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सोमवार, 9 जून, 2025
होमखेलचेस वर्ल्ड कप फ़ाइनल में इतिहास रचने से चूक गए प्रज्ञाननंदा, वर्ल्ड नंबर 1 कार्लसन ने हराया

चेस वर्ल्ड कप फ़ाइनल में इतिहास रचने से चूक गए प्रज्ञाननंदा, वर्ल्ड नंबर 1 कार्लसन ने हराया

रमेशबाबू प्रज्ञाननंदा और विश्व नंबर एक नार्वे के मैग्नस कार्लसन के बीच विश्व कप का फाइनल मुकाबला हुआ. टाईब्रेक का पहला गेम प्रज्ञाननंदा हार गए थे.

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नई दिल्ली: चेस वर्ल्ड कप फाइनल में भारत के प्रज्ञाननंदा हार गए हैं. मैग्नस कार्लसन ने वर्ल्ड नंबर 1 का खिताब अपने नाम कर लिया है. अंतर्राष्ट्रीय शतरंज महासंघ (FIDE) ने x कर इस बात की जानकारी दी है.

FIDE ने x किया, “प्रज्ञाननंद 2023 FIDE विश्व कप के उपविजेता हैं! प्रभावशाली टूर्नामेंट के लिए 18 वर्षीय भारतीय प्रतिभाशाली खिलाड़ी को बधाई! फाइनल में पहुंचने के लिए प्रगनानंद ने हिकारू नाकामुरा और फैबियानो कारूआना को हराया. ! रजत पदक जीतकर, प्रज्ञाननंद ने फिडे कैंडिडेट्स के लिए टिकट भी सुरक्षित कर लिया है.”

बता दें कि इससे पहले रमेशबाबू प्रज्ञाननंदा और विश्व नंबर एक नार्वे के मैग्नस कार्लसन के बीच विश्व कप का फाइनल मुकाबला चल रहा था. टाईब्रेक का पहला गेम प्रज्ञाननंदा हार गए थे. जबकि दूसरा मैच ड्रॉ रहा. इस कप को जीतने के लिए  प्रज्ञाननंदा को हर हाल में दूसरा गेम काले मोहरों के साथ जीतना था. जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी कार्लसन दूसरा गेम जीतकर विश्व चैंपियन का खिताब अपने नाम करने की जुगत में थे.

उतार चढाव से भरे इस मुकाबले में भारत के 18 वर्ष के प्रज्ञाननंदा ने दबाव में आकर अंक गंवा दिये. कार्लसन ने 45 चालों में पहला गेम जीता.

इस बीच फेबियानो कारूआना ने पहले टाइब्रेक मुकाबले में निजात अबासोव को हराया और अब उन्हें तीसरा स्थान हासिल करने के लिये सिर्फ ड्रॉ की जरूरत है .

बता दें कि दोनों खिलाड़ियों के बीच शुरुआती दो मुकाबले ड्रॉ रहे थे. ऐसे में यह मैच टाई ब्रेकर में पहुंच चुका है और यहां जीतने वाला खिलाड़ी ही चैंपियन बनेगा. दोनों खिलाड़ियों के बीच पहली बाजी 35 चाल के बाद ड्रॉ रही थी और दूसरी बाजी भी 30 चाल के बाद ड्रॉ रही.

जिस आर प्रज्ञाननंदा का उनके माता-पिता ने टेलीविजन से दूर रखने के लिए शतरंज से उनकी दोस्ती कराई, वही किशोर खिलाड़ी अब 64 खानों के इस खेल का नया बादशाह बनने की राह पर है.हालांकि दो मैच ड्रॉ होने के बाद तीसरा मैच टाई ब्रेक के साथ उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी ने जीत लिया है.और प्रज्ञानंनदा के सामने सिर्फ जीतता ही एक मात्र चारा रह गया है.

हालांकि इस 18 वर्षीय खिलाड़ी को पिछले कुछ समय से पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद का संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा है और उन्होंने बाकू में चल रहे फिडे विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करके इसे सही साबित भी कर दिया.

प्रज्ञाननंदा को अब कैंडिडेट टूर्नामेंट में भाग लेने का मौका मिलेगा जिसका विजेता मौजूदा विश्व चैंपियन डिंग लीरेन के सामने चुनौती पेश करेगा. आनंद के बाद प्रज्ञानानंदा दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने कैंडिडेट टूर्नामेंट में जगह बनाई है.

प्रज्ञानानंदा ने साढ़े चार साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू किया था तथा अपने करियर में वह अभी तक कई उपलब्धियां हासिल कर चुके हैं.

