लखनऊ/बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में तैयार हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘कान्हा उपवन’ में गायों की मौत हो रही हैं. लगभग 15 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुए इस प्रोजेक्ट में पिछले 9 महीने में 600 से अधिक गायों की मौत हो चुकी है. इसका दावा खुद बरेली के महापौर उमेश गौतम ने किया है. उन्होंने पत्र लिखकर सीएम योगी व पशुधन विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण से इस मामले की शिकायत भी की है.
एक साल में ही हुआ उपवन का बुरा हाल
बरेली में यह कान्हा उपवन सीबीगंज के नदौसी में स्थित है. इसका उद्घाटन कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने पिछले साल नवंबर में किया था. उद्घाटन के एक साल के भीतर ही कान्हा उपवन की स्थिति बिल्कुल बदल गई है. यहां पिछले कुछ समय में 100 से अधिक गायों की मौत हो चुकी है.
दिप्रिंट हिंदी से बातचीत में बरेली के महापौर उमेश गौतम ने कहा,’पिछले दो हफ्ते में उन्होंने दो बार अचानक छापा मारा तो यहां की तस्वीरें देख वो विचलित हो गए. जगह-जगह गायों के कंकाल पड़े थे. कहीं घायल गाय थी तो कहीं गायों के शव पड़े हुए थे. मौजूदा समय में हालत ये है कि कान्हा उपवन में रोजाना दो से तीन गायों की मौत हो रही है. लगभग 600 गाय यहां रखी जाती है, लेकिन यहां 300 से ज्यादा गाय रखनी की व्यवस्था नहीं है.’
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उनका यह भी आरोप है कि ‘बरेली स्थित श्मशान भूमि के पास चार से पांच फिट का गड्ढा करके बिना नियमों का पालन किए बिना दबा दिया गया. इससे आसपास संक्रमण फैलने की भी संभावना है. साथ ही ‘हिंदू भावनाओं’ को ठेस भी पहुंचाने का प्रयास है. कान्हा उपवन में न तो गोवंश के लिए जरूरी चारा उपलब्ध है और न ही दवाइयों की व्यवस्था है’. बरेली के स्थानीय अखबारों में लगातार गोवंश की मौत की खबर छप रही हैं.
महापौर और नगर आयुक्त इस मामले में आमने-सामने
महापौर उमेश गौतम का कहना है, ‘नगर निगम के अधिकारी और गौशाला के संचालकों की लापरवाही के कारण ऐसा हो रहा है. उन्होंने तमाम कोशिशें की हैं लेकिन हालात नहीं सुधर रहे हैं. उन्होंने नगर आयुक्त सैमुअल पाल समेत तमाम अन्य अधिकारियों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ये अधिकारी लापरवाही कर रहे हैं.’
इधर, नगर आयुक्त सैमुअल पाल ने पलटवार करते हुए कहा,’महापौर को नगर निगम का बाॅस माना जाता है. साथ ही शहर का प्रथम नागरिक भी कहा जाता है, लिहाजा वह आरोप लगाने के बजाए हालात सुधारने की जिम्मेदारी लें.’
नगर आयुक्त ने दिप्रिंट से बातचीत में महापौर द्वारा दिए गए आंकड़ों को गलत बताते हुए कहा, ‘कुछ गोवंश की मृत्यु हुई है, लेकिन उनमें से अधिकतर काफी समय से बीमार थे. नगर आयुक्त के मुताबिक कई गोवंश बेहद कमजोर अवस्था में कान्हा उपवन लाए जाते हैं. ऐसे में उनके बचने के चांस कम होते हैं.’
उन्होंने बताया कि गोवंश की मृत्यु के मामले सामने आते ही तीन सदस्य जांच कमेटी बनाई गई. इसके अलावा हाल ही में उन्होंने और डीएम वीरेंद्र कुमार सिंह ने कान्हा उपवन का निरीक्षण किया. वहां के हालातों को बेहतर करने की कोशिश की जा रही है. सरकार की ओर से भी फंड में कोई कमी नहीं है. अप्रैल से लेकर अब तक लगभग 53 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. गोवंशों के इलाज की भी पूरी व्यवस्था की जा रही है.
उपवन की देखभाल करने वाली संस्था पर एफआईआर
इस उपवन को कामधेनु गौशाला ट्रस्ट को देखरेख की जिम्मेदारी मिली थी. इस ट्रस्ट से जुड़े गौसेवक यहां देखरेख करते थे. नगर आयुक्त का कहना है कि 25 अक्टूबर से अधिकतर गोसेवक गायब हैं और जांच कमेटी की रिपोर्ट में इन पर लापरवाही का भी आरोप है. इसी कारण संस्था पर एफआईआर दर्ज कराई गई है. साथ ही इन्हें ब्लैक लिस्टेड किया है ताकि ये कहीं भी गौशाला में देखभाल का काम न पा सकें.
इस ट्रस्ट को चलाने वाले आचार्य संजीव गौड़ का कहना है कि नगर निगम की ओर से काफी लापरवाही की जा रही थी जिस कारण गोवंश के लिए न तो सही मात्रा में चारा मिल रहा था और न ही उनका बेहतर इलाज हो पा रहा था. वह तो गौसेवक के तौर पर उपवन से जुड़े थे.
नाम न छापने की शर्त पर उपवन से जुड़े रहे एक गौसेवक ने बताया कि मेयर व नगर आयुक्त की आपसी खींचातनी का खामियाजा कान्हा उपवन को उठाना पड़ रहा है.
गोवंश को लेकर सीएम योगी दे चुके हैं सख्त निर्देश
सीएम योगी का ‘गाय प्रेम’ किसी से छुपा नहीं. हाल ही में उन्होंने गोवंश के पालन में लापरवाही के कारण महाराजगंज के जिलाधिकारी समेत 5 अधिकारियों को निलंबित कर दिया था. इसके अलावा अयोध्या व मिर्जापुर के डीएम को नोटिस जारी किया था. इन दोनों जिलों के आठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है इसके अलावा मुख्यमंत्री ने प्रयागराज व मिर्जापुर के कमिश्नर से गोवंश की मौतों के कारणों की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे.
सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो कान्हा उपवन के इस मामले में भी बरेली डीएम को जांच के आदेश दिए गए हैं. दिप्रिंट ने पशुधन विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण से संपर्क करने की कोशिश की लेकन वह बात करने के लिए उपलब्ध नहीं थे.