दफा उसने 5 विकेट ली थी. चिंता मत कर. ये देख कि वो धोनी को गेंद डाल रहा है.
लेकिन सीमा बेगम इस तर्क से आश्वस्त नहीं होती हैं.
थोड़ी ही देर में जब दाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने 154 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी और वो आईपीएल के इस सीजन की सबसे तेज गेंद बन गई, तो पूरे परिवार की खुशी के साथ कमरे का नजारा ही बदल गया. कमेंटेटर उसकी जोरदारी से प्रशंसा कर रहे थे और अंत में सीमा बेगम का चेहरा भी चमक उठता है. जैसे ही स्क्रीन पर उमरान की छवि नजर आती है, वह मुस्कुराती है और गर्व से कहती है, ‘यह हमारा बेटा है.’ और उमरान का दिन बन जाने के साथ ही अब उनके लिए अपना रोजा तोड़ने का समय आ गया है.
चार दिन बाद, 5 मई को, देहली कैपिटल्स के खिलाफ मलिक ने 157 किमी प्रति घंटे की तेज गति से गेंदबाजी की.
यह टूर्नामेंट से पहले उनके घोषित इरादे—155 किमी प्रति घंटे की रफ्तार—से लगभग 2 किमी प्रति घंटे ज्यादा तेज रही है.
अगर यह कोई अंतरराष्ट्रीय मैच होता तो 2007 में आईसीसी वर्ल्ड ट्वेंटी-20 में पाकिस्तान के खिलाफ इरफान पठान की 153.7 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए उमरान की यह डिलीवरी किसी भारतीय की सबसे तेज गेंदबाजी बन जाती. आईपीएल के इतिहास में 2011 में केवल ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी शॉन टैट ने 157.7 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी थी.
यही नहीं, यह शोएब अख्तर की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे तेज रिकॉर्ड की गई डिलीवरी 161.3 किमी प्रति घंटे के विश्व रिकॉर्ड से सिर्फ 4.3 किमी प्रति घंटे कम है.
अपने बेटे की उपलब्धि पर गौरवान्वित माता-पिता के मुताबिक, इसी पर उमरान की नजरें टिकी हैं—विश्व क्रिकेट में सबसे तेज गेंदबाज बनना.
उमरान को जानने वाले लोगों का कहना है कि एक लयबद्ध रन-अप, कॉम्पैक्ट जंप, लांग स्ट्राइड, मजबूत लैंडिंग, मजबूत कलाई की स्थिति और एक बेहतरीन सहनशक्ति के साथ वह तेजी से अपना लक्ष्य पाने की दिशा में बढ़ रहे हैं. और साथ ही, उन्होंने अपने कमाल के खेल के जरिये कुछ दिग्गजों को भी अपना कायल बना लिया है, सुनील गावस्कर जैसे लोग कमेंट्री के दौरान उनका जिक्र करने से खुद को रोक नहीं पाते हैं, भले ही वह उस समय मैच खेल रहे हों या नहीं.
इससे पहले कि उन्हें आईपीएल जैसे बड़े और विशाल मंच पर मौका मिलता, जम्मू में चारों ओर बस एक चर्चा होती थी कि गुर्जर नगर इलाके के एक फल-सब्जी विक्रेता का बेटा उमरान मलिक बहुत तेज गेंदबाज है. लेकिन किसी को नहीं पता था कि यह किलोमीटर प्रति घंटे के हिसाब से कितनी तेज थी, क्योंकि क्रिकेट के लिहाज से पिछड़े इस शहर में स्पीड गन नहीं है.
उमरान के दोस्त अतीब ताबिश कहते हैं, ‘अब हम जानते हैं कि वह इतनी तेज गेंदबाजी कर रहा है कि सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा है. हमें इसमें कोई हैरानी नहीं हो रही. वह जल्द ही एक अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाएगा.’
पिता अब्दुल राशिद को भी इसमें कोई संदेह नहीं है. वे कहते हैं, ‘कुछ ही समय में, वह भारत के लिए खेलेगा और तेज गेंदबाजी में अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ देंगे, इंशाअल्लाह.’