ऑनलाइन गेमिंग में हराया था कार्लसन को

पिछले साल उन्होंने विश्व के नंबर एक खिलाड़ी और पूर्व क्लासिकल चैंपियन मैगनस कार्लसन को एक ऑनलाइन टूर्नामेंट में हराया था. प्रज्ञाननंदा ने अब तक दिखाया है कि वह दबाव झेलने और खेल के चोटी के खिलाड़ियों को हराने में सक्षम हैं.

भारतीय शतरंज के गढ़ चेन्नई के रहने वाले प्रज्ञानानंदा ने छोटी उम्र से ही इस खेल में नाम कमाना शुरू कर दिया था. उन्होंने राष्ट्रीय अंडर सात का खिताब जीता और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह 10 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय मास्टर और उसके दो साल बाद ग्रैंड मास्टर बन गए थे.

प्रज्ञाननंदा ने 2019 में 14 साल और तीन महीने की उम्र में अपनी ईएलओ रेटिंग 2600 पर पहुंचा दी थी.

कोविड-19 के दौर में उन्होंने ऑनलाइन टूर्नामेंट में अपना जलवा दिखाया. उन्होंने 2021 में मेल्टवॉटर चैंपियंस टूर में सर्गेई कारजाकिन, तैमूूर राडजाबोव और जान क्रिजिस्टॉफ डूडा जैसे शीर्ष खिलाड़ियों को हराया जबकि कार्लसन को बराबरी पर रोका.

प्रज्ञाननंदा ने वर्ष 2022 में एयरथिंग मास्टर्स रैपिड टूर्नामेंट में कार्लसन को हराया. इस तरह से वह आनंद और हरिकृष्णा के बाद कार्लसन को हराने वाले तीसरे भारतीय खिलाड़ी बने. इसके बाद वह विभिन्न टूर्नामेंट में अपनी छाप छोड़ते रहे.

प्रज्ञाननंदा ने विशेषकर विश्वकप में दिखाया कि वह कभी हार नहीं मानते. दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी हिकारू नाकामुरा के खिलाफ उन्होंने अपने जज्बे का शानदार नमूना पेश किया तथा अपने से अधिक रेटिंग वाले खिलाड़ी को हराया.

सेमीफाइनल में उनका मुकाबला विश्व के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फैबियानो कारूआना से था जिन्हें उन्होंने रक्षण का अच्छा नमूना पेश करके टाई ब्रेकर में पराजित किया.

विश्वकप के लिए भारतीय टीम के कोच ग्रैंड मास्टर एम श्याम सुंदर ने कहा,‘‘उनकी सबसे बड़ी विशेषता खराब परिस्थिति में भी अच्छा प्रदर्शन करना है.’’

प्रज्ञाननंदा को आनंद की तरह शुरू से ही अपने परिवार विशेषकर अपनी मां का साथ मिला.उनकी मां नागालक्ष्मी प्रत्येक टूर्नामेंट के दौरान उनके साथ रहती है जिसका इस युवा खिलाड़ी को भावनात्मक लाभ मिलता है.

भारत के किशोर ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञाननंदा शतरंज विश्व कप में अपने से अधिक रेटिंग के खिलाड़ियों को हराकर नई ऊंचाइयां हासिल कर रहे हैं और सबसे दिलचस्प बात यह है कि वह अपना और अपने खेल का ध्यान खुद रखते हैं.

 करते हैं डेली रूटीन फॉलो

प्रज्ञाननंदा अभी अजरबैजान की राजधानी बाकू में हैं जबकि उनके निजी कोच आरबी रमेश किसी अन्य देश में हैं। प्रज्ञानानंदा का साथ देने के लिए उनकी मां नागालक्ष्मी उनके साथ है लेकिन खेल के लिए रणनीति बनाने में उनकी कोई भूमिका नहीं होती है.

रमेश ने कहा,‘‘ वह (प्रज्ञाननंदा) अधिकतर अपना ध्यान खुद रखते हैं और स्वयं रणनीति तय करते हैं. मैं उनके साथ केवल व्हाट्सएप पर चैट कर रहा हूं.’’

उन्होंने कहा,‘‘प्रज्ञाननंदा अपनी दैनिक दिनचर्या का पूरी तरह से पालन करते हैं जैसे कि रात नौ बजे सोना, कोई भी भोजन नहीं छोड़ना, मैच के बाद शाम को टहलना और मैच से पहले चार घंटे अभ्यास करना.’’

अपने निजी कोच की अनुपस्थिति में भी प्रज्ञाननंदा ने विश्वकप में हर अगले मैच में शानदार प्रदर्शन किया और दबाव से भरे टाईब्रेक में जीत दर्ज की. ऐसी ही एक जीत उन्होंने हमवतन अर्जुन एरिगैसी के खिलाफ भी हासिल की थी.

प्रज्ञाननंदा ने फाइनल तक की अपनी राह में विश्व के दूसरे नंबर के खिलाड़ी हिकारू नाकामुरा और विश्व के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फैबियानो कारूआना को हराया.


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