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Tuesday, 19 November, 2024
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असिस्टेंट के तौर पर किया काम फिर विधायक और CM बने, नायब सिंह सैनी ने हरियाणा में BJP को कैसे जीत दिलाई

मुख्यमंत्री के तौर पर सैनी ने तुरंत ही समझ लिया था कि हरियाणा में लोग डिजिटल गवर्नेंस की कुछ इनीशिएटिव से परेशान हैं. उन्होंने घोषणा की कि ऐसी किसी भी पहल में संशोधन किया जाएगा या उसे खत्म कर दिया जाएगा.

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जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 29 जून को घोषणा की कि पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नायब सैनी के नेतृत्व में लड़ेगी, तो सभी को लगा कि पार्टी ने आसन्न हार के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाने का फैसला किया है। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्रीय नेतृत्व को नतीजों की जिम्मेदारी लेने से बचाने के उपाय के तौर पर देखा। 25 मई को हुए लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा- भाजपा 10 लोकसभा सीटों में से पांच पर कांग्रेस से हार गई और 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 44 पर बढ़त बनाए रख सकी- आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत तय मानी जा रही थी।

अक्टूबर में हुए चुनावों के प्रचार के दौरान भी मोदी ने सिर्फ़ चार रैलियाँ कीं, जबकि 2014 में उन्होंने 10 और 2019 में छह रैलियां की थीं। यहां तक कि उनके बड़े-बड़े कटआउट भी इस बार गायब थे – जो 2014 के बाद भाजपा के कैंपेन की पहचान थे।

हालांकि, अपनी मिलनसार मुस्कान, कभी हार न मानने वाले जज्बे और राज्य भर में रैलियों की एक पूरी श्रृंखला के साथ, नायब सैनी ने हाल के चुनावों में एक निश्चित हार को भाजपा की सबसे बड़ी जीत में बदलकर सभी को चौंका दिया है। और यही वजह है कि नायब सैनी इस हफ़्ते के दिप्रिंट न्यूज़मेकर हैं।

भाजपा ने 48 सीटें जीतीं, जबकि सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर सत्ता में वापसी की योजना बना रही कांग्रेस को केवल 37 सीटें मिलीं। सैनी कुरुक्षेत्र की लाडवा सीट से विधायक चुने गए, जहां उन्होंने कांग्रेस के मेवा सिंह को 16,000 से अधिक मतों से हराया। साधारण शुरुआत 1996 में भाजपा के हरियाणा राज्य कार्यालय में सहायक से लेकर इस साल 12 मार्च को हरियाणा के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने तक, 54 वर्षीय नायब सिंह सैनी की राजनीतिक यात्रा तेज और उल्लेखनीय रही है। अक्टूबर 2014 से उनका उदय अजेय रहा है, जब वे पहली बार अंबाला जिले की नारायणगढ़ विधानसभा सीट से विधानसभा के लिए चुने गए थे।

साधारण शुरुआत

1996 में भाजपा के हरियाणा राज्य इकाई के कार्यालय में असिस्टेंट के रूप में काम करने से लेकर इस साल 12 मार्च को हरियाणा के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने तक, 54 वर्षीय नायब सिंह सैनी की राजनीतिक यात्रा बहुत तेज़ और उल्लेखनीय रही है। अक्टूबर 2014 में पहली बार अंबाला ज़िले की नारायणगढ़ विधानसभा सीट से विधायक के रूप में चुने जाने के बाद से उनके विजय का पहिया नहीं रुका है.

मनोहर लाल खट्टर के अचानक इस्तीफे के बाद सीएम के रूप में उनकी नियुक्ति ने सबको काफी आश्चर्य में डाल दिया था.

खट्टर ने मीडिया को बताया कि सैनी के साथ उनका जुड़ाव 1996 से है। खट्टर हरियाणा के लिए भाजपा के संगठन सचिव थे, और सैनी भाजपा के पंचकुला कार्यालय में असिस्टेंट थे।

खट्टर ने 12 मार्च को कहा था, “वह (सैनी) पत्र टाइप करने और रिकॉर्ड मेनटेन करने व पत्राचार करने जैसे नियमित कार्यालय कार्यों को संभालने के लिए जिम्मेदार थे।”

इस अवधि के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो उस समय हरियाणा के लिए भाजपा के प्रभारी थे, अक्सर रोहतक आया करते थे, जहां वे खट्टर से बातचीत करते थे। भाजपा के एक अंदरूनी सूत्र ने दिप्रिंट से बताया कि खट्टर के प्रति सैनी का समर्पण इतना था कि उन्होंने आवश्यकता पड़ने पर खट्टर की कार भी चलाई है।

चंडीगढ़ के राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में शपथ लेने से पहले सैनी पूर्व सीएम के पैर छूकर उन्हें सम्मान देते नजर आए।

