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Thursday, 21 November, 2024
होमराजनीतिइस साल राष्ट्रपति, पीएम के लिए 'जर्दालू' नहीं, नीतीश ने 2007 के बाद पहली बार 'मैंगो डिप्लोमेसी' बंद की

इस साल राष्ट्रपति, पीएम के लिए ‘जर्दालू’ नहीं, नीतीश ने 2007 के बाद पहली बार ‘मैंगो डिप्लोमेसी’ बंद की

जद (यू) का कहना है कि उसे इस घटनाक्रम की जानकारी नहीं है. बीजेपी ने पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति सीएम नीतीश कुमार की 'कड़वाहट' को रुकने का श्रेय दिया है. दोनों पार्टियां एकबार फिर पिछले साल अलग हो गईं.

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पटना: हर साल 2007 से 2022 तक, भागलपुर के “मैंगो मैन” अशोक चौधरी ने बेशकीमती और बहुत जल्दी खराब होने वाले जर्दालू आम के 2,500 कार्टन दिल्ली और पटना भेजे, जिसे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की “मैंगो डिप्लोमेसी” के रूप में जाना जाता है.

उनके अनुसार, प्रत्येक कार्टन में 20 आम थे, और भारत के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और केंद्रीय मंत्रियों सहित कई वीवीआईपी के पास गए.

इस साल, हालांकि, इस “मैंगो डिप्लोमेसी” को कथित तौर पर बिना किसी कारण को बताए रोक दिया गया है.

चौधरी तो 1000 एकड़ में आम के बागीचे लगाए हुए हैं उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “हमें 2 जून तक स्थानीय कृषि अधिकारियों को 2,500 पैक सौंपने के लिए कहा गया था. इसमें एक दिन की देरी हुई क्योंकि कानपुर से आने वाली पैकेजिंग लेट थी. लेकिन जैसे ही हम कार्टन तैयार कर रहे थे, स्थानीय कृषि अधिकारियों ने हमें बताया कि आम न तो पटना और न ही दिल्ली भेजा जाएगा.’ चौधरी ने बताया, “आम सड़ गए और मुझे लगभग 15 लाख रुपये का नुकसान हुआ.”

पटना में 23 जून को होने वाली विपक्ष की बैठक से ठीक पहले यह डेवल्पमेंट हुआ है. नीतीश 23 जून को पटना में सहयोगी कांग्रेस सहित 17 विपक्षी दल इस बैठक में शामिल होंगे. नीतीश ने जनता दल (यूनाइटेड) से औपचारिक रूप से अगस्त 2022 में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से नाता तोड़ लिया था.

दिप्रिंट फोन कॉल और टेक्स्ट संदेशों के माध्यम से बिहार के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत से टिप्पणी के लिए पहुंचा. प्रतिक्रिया प्राप्त होने पर यह रिपोर्ट अपडेट की जाएगी.

इस बीच, कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि हर साल आम भेजने की मंजूरी राज्य कैबिनेट सचिवालय से मिलती है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “अभी तक हमें मंज़ूरी नहीं मिली है, इसलिए हमने आम नहीं भेजे.”

जद (यू) ने अपनी ओर से कहा कि वह इस डेवल्पमेंट से अनभिज्ञ है. पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने दिप्रिंट से कहा, “केवल राज्य का कृषि मंत्रालय ही इस पर टिप्पणी कर पाएगा.”

भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति नीतीश की “कड़वाहट” को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है. भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने दिप्रिंट को बताया, “सिर्फ आम ही नहीं बल्कि शाही लीची भी जो गणमान्य लोगों को भेजी जाती थी, इस साल नहीं भेजी गई.” सुशील मोदी ने नवंबर 2005 से जून 2013 तक और फिर जुलाई 2017 से नवंबर 2020 तक लगभग 11 साल तक नीतीश के डिप्टी के रूप में काम किया है.

उन्होंने कहा, “सीएम नीतीश कुमार ने सोचा होगा कि पीएम और केंद्रीय मंत्रियों को फल भेजने की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि अब हम राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं. लेकिन एक बार परंपरा शुरू हो जाने के बाद उसे जारी रखा जाना चाहिए था. यह बिहार के उत्पादों की ब्रांडिंग से संबंधित है.”


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‘मैंगो डिप्लोमेसी’

मुख्य रूप से बिहार के भागलपुर क्षेत्र में उगाए जाने वाले जर्दालु को 2018 में प्रतिष्ठित जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग मिला था. बिहार सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आमों को बढ़ावा दे रही है – जीआई-प्रमाणित जर्दालू आमों को पहली बार 2021 में यूके में निर्यात किया गया था.

राज्य के कृषि विभाग के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि वर्तमान समय में 25,000 क्विंटल जर्दालू आम ब्रिटेन के अलावा सऊदी अरब, श्रीलंका और बांग्लादेश को निर्यात किया जाता है.

हालांकि स्वाद में अद्भुद और एक अलग खुशबू वाले इस आम की सबसे खराब बात ये है कि ये बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं और हर साल बहुत कम समय के लिए उपलब्ध होते हैं. चौधरी ने कहा, “यह 25 मई को बाजार में आता है और 10 जून के बाद यह उपलब्ध नहीं होता है.”

पिछले साल तक नीतीश की “मैंगो डिप्लोमेसी” के तहत भेजे गए 2,500 आम के कार्टन में से 2,000 दिल्ली और बाकी पटना भेजे गए थे.

2013 के बाद से दूसरी बार नीतीश ने अपने ऑन- अगेन-ऑफ-अगेन-पार्टनर बीजेपी के साथ रिश्ते पिछले साल अगस्त के बाद से लगातार खराब ही होते रहे हैं.

पिछले साल भाजपा से अलग होने के बाद से, नीतीश ने अभी तक पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात नहीं की है, यहां तक कि पिछले महीने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक भी नहीं हुई है, जिसमें 19 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने वाले मुख्यमंत्री और लेफ्टिनेंट गवर्नर शामिल हुए थे.

(संपादनः पूजा मेहरोत्रा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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