पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ‘भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत राज्य सरकार लगातार सख्त कदम उठा रही है. इसी क्रम में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा मंगलवार को ‘द्वितीय सतर्कता सम्मान समारोह सह कार्यशाला’ का आयोजन किया गया, जिसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने वाले अधिकारियों, लोक अभियोजकों और महत्वपूर्ण सूचनाएं देने वाले परिवादियों को सम्मानित किया गया.
ब्यूरो के महानिदेशक जितेन्द्र सिंह गंगवार ने बताया कि साल 2025 के पहले सात महीनों में ही 16 भ्रष्ट लोकसेवकों को अदालत से सज़ा दिलाई जा चुकी है, जो अब तक का रिकॉर्ड है. उन्होंने यह भी बताया कि जनवरी से जून के बीच 12 लोकसेवकों को सजा मिली है, जबकि अब भी वर्ष समाप्त होने में पाँच महीने बाकी हैं.
गंगवार ने कहा कि यह उपलब्धि तभी संभव हो पाई जब परिवादियों, निगरानी के अधिकारियों और लोक अभियोजकों के बीच बेहतर समन्वय रहा. ब्यूरो ने साल के पहले छह महीनों में 45 लोकसेवकों को रिश्वत लेते रंगेहाथों गिरफ्तार किया है. तुलना करें तो 2024 में पूरे साल में केवल 8 मामलों में 12 गिरफ्तारियां हुई थीं.
समारोह में कैमूर के आफताब आलम और नालंदा के परमानन्द कुमार जैसे परिवादियों को उनके साहस और सतर्कता के लिए प्रशस्ति पत्र और हरित पौधे देकर सम्मानित किया गया. इस दौरान आईजी गरिमा मल्लिक, डीआईजी नवीन कुमार झा, और मृत्युंजय कुमार चौधरी समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.
गंगवार ने घोषणा की कि निगरानी से सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को यदि वे किसी मामले में गवाही देने कोर्ट जाते हैं, तो उन्हें अब दो दिनों का दैनिक और यात्रा भत्ता दिया जाएगा.
उन्होंने कहा, “हम केवल उन मामलों की समीक्षा नहीं कर रहे जिनमें सजा हुई है, बल्कि उन मामलों का भी अध्ययन किया जा रहा है जिनमें अभियुक्त बरी हो गया. इससे हमारी जांच प्रक्रिया में सुधार होगा.”
आईजी गरिमा मल्लिक ने कहा, “किसी भी भ्रष्ट लोकसेवक को पकड़वाने में परिवादी की भूमिका सबसे अहम होती है. इसके बाद धावादल, सत्यापनकर्ता, अनुसंधानकर्ता और लोक अभियोजक के बीच समन्वय से ही मुकदमों को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है.”