scorecardresearch
Saturday, 2 November, 2024
होमरिपोर्टअफगानिस्तान में तालिबान ने सभी राजनीतिक दलों पर लगाया प्रतिबंध, 200 से अधिक मीडिया आउटलेट्स बंद

अफगानिस्तान में तालिबान ने सभी राजनीतिक दलों पर लगाया प्रतिबंध, 200 से अधिक मीडिया आउटलेट्स बंद

तालिबान सरकार ने आमतौर पर राजनीतिक गतिविधियों की अनुमति नहीं दी है. देश में 200 से अधिक मीडिया आउटलेट बंद हो गए हैं, इनमें से कई के बंद होने का कारण वित्तीय मुद्दों को बताया जा रहा है.

Text Size:

नई दिल्ली: तालिबान ने अफगानिस्तान में सभी राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगा दिया है और गतिविधियां पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं.

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिम न्याय मंत्री शेख मौलवी अब्दुल हकीम शराई ने कहा कि अफगानिस्तान में राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध है.

अंतरिम न्याय मंत्री शेख मौलवी ने कहा, “देश में राजनीतिक दलों की गतिविधियां पूरी तरह से बंद कर दी गई हैं क्योंकि न तो इन पार्टियों की शरिया में कोई हैसियत है, न ही शरिया में कोई जगह है और न ही इन पार्टियों से कोई राष्ट्रीय हित जुड़ा है या देश इन्हें पसंद करता है.”

अफगान तालिबान के मीडिया आउटलेट द्वारा जारी एक बयान के हवाले से डॉन ने कहा, अब्दुल हकीम शराई ने बुधवार को काबुल में अपने मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट पेश करते हुए यह बात कही.

बयान के मुताबिक, अफगान तालिबान एक आंदोलन के रूप में सत्ता पर एकाधिकार जारी रख सकता है और उसका देश में राजनीतिक बहुलता की अनुमति देने का कोई इरादा नहीं है.

यह स्पष्ट नहीं है कि प्रतिबंध कब लगाया गया था, लेकिन अफगान तालिबान अधिक समावेशी सरकार बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि उनकी ‘अंतरिम सरकार’ में सभी जातियों और जनजातियों के प्रतिनिधि थे और इसका आधार व्यापक था.

अफगान तालिबान पिछली सरकार के “बदनाम और कठपुतली राजनेताओं” को शामिल करने का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि उनकी भागीदारी विदेशी कब्जे वाली ताकतों और उनके “कठपुतली” और “पिल्ले” के खिलाफ उनके लंबे संघर्ष के साथ विश्वासघात होगी.

हालांकि, तालिबान सरकार ने आमतौर पर राजनीतिक गतिविधियों की अनुमति नहीं दी है, लेकिन इसे इस संबंध में पहले आधिकारिक बयान के रूप में देखा जा रहा है.

वहीं, तालिबान के कब्जे के बाद से देश में 200 से अधिक मीडिया आउटलेट बंद हो गए हैं, इनमें से कई बंद होने का कारण उन वित्तीय मुद्दों को बताया जा रहा है जिनका सामना उन्हें आर्थिक संकट के कारण करना पड़ा है.

अफगानिस्तान इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट एसोसिएशन (एआईजेए) ने अपने नवीनतम निष्कर्षों में खुलासा किया कि देश में पत्रकारों से जुड़ी हिंसा और गिरफ्तारी के 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए. रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में 13 पत्रकार अब भी कैद में हैं.

खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एआईजेए के निष्कर्षों के अनुसार, कई महिलाओं सहित 7,000 से अधिक मीडिया पेशेवरों ने अपनी नौकरी खो दी, जिससे कई लोगों को विदेशी अवसरों की तलाश करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

रिपोर्ट के अनुसार, इन कुशल पेशेवरों का जाना घरेलू मीडिया उद्योग के नुकसान को दर्शाता है और आवाज़ों और विचारों की विविधता के बारे में चिंताएं पैदा करता है जो एक संपन्न मीडिया पारिस्थितिकी तंत्र की पहचान रही हैं.

अफगानिस्तान इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रमुख हुजातुल्लाह मुजादीदी ने कहा, “इस्लामिक अमीरात की जीत से पहले, हमारे पास अफगानिस्तान में 600 मीडिया आउटलेट थे, जिनमें से 213 मीडिया आउटलेट वर्तमान में बंद हैं; उनमें से ज्यादातर प्रिंट मीडिया आउटलेट थे.”

मुजादीदी ने कहा, “हमारे 13 या 12 पत्रकार कैद में हैं, जिनमें से एक (अफगान-फ्रांसीसी पत्रकार मोर्टेज़ा) बेहबूदी है; एक अन्य (हिरासत में है), लेकिन उनकी कंपनी ने उनकी नौकरी की पुष्टि नहीं की है और आठ अन्य लोग हैं जिन्हें पिछले दो या तीन दिनों में गिरफ्तार किया गया है.”

कई पत्रकारों ने माना है कि मीडिया पर प्रतिबंध और तालिबान के नेतृत्व वाले सरकारी संस्थानों से समय पर जानकारी की कमी के कारण उनके लिए काम की स्थितियां चुनौतीपूर्ण हो गई हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तालिबान द्वारा हाल ही में कई पत्रकारों की गिरफ्तारी से मीडियाकर्मियों में भय और निराशा फैल गई है.

खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने की शुरुआत में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) की एक रिपोर्ट से पता चला है कि तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में 80 प्रतिशत से अधिक महिला पत्रकारों को अपना काम छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2021 में पंजीकृत 547 मीडिया आउटलेट्स में से 50 प्रतिशत से अधिक गायब हो गए हैं. आरएसएफ की रिपोर्ट से पता चला कि 307 रेडियो स्टेशनों में से केवल 170 सक्रिय रूप से प्रसारण कर रहे हैं. इसके अलावा, पिछले दो वर्षों के भीतर समाचार एजेंसियों की संख्या 31 से घटकर 18 हो गई है.


यह भी पढ़ें: गहलोत महंगाई राहत के तहत गैस, बिजली और पेंशन दे रहे, लेकिन अब लोगों को सेलफोन का इंतजार है


 

share & View comments