पटना: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 के सफल आयोजन के साथ बिहार ने खेल जगत में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई है.
4 से 15 मई तक पटना, गया, नालंदा (राजगीर), भागलपुर और बेगूसराय में आयोजित इस महाकुंभ में 10,000 से अधिक खिलाड़ी और सहयोगी शामिल हुए.
राज्य सरकार ने ठहरने, खानपान, यातायात और सुरक्षा से जुड़ी व्यवस्थाएं पूरी तरह अपने स्तर पर संभालीं — और हर पहलू में शानदार व्यवस्था की गई.
खिलाड़ियों को किसी असुविधा से बचाने के लिए होटलों और सरकारी अतिथिशालाओं को चुना गया. भीषण गर्मी को ध्यान में रखते हुए इंडोर कोर्ट और जर्मन हैंगर जैसी आधुनिक सुविधाएं तैयार की गईं.
बोधगया स्थित बिपार्ड के अंतर्राष्ट्रीय स्वीमिंग पूल और विशेष रबर से बने ट्रैक पर प्रतियोगिताएं कराई गईं. खिलाड़ियों के संतुलित भोजन के लिए भी तय मानकों के अनुरूप डाइट प्लान लागू किया गया.
खेलों को लेकर बिहार में बना यह माहौल कोई संयोग नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शी सोच का परिणाम है. अलग खेल विभाग बनाकर, हर जिले में स्टेडियम और खेल मैदान विकसित कर, राजगीर में अंतर्राष्ट्रीय खेल परिसर और पटना में पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स जैसे प्रोजेक्ट्स ने मजबूत आधार तैयार किया है.
खेल में पदक लाने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने की ‘मेडल लाओ, नौकरी पाओ’ योजना ने युवाओं में प्रतिस्पर्धा और जोश बढ़ाया है.
इसका असर दिखा भी — इस बार बिहार ने 36 पदक (7 स्वर्ण सहित) जीतकर अपनी पिछली उपलब्धियों को पीछे छोड़ दिया और राष्ट्रीय रैंकिंग में 14वें स्थान पर पहुंच गया.
बिहार ने इस आयोजन में किसी बाहरी एजेंसी की मदद नहीं ली. खुद की टीम ने तमिलनाडु और उत्तराखंड जैसे पूर्व आयोजकों से सीख लेकर सुनियोजित व्यवस्था की। 170 सदस्यीय आयोजन टीम, चौबीसों घंटे तैनात पुलिस बल, और डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ी गई सूचना प्रणाली ने कार्यक्रम को बिना किसी बाधा के सफल बनाया.
खेलों की यह नई लहर न सिर्फ युवाओं को प्रेरित कर रही है, बल्कि बिहार को राष्ट्रीय खेल मानचित्र पर एक नई पहचान भी दे रही है.