हैदराबाद/दिल्ली: सोने की बढ़ती कीमतों के बीच भारत में यह धातु चर्चा का प्रमुख विषय बनी हुई है. भारत, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का आयातक है, इस समय एक अहम पड़ाव पर है. इसी बीच खुशखबरी यह है कि आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के जॉनागिरी, एर्रागुडी और पगदिराई गांवों में स्थित भारत की पहली बड़े पैमाने की निजी स्वर्ण खान अक्टूबर 2025 से पूर्ण उत्पादन के लिए तैयार है.
खनन उद्योगपति बी. प्रभाकरन और उनके परिवार द्वारा जॉनागिरी परियोजना को थ्रिवेनी अर्थमूवर्स, प्राकर और लॉयड्स मेटल्स एंड एनर्जी लिमिटेड के माध्यम से संचालित किया जा रहा है. जियोमायसोर सर्विसेज (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में 70% से अधिक शेयर प्रभाकरन और उनके परिवार के पास हैं, जबकि डेक्कन गोल्ड माइन लिमिटेड के पास केवल 27.27% शेयर हैं.
जॉनागिरी परियोजना स्वतंत्रता के बाद भारत की पहली बड़े पैमाने की निजी स्वर्ण खान होगी. वर्तमान में जब सोने की कीमतें उच्च स्तर पर हैं, यह परियोजना भारत के आयात बिल को कम करने, विदेशी मुद्रा भंडार बचाने और सोने के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगी. इससे वैश्विक स्तर पर सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव के खिलाफ भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलेगी.
वर्तमान में भारत केवल लगभग 1.5 टन सोना उत्पादित करता है. पूर्ण संचालन शुरू होने के बाद, जॉनागिरी परियोजना सालाना लगभग 500 किलोग्राम सोना उत्पादन करेगी. सभी आवश्यक कानूनी मंजूरियों के बाद उत्पादन धीरे-धीरे 1 टन प्रति वर्ष तक बढ़ाया जाएगा, जो देश के घरेलू सोने के उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देगा.
परियोजना को सभी प्रमुख कानूनी मंजूरियां मिल चुकी हैं, जिनमें पर्यावरण मंजूरी (EC) और आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से संचालन की सहमति (CTO) शामिल है. प्रॉसेस प्लांट का निर्माण, स्थापना और कमीशनिंग पूरी हो चुकी है और वर्तमान में ट्रायल रन चल रहे हैं. प्लांट अक्टूबर 2025 के अंत तक वाणिज्यिक उत्पादन के लिए तैयार होगा और निर्माणाधीन रिफाइनरी भी उसी समय चालू होने की उम्मीद है.
जॉनागिरी परियोजना में वर्तमान में 13.1 टन JORC-सर्टिफाइड सोने के संसाधन हैं, जिनकी संभावित मात्रा 42.5 टन (1.5 मिलियन औंस) तक आंकी गई है. कंपनी अगले 15 वर्षों तक प्रति वर्ष अधिकतम 1000 किलोग्राम शुद्ध सोने का उत्पादन करने की योजना बना रही है.
थ्रिवेनी अर्थमूवर्स, भारत का सबसे बड़ा MDO, जॉनागिरी गोल्ड प्रोजेक्ट की खानों और प्रॉसेसिंग प्लांट का विकास और संचालन करेगा. परियोजना के प्रमुख बी. प्रभाकरन ने कहा, “जॉनागिरी परियोजना भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन को महत्वपूर्ण संसाधनों के संरक्षण और रणनीतिक स्वतंत्रता के दृष्टिकोण में बल देती है. हम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री एन. चंद्रबाबू नायडू का धन्यवाद करते हैं जिन्होंने इस राष्ट्रीय महत्व की परियोजना में सभी आवश्यक समर्थन प्रदान किया.”
जैसा कि श्री प्रभाकरन अन्य खनन परियोजनाओं में करते रहे हैं, जॉनागिरी परियोजना में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) पर भी ध्यान है. Geomysore Services India Pvt Ltd स्थानीय समुदायों के कल्याण, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के सिद्धांतों पर काम करता है. इसके CSR कार्यक्रम शिक्षा, स्वास्थ्य, वृक्षारोपण, जल आपूर्ति, अवसंरचना, स्वच्छता और कौशल विकास पर केंद्रित हैं. कंपनी खनन संसाधनों का उपयोग करते हुए समुदायों के लिए स्थायी भविष्य का निर्माण कर रही है.