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Wednesday, 20 November, 2024
होमरिपोर्टअसुरक्षित उपयोग का जोखिम: CDSCO ने चश्मे हटाने वाले आईड्रॉप के इस्तेमाल की अनुमति पर रोक क्यों लगाई

असुरक्षित उपयोग का जोखिम: CDSCO ने चश्मे हटाने वाले आईड्रॉप के इस्तेमाल की अनुमति पर रोक क्यों लगाई

CDSCO के प्रमुख, ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने कहा कि एन्टोड फार्मा ने उठाए गए प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर नहीं दिया. एन्टोड ने स्वीकृति के निलंबन को चुनौती दी.

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नई दिल्ली: भारत के शीर्ष ड्रग रेग्युलेटर ने अगले आदेश तक एक आई ड्रॉप के निर्माण और मार्केटिंग के लिए जारी की गई विनियामक स्वीकृति को निलंबित कर दिया है, जिसे पढ़ने के चश्मे को हटाने के लिए इस्तेमाल किया जाना था. इसका कारण “अनधिकृत प्रचार” और रोगियों द्वारा संभावित “असुरक्षित उपयोग” बताया गया है.

पिछले सप्ताह, मुंबई स्थित एन्टोड फार्मास्युटिकल्स ने प्रेसवू ब्रांड नाम के तहत 1.25 प्रतिशत पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड के लॉन्च की घोषणा की थी. 20 अगस्त को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा उत्पाद के निर्माण और मार्केटिंग का लाइसेंस प्राप्त करने के बाद उन्होंने कहा कि यह प्रेसबायोपिया की समस्या से निजात पाने के लिए है.

कंपनी इस साल अक्टूबर से देश भर में 345 रुपये प्रति 5 मिली लीटर की शीशी की कीमत वाली आई ड्रॉप उपलब्ध कराने वाली थी.

प्रेसबायोपिया बढ़ती उम्र के साथ होने वाली एक आम बीमारी है, जिसके कारण पास की वस्तुओं को स्पष्ट देख पाने की आंखों की क्षमता कम होने लगती है. आम तौर पर 40 वर्ष से अधिक की उम्र के लोग इससे प्रभावित होते हैं. कंपनी ने कहा था कि यह उत्पाद 40-55 वर्ष की आयु के लोगों के लिए सबसे उपयुक्त होगा.

लेकिन 4 सितंबर को एन्टोड को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस और जवाब मिलने के बाद, सीडीएससीओ प्रमुख ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने अब कहा है कि दवा निर्माता उठाए गए प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर देने में “विफल” रहा और इसके बजाय उसने पहले किए गए “दावों को सही ठहराने” की कोशिश की.

डीसीजीआई राजीव सिंह रघुवंशी द्वारा मंगलवार को हस्ताक्षरित आदेश में कहा गया है कि कंपनी ने उत्पाद के लिए जारी मार्केटिंग अनुमति की शर्तों का उल्लंघन किया है और इसे पढ़ने के चश्मे के विकल्प के रूप में गलत तरीके से पेश किया है. दिप्रिंट ने आदेश की एक प्रति देखी है.

आदेश में कहा गया है कि प्रेस और सोशल मीडिया पर अनधिकृत प्रचार ने रोगियों द्वारा आई ड्रॉप के असुरक्षित उपयोग और जनता के लिए सुरक्षा चिंता पर संदेह पैदा किया है.

इसमें यह भी कहा गया है कि प्रचार ने ओवर-द-काउंटर दवा के रूप में इसके उपयोग के बारे में चिंता पैदा की है, जबकि इसे केवल प्रिस्क्रिप्शन-ओनली दवा के रूप में अनुमोदित किया गया है.

एन्टोड फार्मास्यूटिकल्स के सीईओ निखिल के. मसुरकर ने घोषणा की है कि कंपनी डीसीजीआई के फैसले को चुनौती देगी.