‘बस गेंद से प्यार’
उमरान सीमा बेगम और अब्दुल राशिद के तीन बच्चों में से एक है—उनकी दो बेटियां भी हैं, जिनमें से एक शादीशुदा है और वह यहां नहीं रहती है, जबकि दूसरी किंडरगार्टन स्कूल में टीचर है.
परिवार काफी उत्सुकता के साथ बताता है कि कैसे बचपन के दिनों से ही उमरान को ‘गेंद से प्यार’ था. एक मंजिला घर में उमरान का छोटा-सा कमरा इसका गवाह भी है—जिसमें कोई पोस्टर नहीं है, कोई और सामान नहीं, बस कुछ गेंदें बिखरी पड़ी हैं, एक जर्सी है, और एक कुर्सी पर कुछ कपड़े रखे हैं.
सीमा बेगम बताती हैं, ‘उमरान ठीक से बात भी नहीं कर पाता था, जब वह गेंद और बैट लेकर पूरे दिन उसी में लगा रहता था. वह तोलती भाषा में कहता, ‘मैं एक क्रिकेटर बनूंगा, और हम सब उसकी बात सुनकर हंसते रहते थे.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे नहीं पता कि उसमें क्रिकेट के प्रति यह रुचि कहां से जगी. शायद पार्क में बच्चों को खेलते देखकर. लेकिन आज जब मैं उसे टीवी पर इन सभी बड़े क्रिकेटरों के साथ खेलते देखती हूं तो मुझे यकीन नहीं होता. यह एक सपने की तरह लगता है.’
राशिद याद करते हैं कि जब उमरान तीन साल का था, ‘वह अपनी पूरी ताकत लगाकर गेंद फेंकना पसंद करता था.’
चेहरे पर बेहद खुशी के साथ वह बताते हैं, ‘जब वह बड़ा हो रहा था, तो एक दरगाह के बगल में कच्चे मैदान में जाता था, और वहां पूरे दिन ही दौड़ने और गेंद फेंकने का अभ्यास करता रहता था, यहां तक कि 46 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में भी. उसकी मां अक्सर उसे खींचकर घर लातीं, लेकिन मौका मिलते ही वह फिर से चुपके से निकल जाता.’
वह आगे बताते हैं, ‘उसे पढ़ाई में कतई दिलचस्पी नहीं थी, जो बात अक्सर उसकी मां को परेशान करती रहती थी. वह स्कूल जाता था, ट्यूशन भी पढ़ता था, लेकिन उसका सारा ध्यान हमेशा गेंद पर था.’ वह इस बात को ज्यादा तरजीह नहीं देते कि उमरान ने 10वीं कक्षा में स्कूल छोड़ दिया था.
राशिद याद करते हैं कि कैसे उमरान कॉस्को टेनिस गेंद से खेलता रहता था और लोग उनके पास आकर कहते थे कि उनका बेटा वास्तव में तेज गेंदबाजी करता है. लेकिन पिता ने इसे शौकिया समझकर शुरू में ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन आज उन्हें इस बात की खुशी है कि उन्होंने कभी उमरान को खेलने से नहीं रोका.
राशिद खुश होकर कहते हैं, ‘वह स्वाभाविक तौर पर एक तेज गेंदबाज है. मैं उसे अपनी पूरी ताकत से गेंद फेंकते देखता था, बहुत तेज दौड़ता था, लेकिन कभी नहीं सोचा था कि यह करियर बन सकता है. हमने सोचा कि बच्चे यही करते हैं. वह मजबूत है, इसलिए इसमें थोड़ा ज्यादा ही अच्छा है. अब जब हम उसे स्क्रीन पर देखते हैं तो ऐसा लगता है कि मानो वह उसी पार्क में खेल रहा है. अंतर बस इतना है कि उसने आज हम सभी को बहुत गौरवान्वित कर दिया है.’
उमरान की इसी बिना निखरी प्रतिभा ने उसे टेनिस बॉल क्रिकेट से लेकर स्थानीय क्रिकेट टूर्नामेंट तक और फिर सैयद मुश्ताक अली और विजय हजारे ट्राफियों के लिए जम्मू-कश्मीर टीम में पहुंचाया. वहीं खेलते हुए वह सनराइजर्स की नजर में आया जिसने उसे 2020 में एक नेट गेंदबाज के तौर पर चुना.
