लखनऊ: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जुटी भीड़ के ‘जय श्री राम ‘ का नारा लगाने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा भाषण दिए जाने से इनकार करने के दो दिन बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह उद्घोष शिष्टाचार का पर्याय और गर्व की बात है और किसी को भी इसे लेकर नाराज नहीं होना चाहिए.
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने सोमवार को लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, ‘एक आम आदमी के लिए ‘जय श्री राम’ बोलना शिष्टाचार का संबोधन है…हम इसे किसी पर थोप नहीं रहे हैं. यदि कोई ‘नमस्कार ’ या पैतृक भाषा में अभिवादन करता है या ‘जय श्री राम ’ कहता है तो किसी को इस पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे मुद्दों को अनावश्यक महत्व नहीं दिया जाना चाहिए.
यह घटना शनिवार को उस समय हुई जब कोलकाता स्थित विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के साथ 124वी जयंती पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि देने के लिए एक ही मंच पर मौजूद थे. इस दिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया गया.
आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार बनाने को लेकर किसी के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘भाजपा को पश्चिम बंगाल के लोगों का भारी समर्थन मिल रहा है और पार्टी को मजबूत जनादेश के साथ सत्ता में आने का भरोसा है.’
इसके अलावा, हर चुनाव से पहले अन्य राज्यों में प्रचार को लेकर उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ी भूमिका निभाने की संभावना से उन्होंने साफ इनकार किया.
आदित्यनाथ ने कहा, ‘जब हमारे राज्य में चुनाव होते हैं तो दूसरे राज्यों के भाजपा कार्यकर्ता प्रचार करने आते हैं. अगर दूसरे राज्यों में चुनाव होता है तो पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में हम भी चुनाव प्रचार के लिए वहां जाते हैं. हम उसी भूमिका के साथ वहां जाते हैं और एक पार्टी, एक परिवार के रूप में होने के नाते हम जनता से समर्थन मांगने के लिए जाते हैं.’
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‘धर्मांतरण विरोधी कानून मौजूदा समय की जरूरत’
राज्य में हाल ही में पारित धर्मांतरण विरोधी बिल को उचित ठहराने के लिए आदित्यनाथ ने केरल हाई कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया.
आदित्यनाथ ने कहा कि 12 साल पहले सुनाए गए एक फैसले में केरल हाई कोर्ट ने राज्य को छल और धोखे के कारण समाज में विभाजन पैदा करने वाली खामियों को दूर करने के लिए एक कानून लाने के लिए कहा था.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अगर केरल सरकार कोई कानून नहीं बना पाई, तो इसमें हम क्या कर सकते हैं? हमारे राज्य में ऐसे किसी निर्देश की कोई आवश्यकता नहीं थी. हमने महसूस किया कि यदि कोई विशेष प्रवृत्ति समाज में विभाजन पैदा कर रही है या फिर इसकी वजह से कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती हैं, तो स्वाभाविक है कि हम राज्य के 24 करोड़ लोगों की सुरक्षा के लिए एक कानून लाएंगे.’
आदित्यनाथ ने कहा कि कानून लाभ या हानि के लिए नहीं होते हैं, बल्कि ‘राज्य और उसके लोगों की भलाई’ के इरादे से बनाए जाते हैं.
उन्होंने कहा, ‘जो कुछ भी करना आवश्यक होगा, हम करेंगे. हमें लगा कि यह अभी की जरूरत है और मैं आभारी हूं कि देश के कई राज्यों और आम लोगों ने इसका समर्थन किया है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर आप राजनीतिक एजेंडे को छोड़ दें तो मोटे तौर पर आम लोगों ने इस कानून का समर्थन किया है और यह आज की जरूरत भी है. यह केवल यूपी की बात नहीं है. यह (शादी के लिए धर्मांतरण) न केवल भारत बल्कि दुनियाभर के लिए भी एक समस्या बन रहा है.’
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‘यूपी नहीं बंटेगा, पर्सनल लिकर लाइसेंस राज्य की भलाई के लिए’
बातचीत के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री ने कई अन्य मुद्दों जैसे राज्य के विभाजन, मौजूदा किसान आंदोलन और नई शराब नीति पर भी चर्चा की.
राज्य को विभाजित किए जाने की किसी भी योजना को खारिज करते हुए आदित्यनाथ ने कहा, ‘उत्तर प्रदेश.. उत्तर प्रदेश है. यूपी से जुड़ी हुई अतीत की गौरवशाली परंपराएं हैं. राज्य के लोगों को इन परंपराओं पर गर्व है. हम एकजुटता के लिए काम करते हैं ना कि विभाजन के लिए.’
किसानों के आंदोलन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र किसान नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है.
उन्होंने कहा, ‘केंद्र ने बहुत सकारात्मक रुख अपनाया है और किसानों के साथ बातचीत कर रहा है. इसने किसानों के सामने कुछ विकल्प भी रखे हैं…केंद्र केवल उन मुद्दों पर बातचीत आगे बढ़ाने के पक्ष में है. आज कानून का विरोध करने वालों में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने अध्यादेश का समर्थन किया था.’
एक नई आबकारी नीति, जिसके तहत घर पर एक सीमा से अधिक शराब का स्टॉक करने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है, पर आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य की भलाई के लिए यह जरूरी था.
नई नीति को पिछले सप्ताह यूपी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी और इसके तहत लोगों को निजी उपयोग के लिए भी लाइसेंस लेना जरूरी होगा. इस पर आदित्यनाथ ने कहा कि यह उत्तर प्रदेश को शराब मुक्त राज्य बनाने का एक प्रयास है क्योंकि कोई भी नीति जबरन लागू नहीं की जा सकती.
उन्होंने कहा, ‘राज्य की भलाई के लिए जो भी कदम उठाने की जरूरत होगी, हम उठाएंगे…हम शराब की तस्करी की जांच करना चाहते हैं और इसका दुरुपयोग रोकना चाहते हैं. राज्य में पहले से ही आबकारी नीति है और हम इसे आगे बढ़ा रहे हैं.’
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