उन्होंने बुधवार को एक बयान में कहा, “हम एन्टोड फार्मास्यूटिकल्स में यह घोषणा करते हैं कि प्रेस्वू आई ड्रॉप्स के मामले में हमने मीडिया या जनता के सामने कोई अनैतिक या गलत तथ्य प्रस्तुत नहीं किए हैं. मीडिया के सामने बताए गए सभी तथ्य वयस्कों में प्रेसबायोपिया के उपचार के लिए हाल ही में डीसीजीआई द्वारा दी गई मंजूरी और भारत में हमारे द्वारा किए गए तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों के आधार पर थे,”

मसुरकर ने कहा मीडिया के सामने किसी नए उत्पाद के लॉन्च की घोषणा करना भारत में सभी फार्मा कंपनियों द्वारा अपनाई जाने वाली एक नियमित इंडस्ट्री प्रेक्टिस है और हाल के दिनों में ऐसी कई घोषणाएँ की गई हैं.

‘पढ़ने का चश्मा हटाने का दावा स्वीकृत नहीं हुआ’

इस दवा में पिलोकार्पिन होता है, जो एक पौधे से प्राप्त मॉलीक्यूल है जिसका उपयोग दशकों से ग्लूकोमा के इलाज के लिए किया जाता रहा है. ग्लूकोमा आँख की एक गंभीर बीमारी है जो कई बार समय रहते ध्यान न दिए जाने पर अंधेपन का कारण बन सकती है.

डबलिन स्थित फ़ार्मास्युटिकल फ़र्म एलरगन, जो कि एबवी (AbbVie)  कंपनी है, द्वारा वुइटी (Vuity) ब्रांड नाम से बेची जाने वाली इसी के जैसी दवा को अक्टूबर 2021 में यूएस फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) द्वारा अनुमोदित किया गया था, लेकिन अमेरिका में इसके प्रतिकूल प्रभावों को लेकर चिंताएँ हैं

दिप्रिंट ने पहले ऑल इंडिया ऑफ़्थैल्मोलॉजिकल सोसाइटी (AIOS) – भारत के नेत्र रोग विशेषज्ञों की शीर्ष पेशेवर संस्था – द्वारा दवा की “संभावित अनुचित मार्केटिंग” और संभावित “अंधाधुंध उपयोग” को ध्यान में रखते हुए आई ड्रॉप की सुरक्षा का आकलन करने की योजना के बारे में बताया था.

एआईओएस प्रबंधन समिति के सदस्य डॉ. श्रीनी एडाखलॉन ने दिप्रिंट को बताया था कि प्रेसबायोपिया के उपचार के लिए पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड 1.25 प्रतिशत के निरंतर और नियमित उपयोग के संभावित प्रतिकूल प्रभावों पर सवालों का समाधान किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा था, “भले ही पिलोकार्पाइन 1 और 2 प्रतिशत को दशकों से ग्लूकोमा के लिए संकेत दिया गया है, लेकिन अब यह अधिकांश रोगियों में बीमारी के इलाज के लिए पसंदीदा दवा नहीं है, क्योंकि सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हैं.”

उन्होंने बताया था कि पिलोकार्पाइन के लंबे समय तक उपयोग से लेंस की पारगम्यता में बदलाव हो सकता है, जिससे संभावित रूप से लेंस केशन (पॉज़िटिवली चार्ज्ड आयन) और वॉटर एक्युमुलेशन में बदलाव हो सकता है, जो बदले में, इंट्रॉऑक्युलर मेटाबोलिज़म (आंख का मेटाबॉलिज़म जिसमें एंजाइम शामिल होते हैं और जो आंख में बाहरी कणों को रोकने या खत्म करने में मदद करते हैं) में बदलाव का कारण बन सकते हैं, इसके अलावा लेंस को और अधिक अपारदर्शी बना सकते हैं.