लेकिन आईपीएल 2021 के दूसरे चरण के दौरान संयुक्त अरब अमीरात में—क्योंकि भारत में और टीमों के बीच बढ़ते कोविड मामलों के कारण पहले चरण में कटौती कर गई थी—उमरान को भारत के तेज गेंदबाज टी. नटराजन की जगह खेलने का मौका मिला. दरअसल, नटराजन को कोविड पॉजिटिव पाया गया था.
चौंकाने वाली बात यह रही कि 2022 की मेगा ‘रीसेट’ नीलामी से पहले सनराइजर्स के खिलाड़ी अन्य टीमों में चले गए, और इसमें डेविड वार्नर और राशिद खान जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय सितारों के बजाय अनजान से उमरान और कुछ अन्य खिलाड़ी ही रह गए. और उसने इसकी कीमत भी अदा की है, उमरान के खेल की बदौलत ही कप्तान केन विलियम्सन की टीम खुद को तालिका के शीर्ष आधे हिस्से में बनाए रखने में सफल रही है, और यहां तक कि एक के बाद एक लगातार पांच जीत हासिल करने में भी कामयाब रही है.
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वकार, ली और बुमराह से हो रही तुलना
उमरान के कोच रणधीर सिंह उसके खेल की तुलना पाकिस्तानी तेज गेंदबाज वकार यूनिस से करते हैं, जबकि दोस्त उनमें ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ब्रेट ली और भारत के अपने क्रिकेटर जसप्रीत बुमराह को देखते हैं.
रणधीर सिंह कहते हैं, ‘उसकी पेस ही उसकी ताकत है और वह उसे कुदरत ने तोहफे में दी है. लाइन, लेंथ, जंप, तकनीक… इन सभी पर काम किया जा सकता है और इसे ठीक किया जा सकता है, लेकिन उनके पास जो गति है वह एक उपहार है, जो उन्हें सारे खिलाड़ियों से अलग खड़ा करता है.’
कोच बताते हैं, ‘वह (गेंदबाजी करते समय) कूद जाता था, जिसमें इरफान पठान (की सलाह) के कारण थोड़ा सुधारा आया, लेकिन वह वकार यूनिस के समान है. हालांकि, वह किसी की नकल करने की कोशिश नहीं करता है.’
दोस्त अतीब उसकी निरंतरता और फिटनेस के प्रति उसके प्यार की सराहना करते हैं, जिससे पिता राशिद भी सहमत हैं.
राशिद कहते हैं, ‘उसका स्टेमिना बहुत ज्यादा है और उसका कौशल अप्रशिक्षित और स्वाभाविक है. जम्मू में आमतौर पर तापमान बहुत ज्यादा हो जाता है. पारा 46 डिग्री के पार चला जाता है लेकिन उमरान भीषण गर्मी में भी दोपहर में मैदान में खेलता था. उसकी मां अक्सर कहती थी कि धूप में बाहर मत जाओ नहीं तो बीमार पड़ जाओगे. लेकिन वह एक नहीं सुनता था. मुझे लगता है कि इसी ने उसे इतना मजबूत और तेज बना दिया है.’
राशिद यह भी बताते हैं कि चूंकि उनका घर तवी नदी के पास है, इसलिए उमरान जहां अभ्यास करता था, वह इलाका रेतीला था. उस सतह पर दौड़ने की वजह से ही उसके शरीर का निचला हिस्सा मजबूत हो गया है.
वह बताते हैं, ‘उमरान कभी जिम नहीं गया और न ही किसी खास तरह का खानपान ही रहा. यह उसका अभ्यास, ताकत और सहनशक्ति है जिसे उसने रेतीली सतह पर दौड़ते हुए बनाया है जिसका अब उसे फायदा भी मिल रहा है.’
पिता और दोस्त भी इस बात से सहमत हैं कि किसी ने उमरान को तेज गेंदबाजी करना नहीं सिखाया—वह खासकर ब्रेट ली और बुमराह के वीडियो देखता था, लेकिन किसी से कोई प्रशिक्षण नहीं लिया.
