नई दिल्ली: दुनिया भर से नृत्य के अद्भुत कलाकार और शानदार संगीतकारों के दिलकश सुरों की अनूठी महफिल सजाने पूर्णिमा की रात को जोधपुर का मेहरानगढ़ किला — राजस्थान के सालाना अंतर्राष्ट्रीय लोक महोत्सव में उनकी मेज़बानी करने को तैयार है.
सुनहरे लाल बलुआ पत्थर से सजा मेहरानगढ़ किला इस साल अक्टूबर में सिर्फ अपनी ऐतिहासिक भव्यता से ही नहीं, बल्कि दुनिया के कोने-कोने से आई लोकधुनों और सांगीतिक जादू से भी रोशन होगा. 2 से 6 अक्टूबर तक चलने वाला जोधपुर RIFF (राजस्थान इंटरनेशनल फोक फेस्टिवल) 2025 शरद पूर्णिमा की चांदनी में दर्शकों को समय और सीमाओं से परे यात्रा पर ले जाएगा, जहां राजस्थान की धरती के सुर, भूटान, उज़्बेकिस्तान, कज़ाखस्तान, सीरिया, पुर्तगाल, ब्रिटेन, पोलैंड, फिनलैंड, कनाडा और कोलंबिया की सांगीतिक परंपराएं एक-दूसरे में घुल-मिल जाएंगी.
पांच दिनों तक चलने वाले इस फेस्टिवल में लोक से लेकर अंतर्राष्ट्रीय संगीत, पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज से लेकर समकालीन फ्यूज़न तक, हर रंग देखने को मिलेगा. यहां सिर्फ सुनने का नहीं, बल्कि देखने, महसूस करने और संस्कृति के साथ जुड़ने का मौका मिलता है. जोधपुर RIFF पिछले 18 साल से राजस्थान की लोक संगीत परंपराओं को संजोता और दुनिया के मंच पर पेश करता आया है.
फेस्टिवल के डायरेक्टर दिव्य भाटिया ने कहा, “हर साल फेस्टिवल का ढांचा लगभग वही रहता है, लेकिन जो चीज़ बदलती है, वह है आर्टिस्ट्स की ऊर्जा और उनका एहसास.”
उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि लोग न सिर्फ राजस्थान, बल्कि पूरी दुनिया के लोक संगीत की विविधता को महसूस करें. यह मंच नए और पुराने कलाकारों के बीच पुल का काम करता है. यहां गांव का गायक भी उतना ही अहम है जितना कोई ग्लोबल स्टार.”
मारवाड़-जोधपुर के महाराजा गज सिंह द्वितीय, जोधपुर RIFF के संरक्षक ने कहा, “राजस्थान के लोक कलाकारों की अद्भुत विविधता और कौशल उन्हें दुनिया के बेहतरीन रूट्स म्यूज़िशियन में शामिल करता है. उनका संगीत पीढ़ियों से चली आ रही विरासत का प्रतिबिंब है, लेकिन यह एक जीवंत और विकसित होती कला भी है, जिसे कुछ कलाकार आज की पीढ़ी के लिए साहसपूर्वक नए अंदाज़ में पेश कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “जोधपुर RIFF इसी यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया, यह हमारे लोक परंपराओं को विश्व मंच पर प्रस्तुत करने के साथ-साथ दुनियाभर के संगीतकारों के लिए प्रेरणादायक मिलने का स्थान भी है.”
दिव्य ने कहा, “हमारे लिए स्ट्रक्चर इतना खुला है कि अलग-अलग वक्त और जगह पर अलग तरह के कलाकारों को पेश किया जा सके. मिक्स कभी जनरल लेवल पर नहीं होता, हमेशा इंडिविजुअल होता है.”
भाटिया के मुताबिक, इस बार कार्यक्रम में ऐसे प्रयोग होंगे जो पहले कभी नहीं हुए. उन्होंने कहा, “हमने कोशिश की है कि लोक धुनों में नई जान डाली जाए, लेकिन उनकी आत्मा बरकरार रहे. यह फ्यूज़न तभी सफल है जब उसमें दोनों संस्कृतियों की इज्ज़त हो.”
फेस्टिवल की सुबह ‘RIFF Dawns’ में पारंपरिक राग-संगीत के साथ दिन की शुरुआत होगी, तो रात में ‘Desert lounge’ में लोक और आधुनिक संगीत का संगम देखने को मिलेगा. RIFF सिर्फ एक म्यूजिक फेस्टिवल नहीं, बल्कि यह राजस्थान की लोक परंपराओं, हस्तशिल्प और खानपान से भी जुड़ने का मौका देता है.