यथास्थिति के पक्षधर नहीं

पदभार संभालने के तुरंत बाद नायब सैनी ने संदेश दिया कि वह यथास्थिति के पक्षधर नहीं हैं, उनका अपना एक नजरिया है।

उन्होंने जो पहला कदम उठाया, वह चंडीगढ़ में सीएम के आधिकारिक आवास (खट्टर के दौर में संत कबीर कुटीर के नाम से जाना जाता था) के दरवाजे जनता के लिए खोलना था, ताकि वे अपनी शिकायतें बता सकें। जब खट्टर सत्ता में थे, तो लोगों को उनके आधिकारिक आवास पर उनसे मिलने की अनुमति नहीं थी।

उन्होंने तुरंत ही समझ लिया कि हरियाणा में लोग डिजिटल शासन की कुछ पहलों जैसे कि संपत्ति पहचान पत्र, परिवार पहचान पत्र, किसानों द्वारा फसलों का ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य करना, पंचायतों द्वारा विकास कार्यों में ई-टेंडरिंग और उनके पहले के सीएम द्वारा की गई अन्य पहलों से नाराज़ थे। उन्होंने घोषणा की कि जो भी पहल लोगों को पसंद नहीं आएगी, उसे संशोधित किया जाएगा या खत्म कर दिया जाएगा।

उन्होंने महसूस किया कि किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुद्दे पर भाजपा से नाखुश हैं और केंद्र द्वारा सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए शुरू की गई अग्निवीर योजना का हरियाणा में लोगों ने पसंद नहीं किया है। उन्होंने सभी 24 फसलों पर एमएसपी और उन अग्निवीरों के लिए नौकरियों की घोषणा की जो सेना में अपनी चार साल की सेवा पूरी कर लेते हैं और सेना में भर्ती नहीं होते।

पूर्व मंत्री किरण चौधरी, जिन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले अपनी बेटी श्रुति चौधरी के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं, ने कहा कि सैनी बहुत विनम्र व्यक्ति हैं.

श्रुति इस बार भिवानी में अपने परिवार की पारंपरिक तोशाम सीट से विधायक चुनी गई हैं। चौधरी ने दिप्रिंट से कहा, “वह हमेशा सुझावों का स्वागत करते हैं और उसमें संशोधन करने के लिए तैयार रहते हैं और हमेशा उन्हें दिए गए अच्छे सुझावों पर अमल करते हैं।”

तेजी से उभार

25 जनवरी 1970 को अंबाला के मिर्जापुर माजरा गांव में जन्मे नायब सिंह सैनी ऐसे पहले मुख्यमंत्री हैं जिनका जन्म 1966 में राज्य के गठन के बाद हुआ है. उनके पिता तेलू राम एक सेवानिवृत्त सैनिक और एक छोटे स्तर के किसान थे, जबकि उनकी मां कुलवंत कौर एक गृहिणी हैं।

नायब सिंह सैनी की पत्नी सुमन सैनी ने नवंबर 2022 में जिला परिषद का चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं सकीं. उनके दो बच्चे हैं- एक बेटा और एक बेटी. दोनों ही पढ़ाई करते हैं। सैनी ने मुजफ्फरनगर के बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री और मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की।

​​अंबाला में भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष राजेश रतौरा सैनी को 2002 से जानते हैं। यह वही वर्ष था जब सैनी अंबाला में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के जिला महामंत्री बने थे। वे 2005 में भाजयुमो के जिला अध्यक्ष और बाद में 2012 में भाजपा के जिला अध्यक्ष बने।

इससे पहले सैनी ने  2009 में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर नारायणगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन 7 प्रतिशत से भी कम वोट पाकर पांचवें स्थान पर रहे थे। उस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार राम किशन ने जीत दर्ज की थी।

2014 में सैनी ने राम किशन को 24,000 से अधिक मतों के बड़े अंतर से हराकर बाजी पलट दी और विधायक के तौर पर अपना पहला कार्यकाल शुरू किया। 2019 के संसदीय चुनावों के दौरान, जब तत्कालीन मौजूदा सांसद राज कुमार सैनी ने बगावत कर अपना अलग राजनीतिक दल बना लिया तब भाजपा ने कुरुक्षेत्र से सैनी को मैदान में उतारा. नायब सिंह सैनी ने सफलतापूर्वक यह सीट जीत ली।

अक्टूबर 2023 में उन्हें ओपी धनखड़ की जगह भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया और मार्च 2024 में उन्होंने खट्टर से मुख्यमंत्री का पद संभाला।

रतौरा ने कहा, “सैनी एक साधारण, मध्यम वर्गीय पृष्ठभूमि से आते हैं। हालाँकि उनका परिवार बहुत अमीर नहीं था, लेकिन वे बुनियादी ज़रूरतों के लिए भी संघर्ष नहीं कर रहे थे। अपनी राजनीतिक सफलता के बावजूद, सैनी ज़मीन से जुड़े रहे हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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