नई दिल्ली: बिट्रेन के अखबार द टाइम मंडे की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की प्राइवेट सैन्य कंपनी वैगनर ग्रुप के सैनिक, यूक्रेन की राजधानी में हैं और क्रेमलिन के आदेश पर उन्हें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की हत्या करने के लिए भेजा गया है. क्रेमलिन में रूस के राष्ट्रपति का आवास है. हाल ही में इस ग्रुप को यूरोपियन यूनियन ने प्रतिबंधित किया है. ईयू ने इस ग्रुप पर मानव अधिकारों के हनन का आरोप लगाया है.
इस ग्रुप पर रूस की सरकार के लिए छिपे तौर पर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में सैन्य गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप है. इस ग्रुप की मौजूदगी गृहयुद्ध झेल रहे लीबिया के साथ ही सीरिया, मोज़ाम्बिक, माली, सूडान और मध्य अफ्रीकी गणराज्य में रही है.
अक्टूबर 2015 से लेकर कम से कम 2018 तक वैगनर ने रूस की सेना के साथ के साथ लड़ाई में शामिल थी. इसके अलावा, वह बसर-असर के शासनकाल में सीरिया युद्ध में भी रूस की ओर से लड़ाई लड़ चुकी है.
रूस की सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट दमित्रि उत्किन को इस ग्रुप का संस्थापक माना जाता है. उत्किन रूसी फेडरेशन की मुख्य एजेंसी जीआरयू के लिए भी काम कर चुके हैं.
यह कुख्यात प्राइवेट सेना साल 2014 के डोनबास विवाद में भी सक्रिय थी. इसके अलावा यह ‘यूक्रेन के फासिस्टों’ के खिलाफ भी लड़ाई लड़ चुकी है. कुछ विशेषज्ञों का आरोप है कि उत्किन और उसकी प्राइवेट सेना ‘असल में’ खुद ‘नियो-नाजी’ हैं.
पिछले सप्ताह पड़ोसी देश यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई करने की घोषणा के बाद रूस के राष्ट्रपति ने यूक्रेन के ‘नाजीकरण के नाश’ करने की बात कही थी.
वैगनर ग्रुप क्या है?
वैगनर ग्रुप, सैन्य और सुरक्षा सेवा देने वाली प्राइवेट कंपनी है. इसकी स्थापना 2014 में हुई थी. क्रेमलिन, इसका इस्तेमाल अपनी रणनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए करता है. हालांकि रूस इस बात से इनकार करता रहा है.
साल 2017 में ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस ग्रुप में 6,000 प्राइवेट सैनिक हैं.
अमेरिका की थिंकटैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज (सीएसआईएस) के मुताबिक, वैगनर ग्रुप को कागज पर प्राइवेट स्वामित्त वाली मैनेजमेंट और ऑपरेशन्स की सेवा देने वाली कंपनी के तौर पर दिखाया जाता है, लेकिन रूस की सेना और इंटेलिजेंस कम्यूनिटी के साथ इसके संबंध ‘गहरे गूथें’ हुए हैं.
साल 2020 में प्रकाशित सीएसआईएस की रिपोर्ट के मुताबिक, शीत युद्ध के बाद, देश की सरकार और गैर सरकारी संस्थानों में प्राइवेट सिक्यूरिटी कंपनी (पीएससी) और प्राइवेट मिलिट्री कंपनी (पीएमसी) की मांग में तेजी आई. ये मिलिशिया (पार्ट टाइम सैनिक या नागरिक सेना) आमतौर पर ‘फ्रीलांस सैनिक’ होते हैं. ये सस्ते और अपने काम को बेहतर तरीके से अंजाम देते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि इनकी छोटी संख्या को किसी खास मिशन पर भेजा जा सकता है. इसके साथ ही, इस तरह के ग्रुप की जवाबदेही कम होती है.
अमेरिकी सरकार भी प्राइवेट सैन्य कंपनी ब्लैक वाटर जैसी पीएमसी का इस्तेमाल करती है, जिसे अब ACADEMI के नाम से जाना जाता है. सितंबर 2007 में प्राइवेट सेना ब्लैकवाटर को अमेरिकी सरकार ने इराक युद्द में कॉन्टैक्ट दिया था. रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी कार्रवाई में बगदाद के निसोर स्क्वायर में 17 नागरिकों की जान चली गई थी. इसके बाद चार ब्लैक वाटर के सैनिकों को जेल हुई थी. दिसंबर 2020 में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इन्हें माफ कर दिया था.
