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Monday, 4 November, 2024
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संजय राउत का ‘फ्रॉड लिंक’ लगातार किरीट सोमैया-बनाम-शिवसेना लड़ाई का नया चैप्टर बना हुआ है

सोमैया और शिवसेना के बीच शब्दों की जंग 2017 के BMC चुनावों से पहले शुरू हुई थी, जो शिवसेना और BJP ने राज्य सरकार में सहयोगी होने पर भी अलग अलग लड़े थे. पिछले दो दिनों में दोनों पक्षों की ओर से और आरोप देखे गए.

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मुंबई: मंगलवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने जल्द ही एक बड़ा धमाका करने का वादा किया और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कई नेताओं, ख़ासकर किरीट सोमैया के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी.

ये कहते हुए कि उनके आरोप ‘सिर्फ एक ट्रेलर’ थे और आगे चलकर और ख़ुलासे होने वाले हैं, राउत ने मांग उठाई कि सोमैया और उनके बेटे नील को, पंजाब व महाराष्ट्र सहकारी बैंक में करोड़ों के घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया जाए. राउत ने आरोप लगाया कि नील राकेश वधावन के कारोबार में साझीदार था, जो इस मामले में अभियुक्त है.

राउत की मंगलवार की कांफ्रेंस के बाद पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने बुधवार सुबह अपनी प्रेस वार्त्ता की, जहां उन्होंने राउत और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के खिलाफ जवाबी आरोप लगाए. राउत ने ट्विटर पर कटाक्ष करते हुए जवाब दिया और कहा कि सोमैया एक ब्लैकमेलर थे, और ‘उनके जबरन वसूली रैकेट के पीड़ित अब मुंह खोल रहे हैं.’

आरोप-प्रत्यारोपों का ये सिलसिला प्रमुखता से ख़बरों में बने रहने के लिए किया गया, लेकिन किरीट सोमैया-शिवसेना की ये मुक्केबाज़ी ऐसी है, जो पिछले पांच वर्षों में कई बार देखी गई है.

सोमैया और शिवसेना के बीच झगड़े का पहला राउण्ड, 2017 के मुम्बई निकाय चुनावों से कुछ महीने पहले शुरू हुआ था, जो शिवसेना और BJP ने अलग-अलग लड़े थे. इस साल फिर से निकाय चुनाव आ रहे हैं, इसलिए हमले और जवाबी हमले और तेज़ हो गए हैं.

दिप्रिंट से बात करते हुए, राजनीतिक टिप्पणीकार हेमंत देसाई ने कहा, ‘किरीट सोमैया के साथ शिवसेना की प्रतिद्वंदिता बहुत पुरानी नहीं है. सोमैया ने 2017 के चुनावों से पहले ही, मुम्बई नगर इकाई में भ्रष्टाचार को लेकर, शिवसेना को निशाना बनाना शुरू कर दिया था और उन्होंने ठाकरे परिवार की ओर सीधा इशारा करते हुए, उसे एक ‘माफिया राज’ कहा था’.’

उन्होंने आगे कहा, ‘2019 के बाद शिवसेना पर उनके हमले और तेज़ हो गए, जब उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं मिला, जो शिवसेना और बीजेपी ने गठबंधन में लड़ा था’.

शिवसेना-सोमैया टकराव के बीज

68 वर्षीय सोमैया, जो एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, दो बार के सांसद हैं जिन्हें उनकी राजनीतिक सक्रियता, परदे के पीछे बीजेपी के जांचकर्त्ता होने की लगन, सूचना अधिकार के अनुरोध दायर करने और राजनीतिक विरोधियों से टकराने की ख़ातिर, अधिकारिक रिकॉर्ड्स तक पहुंच रखने के लिए जाना जाता है.

बीजेपी और शिवसेना ने 2017 के मुम्बई निकाय चुनाव विरोधियों की तरह लड़े थे, हालांकि उस समय वो एक गठबंधन में महाराष्ट्र सरकार चला रहे थे.

बीजेपी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि 2016-17 में बीएमसी चुनावों से पहले ही, आशीष शेलर और सोमैया जैसे नेता विरोधियों की तरह चुनाव लड़ने की तैयारियों में, शिवसेना पर निशाना साध रहे थे, जबकि तत्कालीन सीएम देवेंद्र फड़णवीस एक अच्छे पुलिसकर्मी की भूमिका निभाते हुए, शिवसेना के साथ दोस्ताना रिश्ते बनाए रखने की कोशिश कर रहे थे.

नगर निकाय के कामकाज में पारदर्शिता की कमी को लेकर, सोमैया लगातार शिवसेना-संचालित बृहन्मुम्बई नगर निगम (बीएमसी) पर निशाना साधते रहते थे और उन्होंने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को अपनी संपत्तियां सार्वजनिक करने के लिए भी ललकारा था. चुनाव प्रचार के दौरान सोमैया आरोप लगाते रहे कि बीएमसी को ‘बांद्रा का एक माफिया’ चला रहा है, जिसमें उनका गुप्त इशारा ठाकरे की तरफ था जिनका आवास, मातोश्री, उपनगर में स्थित है. 2016 में दशहरे के अवसर पर शिवसेना कार्यकर्त्ताओं ने कथित रूप से, सोमैया पर उनकी टिप्पणियों के लिए हमला किया.