अतीब बताते हैं, ‘मुझे हमेशा से लगता था कि वह आईपीएल जरूर खेलेगा. घंटों तक, वह ब्रेट ली के वीडियो देखता रहता थे, उसकी नकल करने के लिए नहीं, बल्कि तकनीक सीखने के लिए—हाथ और कलाई की गति कैसे नियंत्रित करते हैं, कैसे उन्होंने अपने पैरों का इस्तेमाल किया आदि. वह बुमराह की तरह गेंद को स्विंग कराने और यॉर्कर में महारत हासिल करने का इच्छुक है. यही उसका लक्ष्य है. आईपीएल के लिए रवाना होने से पहले उसने मुझसे कहा था कि वह भारत में सबसे तेज गेंदबाज बनकर वापसी करेगा और अब वह हर दिन अपना ही रिकॉर्ड तोड़ रहा है.’
पिता सब्जी और फल बेचना ही जारी रखेंगे
अपनी दुकान पर एक ग्राहक के लिए सब्जियां पैक करते हुए राशिद साफ करते हैं कि फिलहाल तो उनका अपना यह छोटा कारोबार बंद करने का कोई इरादा नहीं है. क्योंकि वह नहीं चाहते कि सफलता और प्रसिद्धि उमरान के सिर चढ़ जाए.
वह कहते हैं, ‘हम एक साधारण परिवार से आते हैं. मैं जो कर रहा हूं वह करता रहूंगा, मैं नहीं चाहता कि कामयाबी उमरान के सिर चढ़कर बोलने लगे. उसे लंबा रास्ता तय करना है. उसे भारत के लिए खेलना है, अपना नाम कमाना है. पैसा तो हाथ का मैल है. मैं तो बस इस बात से खुश हूं कि अल्लाह ने हम पर बहुत मेहरबानी की है.’
छोटे बच्चे जब राशिद के पास आते हैं, तो उनकी ओर इशारा करके कहते हैं, ‘ये उमरान के पापा हैं.’ और वे बताते हैं कि यह अहसास एकदम ‘बेजोड़’ होता है. जब वे उनके साथ फोटो खिंचवाने के लिए कहते हैं, तो वह उन्हें उमरान के आईपीएल से लौटने के बाद आने को कहते हैं.
वह मानते हैं, ‘मुझे थोड़ी झिझक महसूस होती है. जब बच्चे मुझे उमरान मलिक के पिता कहते हैं तो मैं वास्तव में उस भावना के बारे बता नहीं सकता. मेरे पास शब्द ही नहीं हैं. बहुत सारे लोग मेरे साथ फोटो क्लिक करना चाहते हैं. लेकिन मैं हंसकर टाल देता हूं और उनसे कहता हूं कि उमरान के घर लौटने के बाद आएं.’
‘बड़े दिल वाला’
ईद पर उमरान अपने परिवार से दूर था—वह दो दिन पहले धोनी को गेंद डाल रहा था और दो दिन बाद ही उसने 157 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी की थी. लेकिन परिवार हमेशा उसके दिमाग में रहता है, इसलिए उसने अपनी बहन शहनाज को मैसेज किया कि पिता के लिए एक जोड़ी ‘अच्छी चप्पलें’ खरीद ले.
शहनाज बताती है, ‘वह इतने स्ट्रेस के बीच वहां खेल रहा है, लेकिन उसे अब्बा की चप्पलें याद थीं. उसने मुझे खास तौर पर मैसेज किया, मुझसे खुद बाजार जाने और ईद के लिए नई चप्पल खरीदने के लिए कहा. मैंने उसे कुछ विकल्प भी दिखाए और हमने उनके लिए एक जोड़ी चप्पलें पसंद की. उमरान ऐसा ही ही. उसका दिल सोने का है. वह सबके बारे में सोचता है.’
यह पूछने पर कि उमरान ने उसे ईद पर क्या दिया, शहनाज कहती है, ‘वह मुझसे पूछता रहा कि मुझे क्या चाहिए. मुझे पता है कि वह बड़ा हो गया है, लेकिन मैंने उससे कहा कि जब वह वापस आएगा तो मैं उसके साथ खरीदारी के लिए जाऊंगी. अभी उसे सिर्फ अपने खेल पर ध्यान देना चाहिए.’
