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Friday, 10 May, 2024
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असेंबली स्पीकर का चुनाव गुप्त मतदान की बजाय ध्वनि मत से क्यों कराना चाहते हैं उद्धव

महाराष्ट्र में स्पीकर का पद फरवरी में नाना पटोले के इस्तीफे के बाद से ख़ाली है. कांग्रेस उसे जल्दी भरना चाहती है, लेकिन NCP और शिवसेना दोनों हालात के स्थिर होने का इंतज़ार करना चाहते हैं.

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मुंबई: दिप्रिंट को पता चला है कि महाराष्ट्र में तीन पार्टियों के गठबंधन की महा विकास अघाड़ी सरकार असेंबली स्पीकर का चुनाव गुप्त मतदान से कराने की इच्छुक नहीं है और उसे खुले वोट के ज़रिए कराना चाहती है.

इसी उद्देश्य को देखते हुए राज्य विधान सभा की नियम समिति ने दो-दिवसीय मॉनसून सत्र के दूसरे दिन 6 जुलाई को एक बैठक की और असेंबली के अगले सत्र में इस बदलाव का प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया. कमेटी सुझाव देगी कि स्पीकर का चुनाव हाथ उठाकर या ध्वनि मत से कराया जाए.

एक वरिष्ठ विधायक, जो कमेटी का हिस्सा हैं ने कहा, ‘मुख्यमंत्री गुप्त मतदान के ज़रिए स्पीकर पद का चुनाव कराने में हिचकिचा रहे हैं. स्थिति अलग होती अगर एक पार्टी की सरकार होती, जिसके पास स्पष्ट बहुमत होता और आमराय से एक उम्मीदवार की संभावना होती. लेकिन यहां, सत्तारूढ़ पार्टी में भी कुछ ऐसे विधायक हैं, जिनके बीच विवाद हैं.’

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘अगर कुछ विधायक भी अलग से वोट डालते हैं, तो इससे सरकार की छवि पर बुरा असर पड़ेगा, और विपक्ष को मौक़ा मिल जाएगा. गुप्त मतदान में ऐसे विधायकों की पहचान करना भी संभव नहीं हो पाएगा.’

राज्य विधान सभा फरवरी से बिना स्पीकर के काम कर रही है, जब नाना पटोले ने बतौर अध्यक्ष, महाराष्ट्र कांग्रेस की कमान संभालने के लिए पद से इस्तीफा दे दिया था.

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उसके बाद से सदन के दो सत्र हो चुके हैं, लेकिन एमवीए सरकार ने- जिसमें शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), और कांग्रेस शामिल हैं- अभी तक इस पद को भरा नहीं है.


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मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इसके पीछे कई कारण गिनाए, जिनमें कोविड महामारी की वजह से सदन के दोनों सत्रों को घटाकर दो दिन करना और सभी विधायकों के मौजूद न रहने की संभावना शामिल हैं, क्योंकि सत्र में शिरकत करने के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य है.

स्पीकर के चुनाव के नियम बदलने की प्रक्रिया

राज्य विधान सभा की नियम समिति का अध्यक्ष असेंबली स्पीकर होता है. लेकिन 5 जुलाई को, जो मॉनसून सत्र का पहला दिन था, विधान सभा ने एक सर्कुलर जारी करके डिप्टी स्पीकर नरहरि ज़ीरवाल को, कमेटी की अध्यक्षता करने का अधिकार दे दिया.

ज़ीरवाल ने फिर एक दिन बाद एक बैठक की अध्यक्षता की, और सदस्यों ने फैसला किया कि स्पीकर का चुनाव खुले वोट से कराया जाएगा.

राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने, जो नाम छिपाना चाहते थे, कहा, ‘नियम समिति इस बारे में एक दो बैठकें और करेगी. स्पीकर का चुनाव गुप्त मतदान की बजाय खुले वोट से कराने का प्रस्ताव, विधान सभा के शीतकालीन सत्र में रखा जाएगा’.

उन्होंने आगे कहा, ‘आमतौर से, विधायकों को अपने सुझाव और आपत्तियां दर्ज कराने के लिए 10 दिन का समय दिया जाता है, लेकिन इसे बदला जा सकता है, जो इस पर निर्भर करेगा कि क्या अगला सत्र भी महामारी की वजह से छोटा किया जाएगा’.

शीतकालीन सत्र आमतौर पर दिसंबर में नागपुर में होता है.

इस बीच, नियम समिति के एक अन्य सदस्य ने कहा कि गुप्त मतदान का तरीक़ा पुराना हो चुका है, और इसे बदला जाना चाहिए.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘राज्य विधान परिषद में अध्यक्ष का चुनाव खुले मत से होता है. लोकसभा और राज्यसभा में भी कोई गुप्त मतदान नहीं होते’.

उन्होंने आगे कहा, ‘कई उम्मीदवारों के साथ खुले वोट में, पहले उम्मीदवार का नाम घोषित होगा, और सदस्य हाथ उठाकर या ध्वनि मत से वोट कर पाएंगे. अगर कोई आम सहमति नहीं है तो दूसरा नाम घोषित किया जाएगा, और वही प्रक्रिया होगी. अगर पहले नाम पर ही आमराय बन जाती है, तो फिर किसी दूसरे उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया जाता’.

स्पीकर के चुनाव पर राजनीति

एमवीए के सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस इस बात पर ज़ोर दे रही है कि जल्द चुनाव कराकर, पद पर किसी अन्य पार्टी नेता को बिठा दिया जाए. लेकिन शिवसेना और एनसीपी चुनाव कराने के लिए सही अवसर और स्थिर हालात का इंतज़ार करना चाहते हैं.

सत्तारूढ़ गठबंधन के कई नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि सीएम ठाकरे और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, पटोले के पद से इस्तीफा देने के एकतरफा फैसले से नाराज़ हुए थे.

उन्हें लगा कि इस्तीफे ने स्पीकर के चुनाव की ज़रूरत खड़ी करके, एमवीए की अस्थिर सरकार के लिए अनावश्यक समस्याएं पैदा कर दीं.

नवंबर 2019 में सरकार बनने के पश्चात हुए विश्वास मत के बाद, स्पीकर का चुनाव सदन के पटल पर सत्तारूढ़ गठबंधन का पहला परीक्षण होगा.

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘पटोले ने कहा कि स्पीकर के पद से इस्तीफा देने का निर्देश, उन्हें दिल्ली में नेतृत्व की ओर से मिला था, लेकिन कांग्रेस के भीतर किसी ने उन्हें ऐसा निर्देश देने की ज़िम्मेदारी नहीं ली है.

उन्होंने आगे कहा, ‘एमवीए के अंदर किसी नेता ने सीधे तौर पर बात नहीं की है, लेकिन ऐसा समझा जाता है कि शिवसेना और एनसीपी पद को भरने के लिए किसी जल्दबाज़ी में नहीं हैं’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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