मुंबईः पिछले हफ्ते राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के आवास पर हुए हमले के बाद से पार्टी को बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में गृह मंत्रालय का जिम्मा रांकपा के ही पास है. इस बीच आरोप ये भी लगे कि हमला पूर्व नियोजित हो सकता है क्योंकि ‘पुलिस के पास इस बारे में खुफिया जानकारी थी.’
दिप्रिंट से बात करते हुए, राज्य के गृह मंत्री और वरिष्ठ राकांपा नेता दिलीप वालसे पाटिल, ने मंगलवार को स्वीकार किया कि ‘निश्चित तौर पर यह एक कम्युनिकेशन गैप’ था, जिस कारण महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के असंतुष्ट कर्मचारियों ने पवार के मुंबई स्थित आवास सिल्वर ओक पर पर शुक्रवार को पथराव किया और जूते-चप्पल फेंके.
पाटिल ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि यह कोई साजिश है, लेकिन निश्चित रूप से कुछ गलतफहमियां रहीं, जिस वजह से यह घटना हुई.’
मुंबई पुलिस ने कथित तौर पर सिल्वर ओक में भीड़ का हिस्सा रहे 109 एमएसआरटीसी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. हमले की साजिश रचने के आरोप में कार्यकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील गुणरत्न सदावर्ते को भी गिरफ्तार किया गया है. सदावर्ते 13 अप्रैल तक पुलिस हिरासत में हैं.
महाराष्ट्र के गृह विभाग के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘4 अप्रैल को पुलिस को हमले के बारे में जानकारी मिली थी, लेकिन इसे नज़रअंदाज़ कर दिया गया. यह मामला खुफिया विफलता से ज्यादा संवाद का अभाव का था. हमने जांच शुरू कर दी है और मामले की देख-रेख के लिए एक कमेटी भी बनाई गई है.’
सदावर्ते के वकील मृण्मयी कुलकर्णी ने दिप्रिंट को बताया कि ‘ सदावर्ते मौके पर मौजूद नहीं थे, इसलिए उन पर किसी भी तरह के हमले या गैरकानूनी तरीके से सभा आयोजित करने का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. वह विरोध करने वाली उस भीड़ का हिस्सा नहीं थे.’
‘पुलिस के पास पहले से थी जानकारी’
मुंबई पुलिस ने सदावर्ते पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने भड़काऊ भाषण देकर कार्यकर्ताओं को उकसाने का काम किया था.
एमएसआरटीसी के कर्मचारी पिछले पांच महीनों से राज्य सरकार के साथ निगम के विलय की मांग कर रहे हैं. उनकी इस मांग को महा विकास अघाड़ी (शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन) सरकार ने, मामले की सुनवाई कर रहे बॉम्बे हाई कोर्ट और राज्य विधायिका को सौंपी गई एक पैनल रिपोर्ट का हवाला देते हुए खारिज कर दिया था.
आदेश के बाद जहां कई प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने धीरे-धीरे काम पर आना शुरू कर दिया, वहीं कुछ कर्मचारी हड़ताल पर बने रहे. शुक्रवार को मुंबई के आजाद मैदान में आंदोलन कर रहे कुछ ऐसे ही कार्यकर्ताओं ने सिल्वर ओक की ओर रुख किया और कथित तौर पर पवार के घर पर पथराव किया.
गृह विभाग के सूत्र ने बताया, ‘हमले वाले दिन भी वर्कर्स की योजना के बारे में गुप्त सूचना मिली थी, लेकिन प्रभारी पुलिस निरीक्षक ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.’
गामदेवी पुलिस थाने के एक वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है, जबकि क्षेत्र के प्रभारी डिप्टी पुलिस कमिश्नर का तबादला कर दिया गया है.सिल्वर ओक इसी थाने क्षेत्र के अंतर्गत आता है.
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सदावर्ते के खिलाफ आरोप
फिलहाल इस मामले की सुनवाई मुंबई की मेट्रोपोलिटन कोर्ट में चल रही है.
दिप्रिंट को मिली रिमांड कॉपी के अनुसार: “वह (सदवर्ते) 7 अप्रैल को आजाद मैदान गए और उन्होंने वहां शरद पवार, संजय राउत (शिवसेना नेता), नवाब मलिक (राज्य मंत्री और राकांपा नेता) के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया. उन्होंने कार्यकर्ताओं से बारामती में शरद पवार के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान भी किया.
कॉपी में कहा गया है कि सदावर्ते और उनकी पत्नी की तस्वीरों वाले बैनरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया. इन सभी बैनर पर ‘सावधान शरद’ लिखा हुआ था.
पुलिस का आरोप है कि ‘इस साजिश में मीडिया का भी इस्तेमाल किया गया है.’
पुलिस ने अदालत में जानकारी देते हुए बताया कि सदावर्ते ने, हमले के दिन नागपुर में किसी को बुलाया भी था.
जब पाटिल से पूछा गया कि यह व्यक्ति कौन हो सकता है, तो उन्होंने कहा, ‘पुलिस मामले की जांच कर रही है.’
रिमांड कॉपी में सदावर्ते द्वारा एमएसआरटीसी के हर कर्मचारी से 530 रुपये लेने और 1.80 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली करने का भी जिक्र किया गया है. रिमांड कॉपी में आगे लिखा है, ‘कोई नहीं जानता कि सदावर्ते ने उस पैसे का क्या किया. इसकी कोई रसीद या कोई रिकॉर्ड नहीं है. इस सिलसिले में उनकी रिमांड की जरूरत है.’
पुलिस के अनुसार, सदावर्त ‘अपना फोन आईएमइआई नंबर साझा नहीं कर रहे हैं और उन्होंने 31 मार्च से पहले का सारा डेटा भी अपने फोन से डिलीट कर दिया है.’
कर्मचारियों से पैसे इक्ट्ठे करने के आरोप पर सदावर्ते के वकील ने कहा: ‘किसी भी कार्यकर्ता ने कभी शिकायत नहीं की कि उन्होंने उस पैसे को गलत तरीके से खर्च किया है. यह सदावर्ते और वर्कर्स के बीच आपसी सहमति के साथ हुआ है. अब चाहे वह पैसा कानूनी शुल्क के रूप में खर्च हुआ है या फिर किसी और चीजों में.’
मामले की सुनवाई 13 अप्रैल को फिर से होगी.
‘महाराष्ट्र के लिए शर्मिंदगी’
महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में राकांपा के सहयोगियों ने शुक्रवार को पवार के घर के बाहर हुए हमले को रोकने में राज्य के गृह विभाग की चूक पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
दिप्रिंट से बात करते हुए, कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंधे ने कहा: ‘यह निश्चित रूप से एक खुफिया विफलता है। महाराष्ट्र की राजनीति ऐसी नहीं रही है. यह किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के लिए शर्म की बात है.’
उन्होंने इसके लिए भाजपा को दोषी ठहराया और इसे ‘विपक्षी पार्टी भाजपा की साजिश’ करार दिया.
मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए शिवसेना सांसद राउत ने कहा कि जो कुछ भी हुआ वह सही नहीं था. ‘शरद पवार जैसे बड़े नेता के आवास पर जिस तरह से हमला किया गया वह गलत है. घर में उनके अलावा, उनकी पत्नी, बच्चे और अन्य लोग भी मौजूद थे. इस तरह से हमला करना दुर्भाग्यपूर्ण और अमानवीय है. इसके लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा.’
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