मां सीमा बेगम भी इससे सहमत हैं. वह बताती हैं, ‘वह मुझसे पूछता रहता है कि क्या उसे पैसे भेजने चाहिए. वह मुझे बताए बिना भी कई बार पैसे ट्रांसफर कर देता है. लेकिन मैं उसे सिर्फ अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करने और इस सबके बारे में नहीं सोचने को कहती हूं.’
जम्मू में रंग दिखा रही उमरान मलिक की सफलता
उमरान मलिक की सफलता ने जम्मू के कई बच्चों को तेज गेंदबाजी के लिए प्रेरित किया है. कोच रणधीर सिंह कहते हैं, ‘इसमें एक ग्लैमर है.’
कई बच्चे अब रणधीर सिंह के पास आते हैं और उन्हें तेज गेंदबाजी में प्रशिक्षित करने को कहते हैं.
वह हंसते हुए कहते हैं, ‘पहले युवा बल्लेबाज या ऑलराउंडर बनना चाहते थे, लेकिन अब हर कोई तेज गेंदबाज बनना चाहता है. इसमें एक ग्लैमर है, एक आकर्षण है.’
वह बताते हैं, ‘जब बच्चे मेरे पास आकर उन्हें तेज गेंदबाजी सिखाने को कहते हैं तो मैं उन्हें तब तक दौड़ाता हूं जब तक वे थक नहीं जाते. कोई भी तेज गेंदबाज बनने की ख्वाहिश रख सकता है, लेकिन मेरा मानना है कि हर किसी के पास वह गति नहीं होती. यह ऐसा कुछ नहीं है जिसमें किसी को प्रशिक्षित किया जा सकता हो. यह स्वाभाविक है, जैसे उमरान के पास है.’
उमरान के साथ अपनी पहली मुलाकात याद करते हुए रणधीर सिंह बताते हैं कि यह युवा जम्मू के नवाबाद इलाके के मौलाना आजाद स्टेडियम में उनके पास आया और गेंदबाजी का मौका मांगा. कोच ने सहमति जता दी और केवल दो या तीन डिलीवरी के बाद ही पता चला कि उन्हें एक हीरा मिल गया है.
जल्द ही रणधीर सिंह ने उन्हें मौलाना आजाद अकादमी में दाखिला लेने और अपने प्रशिक्षण को लेकर गंभीर रहने को कहा. कोच ने उन्हें अंडर-19 ट्रायल के लिए भी भेजा, जहां उन्होंने उधार के जूते पहनकर गेंदबाजी की थी.
रणधीर सिंह ने उस मैच के बारे में भी याद किया जब भारत के पूर्व विकेटकीपर अजय रात्रा द्वारा प्रशिक्षित असम रणजी ट्रॉफी टीम एक खेल के लिए जम्मू आई थी. उन्होंने हंसते हुए बताया, ‘अजय ने उमरान से पूछा कि क्या वह गेंदबाजी करना चाहता है. लेकिन उन्होंने उसे केवल 10 मिनट में भी रोक दिया, क्योंकि उन्हें डर था कि वे सभी घायल हो जाएंगे. उन्होंने कहा, ‘हमें अपने बंदे मरवाने नहीं है.’
कोच रणबीर सिंह के मन में इसे लेकर कोई संदेह नहीं है कि उमरान मलिक भारत के लिए खेलेगा, और जल्द ही खेलेगा.
वे कहते हैं, ‘हम सभी उसे नीली ड्रेस में देखने का इंतजार कर रहे हैं. मुझे यकीन है कि वह किसी अंतरराष्ट्रीय मैच में भी भारत के लिए खेलेगा, और सबसे तेज गेंदबाज के तौर पर एक नया रिकॉर्ड कायम करेगा.’
उमरान के लिए यह उसके बचपन का सपना पूरा होने जैसा होगा. फिलहाल, उसके करीबी उसे सनराइजर्स की नारंगी ड्रेस पहने और सिर घुमाकर गेंदबाजी करते और स्टंप गिराते देखकर खुश हैं.
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