डीसीजीआई द्वारा जारी नवीनतम आदेश में कहा गया है कि न्यू ड्रग एंड क्लिनिकल ट्रायल रूल, 2019 के तहत आई ड्रॉप के लिए इसके द्वारा जारी की गई अनुमति किसी भी दावे को मंजूरी नहीं देती है कि इसे पढ़ने के चश्मे की आवश्यकता को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

साथ ही, जबकि उत्पाद को वयस्कों में प्रेसबायोपिया के उपचार के लिए अनुमोदित किया गया था, इसे इस दावे के लिए अनुमोदन नहीं मिला था कि यह पढ़ने के चश्मे की आवश्यकता के बिना निकट दृष्टि को बढ़ा सकता है, यह स्पष्ट करता है.

डीसीजीआई द्वारा कारण बताओ नोटिस में यह जानने की मांग की गई थी कि कंपनी प्रेसव्यू को एक उन्नत विकल्प के रूप में क्यों दावा कर रही थी जो 15 मिनट के भीतर निकट दृष्टि को बढ़ाता है.

जवाब में, कंपनी ने ड्रग रेग्युलेटर को सूचित किया कि एक डॉक्टर ने पढ़ने के चश्मे की तुलना में दवा उत्पाद का मूल्यांकन किया था.

‘हम इस कार्रवाई का दृढ़ता से विरोध करते हैं’

मसुरकर ने अपने बयान में कहा कि प्रेसवू के मामले में, मीडिया रिपोर्ट वायरल हो गई और लोग तरह-तरह की बातें सोचने लगे जिसके लिए कंपनी जिम्मेदार नहीं है.

उन्होंने कहा, “डीसीजीआई द्वारा हमारी मंजूरी 234 रोगियों में एक वैध नियंत्रित नैदानिक ​​​​परीक्षण पर आधारित थी, जो प्रेसबायोपिया के रोगियों में इन आई ड्रॉप्स की प्रभावकारिता और सुरक्षा को दिखाने में सफल रही, जिन्होंने इन ड्रॉप्स का इस्तेमाल बिना चश्मे के किया और स्नेलन के चार्ट पर अतिरिक्त लाइनें पढ़ सकते थे, जो निकट दृष्टि सुधार का एक पैमाना है.”

एक ही एक्टिव इन्ग्रेडिएंट और एक ही सांद्रता वाली ऐसी आई ड्रॉप्स को यूएसएफडीए द्वारा अनुमोदित किया गया है और पिछले तीन वर्षों से अमेरिका में बिना किसी गंभीर जटिलता के इसकी मार्केटिंग की जा रही है. उन्होंने बताया कि एफडीए ने अमेरिका में इसी तरह की दवाइयों का मार्केटिंग करने वाली कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं की.

सीईओ ने कहा, “हालांकि, एन्टोड फार्मास्यूटिकल्स को डीसीजीआई से एक निलंबन का आदेश मिला है, जिसने इस कार्रवाई के लिए ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के किसी भी विशिष्ट उल्लंघन का कोई संदर्भ नहीं दिया है.”

उन्होंने जोर दिया, “यदि आप अन्य बड़ी फार्मा कंपनियों की ऐसी कई प्रेस घोषणाओं की जांच करते हैं जो उनकी वेबसाइट पर मौजूद हैं, तो आपको हमेशा सटीक स्वीकृत संकेत से परे उत्पाद और स्थिति के बारे में अतिरिक्त विवरण मिलेंगे,”

मसूरकर ने कहा, “हम एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र में एन्टोड फार्मास्यूटिकल्स जैसी एक गौरवशाली भारतीय फार्मा कंपनी के खिलाफ इस कार्रवाई का पुरजोर विरोध करते हैं, जो पूरी तरह से शोध और इनोवेशन से प्रेरित है और भारतीय बाजार में नए चिकित्सीय विकल्प लाने का प्रयास करती है.

परिणामस्वरूप, हमने न्याय पाने के लिए इस निलंबन को कानून की अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है. हमारी लड़ाई न केवल भारत में नवीन दवाओं को उपलब्ध कराएगी, बल्कि एमएसएमई क्षेत्र में अन्य दवा उद्यमियों और कंपनियों को भी इसी तरह की बाधाओं का सामना किए बिना भारत में अनुसंधान अभियान जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करेगी.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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