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Monday, 18 November, 2024
होमरिपोर्ट‘गुस्से का समय नहीं है’, लोकसभा चुनाव से बाहर रहने के बाद, RSS हरियाणा में BJP के लिए जोरदार प्रचार कर रहा

‘गुस्से का समय नहीं है’, लोकसभा चुनाव से बाहर रहने के बाद, RSS हरियाणा में BJP के लिए जोरदार प्रचार कर रहा

केंद्र में भाजपा सरकार के कम होते बहुमत और हरियाणा में चुनौतियों के साथ, भाजपा-आरएसएस मतदान के दिन मतदाताओं को संगठित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, राज्य में राष्ट्रवादी सरकार की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं.

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कुरुक्षेत्र/गुरुग्राम: हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के हर घर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं द्वारा एक पर्चा बांटा जा रहा है जिसमें लिखा है कि “सामाजिक रूप से जागरूक लोग जानते हैं कि जाति की राजनीति समाज को तोड़ती है. एकता और भाईचारा बनाए रखना जिम्मेदार लोगों का कर्तव्य है.”

आगे इसमें लिखा है, “एक व्यक्ति 4 वर्ष 11 महीने 364 दिन बोलते रहें, कोसते रहें, प्रश्न करते रहें. यदि एक दिन वोट डालने नहीं गए, तो हमें कोई अधिकार नहीं बोलने का कोसने का या प्रश्न करने का.”

पहली नज़र में देखें तो यह पर्चा राजनीतिक रूप से तटस्थ लगता है. यह मतदाता से किसी एक राजनीतिक दल के पक्ष में अपना वोट डालने के लिए नहीं कहता है. मतदाता जागरूकता अभियान: 100 प्रतिशत मतदान, शीर्षक से जारी इस अभियान की अपील बहुत सीधी-सादी है – प्रत्येक मतदाता का कर्तव्य है कि वह अपना वोट डाले.

लेकिन इसके अलावा, पर्चे में मतदाताओं से कुछ सवाल पूछे गए हैं. “क्या मैं जाति के आधार पर वोट कर रहा हूं?”, “क्या मैं वोट देते समय राष्ट्रीय और राज्य तथा जनहित को ध्यान में रख रहा हूँ?”, “क्या मेरा वोट अराजकता फैलाने वाली और समाज में विभाजन पैदा करने वाली पार्टियों को जा रहा है?”

राज्य में भाजपा के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “अगर कोई भी 2+2 करेगा, तो इन सवालों का उत्तर भाजपा ही आएगा.

पर्चे में आगे कहा गया है, “कुछ पार्टियां हमेशा तुष्टीकरण, छद्म धर्मनिरपेक्षता, धर्म-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी और अवसरवाद की राजनीति करती हैं. देश और राज्य के लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है.”

The pamphlet being distributed by Rashtriya Swayamsevak Sangh | Sanya Dhingra | ThePrint
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा वितरित किया जा रहा पर्चा | सान्या ढींगरा | दिप्रिंट

अधिकांश चुनावों के दौरान, यह भाजपा के लिए जमीनी स्तर पर आरएसएस स्वयंसेवकों द्वारा किए जाने वाले नियमित प्रचार का हिस्सा होता है. लेकिन हरियाणा में प्रचार इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भाजपा और उसके वैचारिक गुरु के बीच संबंधों में खटास और गूढ़ तीखे कटाक्षों के आदान-प्रदान की महीनों की अटकलों के बाद हो रहा है.

केंद्र में भाजपा सरकार के कम होते बहुमत और हरियाणा में पार्टी के मुश्किल में होने के कारण, ऐसा लगता है कि दोनों ने कम से कम जमीनी स्तर पर अपने मतभेद भुला दिए हैं.

इस साल की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनावों के विपरीत, आरएसएस हरियाणा में भाजपा के लिए प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. राज्य में आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “आरएसएस कार्यकर्ताओं (स्वयंसेवकों) की पूरी मशीनरी ऊपर से नीचे तक चुनाव के लिए अथक परिश्रम कर रही है.”

नियमित समीक्षा बैठकें (दोनों संगठनों के सदस्यों के बीच बैठकें), आरएसएस स्वयंसेवकों द्वारा घर-घर जाकर प्रचार करना, हर घर में मतदाता पर्चियों का कुशल वितरण, कार्यकर्ताओं द्वारा भाजपा को ज़मीनी स्तर से नियमित रूप से फीडबैक देना और यहां तक ​​कि किस राष्ट्रीय नेता को किस निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार करना चाहिए, इस बारे में अधिक से अधिक जानकारी देना – हरियाणा में भाजपा के अभियान में आरएसएस की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

ऊपर उद्धृत आरएसएस नेता ने कहा, “हरियाणा के 6,000 से ज़्यादा गांवों में हज़ारों आरएसएस टोलियां (स्वयंसेवकों के समूह) हैं जो अभी घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं. मुझे लगता है कि अब तक हम हर घर में कम से कम दो बार जा चुके होंगे.”

नेता ने कहा कि पिछली बार बहुत से स्वयंसेवकों को लगा कि सत्ता में “हमारे” होने के बावजूद उनका निजी काम नहीं हुआ है. इस चुनाव से पहले, संघ के वरिष्ठ नेतृत्व ने सभी स्वयंसेवकों से चर्चा की और उन्हें समझाया कि “यह समय नाराज़गी प्रकट करने का नहीं है.

