लखनऊ: यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो (यूपीआईटीएस) 2025 में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग ने जल प्रबंधन और सिंचाई क्षेत्र में अपने नवाचारों को प्रदर्शित किया. स्टॉल पर हाल ही के महाकुंभ प्रयागराज में किए गए परिवर्तनकारी इंजीनियरिंग कार्यों, स्थायी सिंचाई परियोजनाओं और कृषि उत्पादकता बढ़ाने के उपायों की जानकारी विजिटर्स को दी गई.
विभाग ने गंगा नदी की तीन धाराओं को एक सुसंगत प्रवाह में विलय कर स्नान क्षेत्रों का विस्तार किया. यह कार्य संगम क्षेत्र में जल प्रबंधन और तीर्थयात्रियों की सुविधा का उत्कृष्ट उदाहरण रहा.
36,000 से अधिक ट्यूबवेल, बैराज और लिफ्ट नहरों के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों तक पानी पहुँचाया जा रहा है. ड्रेजिंग, डी-सिल्टिंग और नदी की मुख्य धारा पुनर्स्थापित करना भी इसमें शामिल है, जिससे किसानों को विश्वसनीय जल आपूर्ति सुनिश्चित हो रही है.
हरिद्वार के भीमगोड़ा बैराज से प्रेरित चलित मॉडल गेट संचालन और बाढ़ नियंत्रण दिखाता है. इसमें मोबाइल आधारित स्काडा प्रणाली का उपयोग कर गेट ऑपरेशन को रीयल-टाइम में नियंत्रित किया जा सकता है.
मीरजापुर और चंदौली के 2.5 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई के लिए इस परियोजना में आधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया है. आईओटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से पंप संचालन, रखरखाव और मॉनिटरिंग संभव है. ऑगमेंटेड और वर्चुअल रियलिटी के जरिए प्रशिक्षण और मशीन मरम्मत को सुरक्षित और प्रभावी बनाया जा सकता है.
स्टॉल पर विजिटर्स बैराज व पंप नहर के कार्य मॉडल का अवलोकन कर उत्तर प्रदेश में सिंचाई क्षेत्र में क्रांतिकारी कदमों की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं.