नई दिल्ली: गुजरात के पाटीदार नेता और पूर्व कांग्रेसी हार्दिक पटेल ने गुरुवार को भाजपा में शामिल होने के कुछ ही घंटों बाद कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक ‘मामूली सिपाही’ के तौर पर देश की सेवा करेंगे.
पटेल ने 18 मई को यह कहते हुए कांग्रेस छोड़ दी थी कि पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति करती है और गुजरात के लोगों के हितों की अनदेखी कर रही है. हालांकि, भाजपा के साथ भी उनके रिश्ते पहले खराब ही रहे हैं.
हार्दिक पटेल ने आज जिस तरह से मोदी की प्रशंसा की, उससे पता चलता है कि 2015 में गुजरात की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए पाटीदार आरक्षण आंदोलन की अगुआई करने वाले इस 28 वर्षीय नेता ने राजनीति में कितनी दूरी तय कर ली है.
हार्दिक ने 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का समर्थन किया, 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी में शामिल हुए और राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बने.
पाटीदार आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल लगातार प्रधानमंत्री मोदी, तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के अन्य नेताओं पर निशाना साधते रहे थे.
उन्होंने कहा था, ‘झूठ बोलना, जोर से बोलना और उसे बार-बार दोहराना मोदी की आदत है. विकास को लेकर मोदी के सारे दावे खोखले हैं. मुझे यह कहते हुए शर्म आती है कि मैं गुजराती हूं. हर जगह भ्रष्टाचार है.’
हार्दिक ने प्रधानमंत्री मोदी पर यहां तक आरोप लगाए थे कि 2016 में गुजरात दंगों की ‘साजिश’ में पाटीदारों का इस्तेमाल किया गया था.
हार्दिक पटेल ने 2017 में उत्तरी गुजरात में एक रैली के दौरान कहा, ‘गुजरात में विकास ने जन्म तक नहीं लिया है. और साहेब (मोदी) गुजरात मॉडल की बात करते हैं. अगर ऐसा ही होता तो भाजपा को देश के अन्य हिस्सों के नेताओं को गुजरात में बुलाने और उन्हें प्रचार के लिए उतारने की जरूरत नहीं पड़ती है.’
2016 में हार्दिक पटेल ने भाजपा पर वरिष्ठ नौकरशाह के. कैलाशनाथन के जरिये 1200 करोड़ रुपये और भारतीय जनता युवा मोर्चा में अध्यक्ष पद की पेशकश करने का आरोप लगाया था. पटेल ने कहा था, ‘भाजपा चाहती थी कि मैं आरक्षण आंदोलन को वापस ले लूं, लेकिन मैंने तुरंत इसे खारिज कर दिया.’
2017 में पाटीदार नेता ने अहमदाबाद में एक सम्मेलन में कहा था कि वह गुजरात में भाजपा को हराने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
उन्होंने यह भी चेताया था कि मोदी एक ‘तानाशाह’ बन जाएंगे. पाटीदार आंदोलन के दौरान पटेल ने कहा था, ‘वह (मोदी) एक तानाशाह बन जाएंगे. 2019 के बाद वह सुनिश्चित करेंगे कि कोई चुनाव ही न हो.’
पूर्व कांग्रेस नेता ने शाह की तुलना ‘जनरल डायर’ से की थी क्योंकि 2020 में उन्होंने कथित तौर पर पुलिस को पाटीदार आंदोलनकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया था जिसकी वजह से 14 मौतें हुई थीं.
2018 में जब हार्दिक पटेल को दंगों के मामले में दो साल जेल की सजा सुनाई गई थी, तब उन्होंने कहा था कि भाजपा की ‘हिटलरशाही’ उन्हें ‘सच्चाई, किसानों, युवाओं और गरीबों’ के लिए लड़ने से नहीं रोक सकती.
2020 में कांग्रेस में शामिल होने से पहले हार्दिक ने अहमदाबाद में एक सभा में कहा था कि भाजपा और कांग्रेस दोनों का व्यवहार एक जैसा है. उन्होंने कहा था, ‘बस एक बात याद रखना, हमें उन लोगों का सफाया करना है जिन्होंने हम पर अत्याचार किए हैं. मैं आपसे यह नहीं कहूंगा कि किसे वोट देना है. भाजपा और कांग्रेस दोनों एक ही जैसी हैं. उनके लिए लोगों का कोई मूल्य नहीं है.’
भाजपा पर चरित्र हनन का आरोप लगाया था
2017 में जब हार्दिक पटेल की कथित तौर पर कुछ ‘अंतरंग’ क्लिप सामने आई थीं, तो पाटीदार नेता ने भाजपा पर उनकी निजता के उल्लंघन का आरोप लगाया था और पार्टी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दी थी.
2019 में फिर, जब अमित शाह ने गृहमंत्री के तौर पर शपथ ली, पटेल ने अब हटाए जा चुके एक ट्वीट में कहा था, ‘मैं अमित शाह को गृहमंत्री बनने के लिए बधाई देता हूं. लेकिन कुछ भक्तों (भाजपा समर्थकों) ने मुझे मैसेज कर पूछा कि मेरा क्या होगा. भक्त बहुत खुश हैं कि शाह अब गृहमंत्री हैं. तो क्या भाजपा के खिलाफ लड़ रहे युवाओं को मार दिया जाएगा? होगा तो वही जो भगवान चाहेंगे…’
हार्दिक पटेल ने पिछले साल इस बारे में बताया था कि कैसे उन्होंने और कांग्रेस पार्टी ने गुजरात के पूर्व सीएम विजय रूपानी को कुर्सी छोड़ने पर बाध्य कर दिया.
उन्होंने कहा था, ‘हमने भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ा दी और हमारे दबाव के कारण ही रूपानी को जाना पड़ा. इससे पता चलता है कि कांग्रेस मायने रखती है और हम ताकतवर हैं. और हम 2022 में दिखाएंगे कि हम मायने रखते हैं.’
2022 में विधानसभा चुनावों के संदर्भ में पटेल ने पहले कहा था कि भाजपा सरकार कोविड महामारी और बेरोजगारी दर पर काबू पाने में नाकाम रही है. उन्होंने यह भी कहा था कि लोग इतने गुस्से में हैं कि वे भाजपा को बाहर कर देंगे.
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