टिकट चयन में RSS का दखल

नेता ने कहा, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा के रवैये में महत्वपूर्ण बदलाव आया है. उन्होंने कहा, “पिछली बार, उन्होंने उम्मीदवारों के बारे में फीडबैक नहीं लिया. इस बार, हमारे फीडबैक के आधार पर कई निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार बदले गए हैं…हमने ज़्यादातर जगहों पर किसी के टिकट नहीं काटे हैं, बल्कि सिर्फ़ उनके निर्वाचन क्षेत्रों की अदला-बदली की है, और भाजपा 80 प्रतिशत मामलों में सहमत थी.”

उदाहरण के लिए, कुरुक्षेत्र में, आरएसएस नेताओं ने दावा किया कि नौ विधानसभा क्षेत्रों में से छह के उम्मीदवारों की अदला-बदली आरएसएस के फीडबैक के आधार पर की गई. नेताओं ने कहा कि इनमें लाडवा से मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की उम्मीदवारी भी शामिल है.

दूसरे नेता ने कहा, “ज़मीन से हमें जो महत्वपूर्ण फीडबैक मिला, वह यह था कि सत्ता विरोधी लहर भाजपा के खिलाफ़ नहीं थी, बल्कि कुछ खास लोगों के खिलाफ़ थी. लोकसभा चुनावों के विपरीत, इस बार उन्होंने हमारी बात सुनी और इस फीडबैक के आधार पर उम्मीदवार बदल दिए.”

नेता ने कहा, “हमें फीडबैक मिल रहा था कि किस राष्ट्रीय नेता की किस निर्वाचन क्षेत्र में मांग है…इसलिए हम सक्रिय रूप से उनसे संवाद कर रहे थे. ज़्यादातर मामलों में, उन्होंने हमारे फीडबैक के अनुसार ही प्रधानमंत्री, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ, नितिन गडकरी जैसे नेताओं के प्रचार की योजना बनाई.”

नेता के अनुसार, लोकसभा क्षेत्रों के स्तर पर कम से कम चार से पांच समीक्षा बैठकें हुई हैं, जिला स्तर पर लगभग छह से सात बैठकें हुई हैं, इसके अलावा विधानसभा क्षेत्रों के स्तर पर “हर दूसरे दिन” एक बैठक हुई है.

नेता ने कहा कि आरएसएस स्वयंसेवकों के सक्रिय प्रचार की वजह से भाजपा के अभियान को कुछ विश्वसनीयता मिली है. “एक सामाजिक संगठन के रूप में, लोग राजनीतिक पार्टी की तुलना में हमारी बात अधिक सुनते हैं, इसलिए उनका विश्वास और स्वीकृति अधिक है…इससे निश्चित रूप से जमीनी स्तर पर फर्क पड़ा है.”

दोनों वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, आरएसएस ने पांच आयाम या श्रेणियां बनाई हैं, जिन पर ध्यान केंद्रित करना है- महिलाएं, अनुसूचित जातियां, सिख, युवा और सोशल मीडिया आउटरीच.

पहले नेता ने कहा, “उदाहरण के लिए, हम सिख समाज के बीच फैली गलत सूचनाओं को दूर करने की सक्रिय रूप से कोशिश कर रहे हैं और टारगेटेड कैंपेन के माध्यम से भाईचारे का संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें तथाकथित किसान आंदोलन के बारे में गलत सूचनाओं को दूर करना भी शामिल है.”

उन्होंने सिख विरोधी दंगों का जिक्र करते हुए कहा, “हम लोगों को 1984 की याद भी दिला रहे हैं.”

दूसरे नेता ने कहा कि पिछले चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन का एक बड़ा कारण यह था कि मतदाता पर्चियों का वितरण ठीक से नहीं किया गया था. उन्होंने कहा, “हमने इस पर बहुत ज़ोर दिया है क्योंकि इस तरह आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि मतदान के दिन अधिक से अधिक लोग घरों से बाहर आएं.”

हर मतदाता पर्ची के साथ भाजपा सरकार की उपलब्धियों का बखान करने वाला एक छोटा सा पैम्फलेट भी जुड़ा हुआ है.

उन्होंने कहा, “इस बार हमारे स्वयंसेवकों ने गांवों में जाकर मतदान पर्चियां बांटी हैं. पिछली बार कार्यकर्ता का दिल उदास था, इस बार वो ज़मीन-आसमान एक करके काम कर रहा है.

‘हरियाणा में राष्ट्रवादी सरकार की जरूरत’

आरएसएस जिस मुख्य मुद्दे पर जोर दे रहा है, वह है राष्ट्रीय सुरक्षा.

तीसरे नेता ने कहा, “आरएसएस के स्वयंसेवक लोगों को बता रहे हैं कि कश्मीर में मोहम्मद ही सीएम बनेगा, पंजाब और दिल्ली में पहले से ही टोपी वालों का शासन है…इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हरियाणा को राष्ट्रवादी सरकार चुननी चाहिए.”

नेता ने कहा, “आरएसएस कभी भी लोगों को यह नहीं बताता कि किसे वोट देना है. लेकिन यह सिर्फ़ वोट डालने के कर्तव्य के बारे में जागरूकता पैदा करता है और व्यापक विषयों को रेखांकित करता है जिसके आधार पर लोगों को अपनी पसंद-नापसंद बनानी चाहिए.”

पहले जिसका ज़िक्र किया गया है, उस आरएसएस नेता ने आरएसएस द्वारा किए जा रहे राष्ट्रवादी प्रचार की पुष्टि की. उन्होंने कहा, “हम लोगों को बता रहे हैं कि हरियाणा सुरक्षित है, इसका कारण यह सरकार है. अगर वे (गैर-भाजपा सरकार) सत्ता में आते हैं, तो सबसे पहला काम सिंघु बॉर्डर को खोलना होगा.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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