भाटिया ने कहा, “हम कोशिश करते हैं कि हर उम्र, हर पृष्ठभूमि का व्यक्ति यहां कुछ न कुछ अपना पा सके. अगर किसी को सिर्फ सुबह का सूफियाना माहौल पसंद है, तो वह भी यहां मिलेगा और अगर कोई रात भर संगीत में खोना चाहता है, तो उसके लिए भी मंच खुला है.”
उन्होंने कहा, “कोई कलाकार कई साल पहले देखा गया हो और सही वक्त आने पर ही फेस्टिवल में शामिल किया जाता है. कुछ कोलैबोरेशन एक-दो घंटे के लिए होते हैं, कुछ हफ्तों की तैयारी के बाद और कुछ सालों में विकसित होते हैं. अब कलाकार खुद रिहर्सल करते हैं और मेरा फीडबैक लेते हैं.”
इस बार गंगा सुन्दर कीर्ति — मां-बेटी की जोड़ी को फोकस के साथ पेश किया जाएगा. “डांगी सिस्टर्स — प्रेम और अनीता — दोनों राजस्थान से हैं, लेकिन अलग टेक्सचर और अलग आवाज़ में”. मीर कम्युनिटी के युवा कलाकार और सनावड़ा से बरकत जी भी मंच पर होंगे, जिनकी जांगड़ा गायकी कभी राजपूत योद्धाओं के युद्ध में गाई जाती थी. सूफी गायक सावन खान हाल ही में ठीक हुए हैं और लाखा खान अपनी अदाकारी और आवाज़ के लिए खास हैं.
लॉकडाउन में सिंगर-सॉन्ग राइटर की संख्या बढ़ी है. इस बार कनाडा के ल्यूक वॉलेस और लंदन की रोसा सेसिलिया को लाया गया है. भाटिया ने कहा, “हम फेस्टिवल में अंग्रेज़ी बहुत कम पेश करते हैं, लेकिन इस बार ‘इंडी रूट्स’ में अंग्रेज़ी गानों को भी जगह देंगे.”
उन्होंने कहा, “राजस्थान की लोक परंपराओं में बहुत सारे प्रेम और विलाप के गीत हैं, जो दुखी लगते हैं, लेकिन उन्हें दुखी तरीके से नहीं गाया जाता. केवल ‘विदाई के गीत’ थोड़े भावुक होते हैं, लेकिन उनकी भी अपना ऊर्जा है. यहां सिंगर-सॉन्ग राइटर की परंपरा नहीं है; हर कोई सामुदायिक गीत गाता है. ये केवल गीत नहीं हैं, यह पूरी समुदाय की आत्मा है जो गाती है.”
दिव्य ने कहा, “संगीत का अनुभव केवल सुनने के लिए नहीं है, बल्कि उस स्थान, समय और पल के साथ एक होने के लिए है, जब लोग फेस्टिवल छोड़ते हैं, वे थके होते हैं, लेकिन भीतर से उत्साहित भी. मेरा उद्देश्य केवल मनोरंजन देना नहीं, बल्कि उन्हें वह एहसास देना कि कुछ उनके साथ हुआ है.”
2025 के मंच पर कौन-कौन
जटायु: कर्नाटक राग, जैज़ और रॉक का धमाकेदार संगम, लाखा खान: 27 तारों वाली सारंगी के आखिरी उस्ताद, सावन खान: मंगणियार सूफी गायन, डांगी सिस्टर्स: दमामी परंपरा की सुरमयी आवाज़, कूल डेज़र्ट प्रोजेक्ट: लोक ताल के साथ सैक्सोफोन, सोनम दोरजी: भूटान की आध्यात्मिक धुनें, गुलज़ोदा: उज़्बेक शशमकाम, हेल्डर मौटिन्हो: पुर्तगाल के फाडो गीत, महासीराम मेघवाल: संत कवियों के भजन, किलाबीटमेकर: कोलंबिया का डांस बीट्स, इसके अलावा पंडित सतीश व्यास और आदित्य कल्याणपुर: संतूर और तबला के सुर.
जोधपुर RIFF 2025 सिर्फ एक संगीत महोत्सव नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक संवाद, अनदेखे अनुभव और अनसुनी धुनों का संगम है जिसे एक बार सुनने के बाद बरसों तक दिल में महसूस किया जा सकता है.
2007 में शुरू हुए इस महोत्सव का मकसद शुरू से ही साफ रहा है – लोक कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय मंच देना और सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देना. यूनेस्को की सूची में जगह मिलने के बाद RIFF की पहचान और मजबूत हुई है. आज यह न सिर्फ विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि भारतीय युवाओं के लिए भी एक ‘मस्ट-विज़िट’ इवेंट बन चुका है.