वैगनर ग्रुप पर भी क्रूरता के आरोप लगे हैं. दिसंबर 2021 में, यूरोपीय संघ ने मध्य अफ्रीकी गणराज्य में कथित मानवाधिकारों के हनन के मामले में ग्रुप के आठ व्यक्तियों और तीन यूनिट पर प्रतिबंध लगाए.
ईयू की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘वैगनर ग्रुप, प्राइवेट सैन्य कर्मचारियों की भर्तियां करता है, उन्हें प्रशिक्षित करता है और उन्हें निजी सैन्य कार्रवाई के लिए दुनिया भर के विवादित क्षेत्रों में भेजता है, ताकि हिंसा को बढ़ाया जा सके, प्राकृतिक संसाधनों की लूट की जा सके और नागरिकों से अपनी बात को मनवाया जा सके. इसके लिए ये अंतरराष्ट्रीय कानूनों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का भी उल्लंघन करते हैं.’
इस ग्रुप पर यूक्रेन के डोनबास जैसे क्षेत्रों में यातना देने, मनमाने तरीके से फैसला देने, हत्या करने और ‘अस्थिरता की कार्रवाई’ करने के आरोप लगे हैं.
दामित्रि युत्किन कौन हैं?
स्पेशल फोर्स के पूर्व कर्नल दामित्रि युत्किन को वैगनर ग्रुप का संस्थापक और कमांडर माना जाता है. मिलिट्री कम्युनिकेशन में युत्किन के लिए इस्तेमाल होने वाला यूनिक साइन ‘वैगनर पीएमसी’ के नाम पर ही इस ग्रुप का नाम रखा गया है. इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है कि युत्किन ने इस ग्रुप को बनाया है या फिर उन्होंने रूस की सरकार के कहने पर ऐसा किया है.
युत्किन चेचेन की लड़ाई (1994-96 और 1999-2009) लड़ चुके हैं. साथ ही, वह 2014 में रूस की ओर से यूक्रेन में की गई कार्रवाई का भी हिस्सा थे.
यूत्किन साल 2013 तक जीआरयू में थे और लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक तक पहुंचे. वह एक अन्य पीएमसी मोरन सिक्यूरिटी ग्रुप के सदस्य भी हैं.
मार्च 2021 में यूत्किन की एक तस्वीर ऑनलाइन सामने आई. आरोप है कि उस तस्वीर में उनकी पसली और सीने पर तीन टैटू दिख रहे हैं जो वैफेन एसएस से संबंध रखते हैं. वैफेन एसएस, जर्मनी की नाजी पार्टी की बनाई हुई एसएस संस्था की एक सैन्य टुकड़ी थी.
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Former @RT reporter says he was asked to 'spy' on Navalny in German hospital after he was poisoned in Siberia.
Link: https://t.co/de4yEaww9z— MrRevinsky (@Kyruer) March 12, 2021
गैर लाभकारी पत्रिका रेस रिपब्लिका में प्रकाशित एक स्टडी पेपर में लुकास एंड्रीयूकैटिस इन टैटू के नियो-नाजी जुड़ाव की व्याख्या करते हैं. लुकास एंड्रीयूकैटिस अटलांटिक काउंसिल के डिजिटल फोरेंसिक रिसर्च लैब (डीएफआर लैब) के एसोसिएट डायरेक्टर हैं.
एंड्रीयूकैटिस लिखते हैं, ‘इन फोटो को करीब से देखें, यूत्किन के शरीर के बांये हिस्से में नाजी कॉलर टैब के साथ वैफेन एसएस का लोगो और दाहिने हिस्से में मिलिटरी रैंक दिखते हैं. उनकी छाती के निचले हिस्से में आप रीचसैडलर ईगल देख सकते हैं. ये तीनों टैटू एसएस संस्था की वैफेन-एसएस सैन्य टुकड़ी से ली गई थी जिसे जर्मन नाजी पार्टी ने बनाया था.’
दिसंबर 2016 में, रूस की न्यूज वेबसाइट फोनटंका ने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें क्रेमलिन में (रूसी राष्ट्रपति आवास पर) उन्हें यूक्रेन में उनकी सेवा के लिए सैन्य सम्मान लेते हुए देखा जा सकता है.
Вагнер в Кремле https://t.co/V7DdQZmzOM pic.twitter.com/gofj7eKdAM
— Фонтанка. Новости (@fontanka_news) December 12, 2016
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