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Sunday, 24 November, 2024
होमदेशसनातन संस्था द्वारा जगरनॉट बुक्स पर 10 करोड़ रुपए का मानहानि का दावा खारिज, प्रकाशक ने कहा-बड़ी जीत

सनातन संस्था द्वारा जगरनॉट बुक्स पर 10 करोड़ रुपए का मानहानि का दावा खारिज, प्रकाशक ने कहा-बड़ी जीत

सनातन संस्था ने अपने केस में पत्रकार, जगरनॉट प्रकाशन, संपादक और एक्टिविस्ट के खिलाफ मानहानि का दावा करते हुए 10 करोड़ रुपये का दंड दिए जाने की बात कही थी और उनपर आपराधिक आरोप भी लगाए थे.

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नई दिल्ली: प्रकाशक जगरनॉट बुक्स और लेखक धीरेंद्र के झा ने अपनी किताब शैडो आर्मी के खिलाफ सनातन संस्था द्वारा दायर मानहानि का मुकदमा जीत लिया है. सनातन संस्था ने जगरनॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित किताब ‘शैडोज आर्मी’ के प्रकाशन के बाद 10 करोड़ रुपये की मानहानी के हर्जाने का केस दायर किया था.

गोआ की अदालत ने 2018 में हिंदुत्व पर काम कर रही संस्था सनातन संस्था ने जगरनॉट बुक्स और किताब के लेखक धीरेंद्र के झा पर 10 करोड़ रुपये हर्जाने के साथ मानहानी का मुकदमा दायर किया था जिसे 15 फरवरी के बाद अस्वीकृत कर दिया है.

वरिष्ठ पत्रकार धीरेंद्र के झा की किताब ‘हिंदुत्व के मोहरे: पर्दे के पीछे से भाजपा की मदद करने वाले संगठन’ 2017 में प्रकाशित की गई थी. सनातन संस्था ने अपने केस में पत्रकार, जगरनॉट प्रकाशन, संपादक और एक्टिविस्ट के खिलाफ मानहानि का दावा करते हुए 10 करोड़ रुपये का दंड दिए जाने की बात कही थी और उनपर आपराधिक आरोप भी लगाए थे.

गोआ की अदालत ने इस मामले में 15 फरवरी अपने फैसले में इसे बोलने की आज़ादी के अधिकार से जोड़ा है. इस जीत के बाद किताब के लेखक धीरेंद्र के झा ने कहा, ‘मैंने जो लिखा उसकी प्रमाणिकता सिद्ध हुई और मैं बहुत राहत महसूस कर रहा हूं. वो लोग जो मेरे शोध और काम से असहज महसूस कर रहे थे और मुझपर मानहानि का दावा कर मुझे चुप कराने में जुटे थे, मुझपर और मेरे प्रकाशक पर दंडात्मक कार्रवाई करने वाले थे उसा इंसाफ हो गया है. लेकिन इस मामले में सच्चाई ने मानहानी से बचाव किया है, और इस मामले में न्याय और सच्चाई की जीत हुई है.’

वहीं किताब की प्रकाशक चिकी सरकार और सीईओ सिमरन खारा ने कहा, ‘ पुस्तक प्रकाशन में हमारा मानना है और मूल है कि चुप्पी, सेंसर और प्रतिबंध के खिलाफ पुस्तकों और लेखकों और विचारों का बचाव किया जाना चाहिए. किताब के खिलाफ मल्टी मिलियन डॉलर का किया जाने वाला मानहानि का दावा डराने वाला है. अदालत का आया फैसला हमारे लिए खुश करने वाला है.

क्या है इस किताब में जिसकी वजह से संस्था ने किया था मानहानि का दावा

इस किताब में लेखक ने लिखा है, ‘लोगों को अध्यात्म का विज्ञान सिखाने के लिए एक परोपकारी संस्था के रूप में रजिस्टर्ड सनातन संस्था आतंकी गतिविधियों के अड्डे के रूप में सामने आई है.’

किताब में भाजपा की पिछले 20 वर्षों में हुई वृद्धि पर लेखक ने लिखा है 1984 में दो सीटों से 2014 में 282 सीटों के सफर में भारतीय जनता पार्टी के सधे हुए विकास की कहानी छोटे छोटे संगठनों के पनपने की कहानी भी है. इनमें अन्यों के अलावा योगी आदित्यनाथ की हिंदू युवा वाहिनी, मैंगलोर में श्री राम सेने, और सनातन संस्था जैसे संगठन शामिल हैं, जिसके सदस्य नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे और एम.एम. कलबुर्गी की हत्याओं के लिए गिरफ्तार हुए. ये संगठन हंगामे खड़े करते हैं, समुदायों को बांटते हैं, हिंसा भड़काते हैं और हत्याएं तक करते हैं. यह सब वे हिंदुत्व के नाम पर करते हैं. इन संगठनों के ढांचे और इनके विकास पर बहुत कम काम हुआ है. वे कैसे शुरू हुए? वे कैसे काम करते हैं? वे स्थानीय मुद्दों और समस्याओं में किस तरह कूद पड़ते हैं? क्या वे भाजपा के मोहरों की तरह काम करते हैं? क्या वे भाजपा के लिए छुटभैयों का दल मुहैया कराते हैं? धीरेंद्र के. झा ने अपनी आठ किस्तों की इस पड़ताल में इन सवालों के जवाब खोजने की कोशिश की है.

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