सोमैया का एक और आरोप ये था कि बीएमसी ठेकों से मिले रिश्वत के पैसे को सफेद करने के लिए शिवसेना के नेता शेल कंपनियों के एक जाल का इस्तेमाल कर रहे थे. उन्होंने ऐसी सात कंपनियों के नाम भी गिना दिए.


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2019 के बाद शिवसेना की सोमैया से दुश्मनी

हालांकि, शिवसेना 2019 तक राज्य और केंद्र में, बीजेपी के साथ गठबंधन में बनी रही, लेकिन सोमैया के आक्रामक रुख़ को देखते हुए, पार्टी ने इस नेता को अपनी ब्लैकलिस्ट पर रख दिया.

2019 में, जब शिवसेना और बीजेपी ने चुनाव-पूर्व गठबंधन में, लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया, तो शिवसेना नेताओं ने तब के मौजूदा सांसद सोमैया के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया, जिसके नतीजे में बीजेपी को उन्हें हटाना पड़ा.

2019 असेम्बली चुनावों के बाद जब से दोनों पार्टियां अलग हुईं, तब से सोमैया ने अपने हमले तेज़ कर दिए हैं और वो बहुत से शिवसेना नेताओं की कथित अवैध ज़मीनों, और निर्मित संपत्तियों पर सवाल उठा रहे हैं- जिनमें रवींद्र वायकर से लेकर अनिल परब, सीएम ठाकरे के निजी सहायक मिलिंद नारवेकर और ख़ुद सीएम तक शामिल हैं.

शिवसेना एमएलसी मनीषा कयांदे ने दिप्रिंट से कहा, ‘सोमैया के पूर्व चुनाव क्षेत्र उत्तर पूर्व मुम्बई में शिवसेना बहुत मज़बूत है, और बीजेपी के साथ गठबंधन उनकी जीत में हमेशा सहायक रहा था. लेकिन पिछले कुछ सालों में, शिव सैनिकों ने देखा कि उनका नज़रिया बहुत मराठी-विरोधी था. सोमैया ने बहुत व्यवस्थित तरीक़े से शिवसेना के खिलफ लोगों में नफरत फैलाई और वो एक ऐसी चीज़ थी जिसे हमारे पार्टी सदस्य कभी हज़म नहीं कर पाए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘सोमैया ने हमेशा चालबाज़ियां करके ध्यान खींचने की कोशिश की है. उनके कोई भी आरोप साबित नहीं हुए हैं’.


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सबसे हालिया आरोप

पिछले सप्ताह, राउत ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि शिवसेना नेताओं और उनके परिजनों को निशाना बनाने के लिए, बीजेपी केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है.

पिछले दो वर्षों में, प्रवर्त्तन निदेशालय ने एमवीए पार्टियों से जुड़े कम से कम आधा दर्जन नेताओं के खिलाफ, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कार्रवाई की है. ऐसे कई मामलों में सोमैया ने कई नेताओं के खिलाफ, सार्वजनिक रूप से रिश्वत के आरोप लगाए थे.

इसी महीने सोमैया ने आरोप लगाया था कि राउत के सहायक सुजीत पाटकर की एक कंपनी को, कोविड देखभाल केंद्रों से जुड़े ठेके दिए जाने में रिश्वत ली गई थी. ईडी ने भी इस महीने पात्रा चाल ज़मीन मामले में, पाटकर के आवास और दफ्तरों पर छापेमारी की थी, जिसमें प्रवीण राउत और संजय राउत के एक और सहायक को भी गिरफ्तार किया गया है और संजय राउत का नाम भी सामने आया है.

उसके बाद मंगलवार को दादर के शिवसेना भवन में एक बड़े शक्ति प्रदर्शन के बीच, संजय राउत ने एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया, जहां उन्होंने सोमैया पर हमला करते हुए उन्हें ‘ईडी का एजेंट’ और ‘पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाले का मास्टरमाइंड’ क़रार दिया. प्रेस कांफ्रेंस में बहुत से काडर और वरिष्ठ शिवसेना नेता मौजूद थे.

इस बीच, सोमैया ने आरोपों की अहमियत को ख़ारिज कर दिया. मंगलवार को सिलसिलेवार ट्वीट्स में, बीजेपी नेता ने कहा, ‘अभी तक, उस सरकार (ठाकरे सरकार) के नेताओं ने मेरे ऊपर 10 मामले दर्ज कराए हैं, तथा तीन और पाइपलाइन प्रक्रिया में हैं…मैं उनकी (राउत) की स्थिति समझता हूं. मैं एक और केस/जांच का स्वागत करता हूं. हमने कुछ ग़लत नहीं किया है. किसी भ्रष्ट काम में शामिल नहीं हुए हैं’.

उन्होंने ये भी पूछा कि ठाकरे सरकार या राउत, कोविड केयर सेंटर ठेके दिए जाने और प्रवीण राउत तथा पाटकर से रिश्तों के बारे में उनके आरोपों का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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