भोपाल: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को भोपाल में राज्य स्तरीय कार्यशाला–वॉटरशेड सम्मेलन का शुभारंभ किया. ‘आत्मनिर्भर पंचायत, समृद्ध मध्यप्रदेश’ थीम पर आधारित यह तीन दिवसीय कार्यशाला कुशाभाऊ ठाकरे अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में 26 नवंबर तक चलेगी.
इसमें 2,000 से अधिक जनप्रतिनिधि, अधिकारी और विषय-विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं. कार्यक्रम में जल गंगा संवर्धन अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को सम्मानित किया गया.
मुख्यमंत्री ने जल-संरक्षण के लिए काम कर रहे अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा: “आज प्यासा कुएं के पास नहीं आया है, कुआं प्यासे के पास आया है. सरकार पंचायतों की हर जरूरत पूरी करेगी.”
उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है और पंचायतों को सशक्त किए बिना विकास संभव नहीं. CM ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुशासन प्रणाली ने भारत की वैश्विक पहचान मजबूत की है और सरकार 2047 के अमृतकाल का विज़न लेकर आगे बढ़ रही है.
उन्होंने कहा कि पंचायतों को अधिकार संपन्न बनाना बेहद जरूरी है, ताकि वे विकास में अपनी मजबूत भूमिका निभा सकें.
सीएम ने कहा कि राज्य में तालाब, कुएं, बावड़ी जैसी जल संरचनाओं को संरक्षित करने के लिए तीन महीने तक लगातार अभियान चलाया गया, जिससे प्रदेश को कई पुरस्कार मिले. उन्होंने जल की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि पानी का संबंध हमारे प्राण और आत्मा से है.
उन्होंने बताया कि सरकार ने पंचायतों के माध्यम से ‘मां के नाम की बगिया’ पहल शुरू की है. साथ ही, सरपंचों को 25 लाख रुपये तक खर्च करने का अधिकार दिया गया है. CM ने कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है, आगे और कदम उठाए जाएंगे.
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि अब जिला और जनपद पंचायतों के उपाध्यक्षों के कार्यों—जैसे विद्यालय निरीक्षण और सुझाव—को आधिकारिक रूप से दर्ज किया जाएगा और उन पर कार्रवाई भी होगी.
उन्होंने कहा कि पंचायतों को पीने के पानी की जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा निवेश व निवास की बेहतर व्यवस्था के लिए मास्टर प्लान तैयार किए जाएंगे, जिसकी शुरुआत विदिशा से होगी.
