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Monday, 28 July, 2025
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जंग लक्ष्य क्यों नहीं था? अगर अब नहीं तो कब लेंगे PoK वापस—ऑपरेशन सिंदूर पर गोगोई का केंद्र से सवाल

संसद में तीखे भाषण में कांग्रेस सांसद ने कहा, पहलगाम आतंकी हमले में जो सुरक्षा चूक हुई, उसकी नैतिक जिम्मेदारी केंद्र सरकार ले, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के पीछे न छिपे.

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नई दिल्ली: सोमवार को लोकसभा में विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर पर बहस की शुरुआत तीखे तेवरों के साथ की. कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सवाल उठाया कि पाकिस्तान पर चल रहे सैन्य हमलों को अचानक क्यों रोक दिया गया. उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए “जंग” और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को वापस लेना सरकार का लक्ष्य होना चाहिए था.

लोकसभा में कांग्रेस के डिप्टी लीडर गोगोई विपक्ष की ओर से पहले वक्ता थे. उन्होंने मई में हुए ऑपरेशन के दौरान भारत के कुछ राफेल लड़ाकू विमानों के नुकसान की खबरों पर सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाया. उन्होंने इस संदर्भ में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान और इंडोनेशिया में भारत के डिफेंस अटैची कैप्टन शिव कुमार के बयान का हवाला दिया.

बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7 मई 2025 की सुबह भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए थे. इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत के एयरबेस को निशाना बनाने की कोशिश की.

गोगोई ने कहा, “पूरा देश और विपक्ष प्रधानमंत्री के साथ खड़ा था, लेकिन अचानक कहा गया कि सीज़फायर हो गया. अगर पाकिस्तान घुटनों पर था, तो आपने हार क्यों मानी? किसके आगे झुके? अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 26 बार दावा किया है कि उन्होंने व्यापारिक दबाव डालकर दोनों देशों को युद्ध रोकने पर मजबूर किया. उन्होंने यह भी कहा कि 5-6 भारतीय फाइटर जेट गिराए गए…हर जेट करोड़ों का होता है. अगर कुछ भी खोए हैं, तो वह बड़ा नुकसान है.”

इससे पहले लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर को सिर्फ “रोक” दिया गया है. अगर पाकिस्तान फिर से कोई हरकत करता है, तो यह ऑपरेशन फिर से शुरू किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि इस ऑपरेशन ने दिखा दिया कि भारत अब पाकिस्तान की सीमा में घुसकर भी हमला कर सकता है.

इस पर गोगोई ने जवाब दिया, “क्या यही बात हमें 2016 और 2019 में भी नहीं बताई गई थी? कि हमने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकियों के ठिकाने तबाह कर दिए. पुलवामा हमले के बाद भी कहा गया कि हमने अपने जेट भेजे हैं और अब पाकिस्तान दोबारा हमला करने की हिम्मत नहीं करेगा. अब वे (राजनाथ सिंह) कह रहे हैं कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि पाकिस्तान फिर हमला कर सकता है. तो फिर यह सफलता कैसे हुई?”

असम के जोरहाट से सांसद गोगोई ने आगे कहा, “उन्होंने (राजनाथ सिंह) कहा कि युद्ध हमारा उद्देश्य नहीं था, लेकिन हम पूछते हैं—क्यों नहीं था? यह होना चाहिए था. वे कह रहे हैं कि ज़मीन हमारा लक्ष्य नहीं थी. हम पूछते हैं—क्यों नहीं? अगर हम अब पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoK) को वापस नहीं लेंगे, तो कब लेंगे?”

अपने भाषण में गोगोई ने गृह मंत्री अमित शाह को भी निशाने पर लिया, जो उस वक्त सदन में मौजूद थे. उन्होंने कहा कि पहलगाम की बैसरण घाटी में हुए आतंकी हमले और 26 लोगों की मौत को लेकर शाह जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पीछे नहीं छिप सकते.

गोगोई ने कहा, “अगर किसी को जिम्मेदारी लेनी है, नैतिक जिम्मेदारी, तो वह उपराज्यपाल नहीं बल्कि गृह मंत्री को लेनी चाहिए. आप उपराज्यपाल के पीछे नहीं छिप सकते और सरकार इतनी डरपोक है कि उसने तो टूर ऑपरेटरों को भी दोष दे दिया. कहा गया कि सरकार को नहीं पता था कि टूर ऑपरेटर पर्यटकों को वहां ले जा रहे थे.” इस दौरान गोगोई हमले के बाद संसद एनेक्स में हुई सर्वदलीय बैठक में सुरक्षा एजेंसियों के कुछ अधिकारियों द्वारा दिए गए बयानों का हवाला दे रहे थे.

गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की, जो हमले के समय सऊदी अरब की यात्रा पर थे. उन्होंने कहा, “जब प्रधानमंत्री लौटे, तो उन्हें सबसे पहले पहलगाम जाना चाहिए था, लेकिन वे सीधे बिहार गए और वहां राजनीतिक भाषण दिया.” इस पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने विरोध किया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कांग्रेस नेता को “गलत तथ्य” सदन में न रखने की चेतावनी दी.

गोगोई ने रक्षा मंत्री के भाषण में चीन का ज़िक्र न होने पर भी सवाल उठाया, जबकि हाल ही में सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान को अहम समर्थन दिया.

उन्होंने कहा, “आप कहते हैं कि आपने चीन को लाल आंखें दिखाईं, तो फिर आपने अपने पूरे भाषण में चीन का नाम एक बार भी क्यों नहीं लिया? हम प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री से जानना चाहते हैं कि पाकिस्तान को चीन से कितनी मदद मिली?”

गोगोई ने दावा किया कि यहां तक कि भारत के पारंपरिक मित्र देश भी अब भारत की तुलना पाकिस्तान से कर रहे हैं, जो भारत की विदेश नीति पर सवाल खड़ा करता है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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