झांसी के डीजे के लिए धर्म कोई मायने नहीं रखता है। उनमें से अधिकतर युवा लड़के हैं जो जल्द नाम और दाम की तलाश कर रहे हैं। इसलिए वे कुछ भी कर गुजरते हैं।
झांसीः हर रविवार की शाम को झांसी की मानिक चौक पर मार्केट में साईं बाबा के सैकड़ों भक्तों के साथ एक पालकी यात्रा पहुँचती है। हर रविवार को बारी-बारी से झन्नाटेदार गाने कई लाइडस्पीकरों पर फुल आवाज में बजाए जाते हैं और साथ में वह साईं भक्त होते हैं।
इस यात्रा का नेतृत्व ढोल बजाते हुए पुरूषों के एक समूह द्वारा किया जाता है, पूरा वातावरण भक्तिमय लगने लगता है। लेकिन गानों पर गहराई से ध्यान दिया जाए तो पता चलता है कि इन गानों में न तो साईं बाबा के लिए ही कुछ होता है और न ही भक्ति।
इसके बजाय आप क्या सुन सकते हैः
“कैलाश पर बैठे शिव का संदेशा आएगा, फिर पाकिस्तान में भी भगवा लहराएगा”
या
“मैं हिन्दू जगाने आया हूँ, मैं हिन्दू जगाकर जाऊँगा। मरते दम तक अपने मुख से जय श्री राम गाऊँगा।”
इसी में भीड़ का एक लोकप्रिय गीत भी है जो कि एक तेजतर्रार सन्यासी की भाषण पर निर्धारित है – जिस समय गायक कहता है “कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे” तो श्रोता उत्साह के मारे झूम उठते हैं।
कुछ अन्य गाने इस प्रकार हैः “हिन्दुस्तान में रहना होगा, जय श्री राम कहना होगा”, “राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे”, यह उन लोगों के लिए एक बुलावा होता है जो अयोध्या में उसी जगह पर राम मंदिर बनान चाहते हैं जहाँ पर एक समय बाबरी मस्जिद स्थित थी।
उत्तेजक “देशभक्ति” और धार्मिक संदेशों से जुड़े हुए यह गीत, अधिकांश हिन्दू विशिष्टता की घोषणा करने वाले, झांसी में उभरते सैंकड़ों डीजे वालों को स्थानीय सेलिब्रिटी बनने में मदद कर रहे हैं।
लेकिन राजनीतिक रूप से ये भड़कीले गाने उनके पैरोकारों के लिए केवल एक चतुराई भरा व्यापार है, जो कसम खाते हैं कि उनका उद्देश्य किसी को भड़काने का नहीं है। उनका तो सीधा मंत्र है, वह कहते हैं नफरत बिकती है, भक्ती नहीं।
21 वर्षीय पॉलिटेक्निक छात्र डीजे सिद्धार्थ ने कहा कि उसने हिंदू और मुसलमान दोनों के लिए संगीत बनाए हैं, उसने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य सिर्फ पैसा कमाना का था, धर्म की सेवा नहीं।
उन्होंने कहा “अगर मैं एक मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ होता, तो मैं भी एक मुस्लिम होता। तो इसलिए मैं मुस्लिम या किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं हूँ।”
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क्योंकि हर गीत उनके डीजे को 500 से 800 रूपए से अधिक की कमाई नहीं देता है, इसलिए यह एक अच्छा
साइड जॉब है। लेकिन लोकप्रियता बहुत अधिक है: बहुत सारे मिक्स फ्री में ऑनलाइन उपलब्ध हैं और डीजे अक्सर रामनवमी तथा गणेश चतुर्दशी जैसे त्योहारों पर उत्सव मनाने के लिए आमंत्रित किए जाते हैं।
गीतों की प्रकृति के बावजूद, यह मुसलमानों के बीच लोकप्रिय है। डीजे वसीम, चार साल से हिंदुत्व समर्थक संगीत बना रहे हैं, ने कहा, वह जानते हैं कि उनके बनाए गीतों को अक्सर मुस्लिम इलाकों के आस-पास उनके समुदाए के सदस्यों को ठेस पहुँचाने के लिए बजाया जाता है। लेकिन उन्होंने कहा, “मैं नफरत के लिए संगीत नहीं बनाता।”
वसीम के एक गीत में आवाज गूंजती है, “मैं तुम्हारी हुकूमत को गिरा कर अपनी हुकूमत की बुनियाद रखूंगा, जय श्री राम।
यह बताते हुए कि उनके गीतों का निहित प्रयोजन घृणा या हिंसा की संभावना को बढ़ावा देना नहीं था, वसीम ने कहा, “मैं प्रत्येक धर्म के लिए गाने बनाता हूँ, चाहे वह हिंदू हों या मुसलमान।”
वसीम ने आगे कहा कि उनका संगीत न केवल राम नवमी और गणेश चतुर्थी के जुलूस में बजता है बल्कि मुहर्रम में भी बजता है।
रानीपुर के डीजे आसिफ ने कहा कि उनके गीत राम नवमी के दौरान उतने ही अधिक बजाए जाते हैं जितने कि ईद के दौरान बजाए जाते हैं।
झांसी के डीजे
झांसी में अनुमानित 300 डीजे हैं, जिनमें से अधिकतर डीजे पर युवा लड़कों द्वारा प्रायः राम नवमी और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहारों पर बेहिचक होकर धमाकेदार गाने बजाए जाते हैं। प्रत्येक डीजे में लगभग चार से पाँच सहायक लड़के होते हैं जो रोड शो के दौरान मिक्सिंग, डिस्ट्रीब्यूटिंग में मदद कर इसे बजाते हैं।
उनके पास इतने गाने नहीं होते हैं इसलिए वे मूवी के डॉयलाग और राजनीतिक भाषणों को म्यूजिक पर सेट करके बजाते हैं। इस क्रेज का श्रेय पंकज कुशवाह, जो बीटेक फाइनल इयर के छात्र हैं और डीजे लकी के नाम से लोकप्रिय हैं, को जाता है, जिनके गाने मोदी और योगी मिक्स के नाम से इंटरनेट पर मौजूद हैं।
उनके गीतों में से एक ‘2018 मोदी जी पाकिस्तानी धमकी डीजे डॉयलाग्स’ नामक गीत सितंबर 2016 के उरी हमलों के बाद सबसे पहले सार्वजनिक संबोधन में प्रधानमंत्री के शब्दों को प्रदर्शित करता है।
“क्या कारण है कि हिंदुस्तान सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट करता है और पाकिस्तान टेररिस्ट एक्सपोर्ट करता है।” बीच-बीच में जय श्री राम की ध्वनि गूँज उठती है। यूट्यूब पर इस वीडियो के लाखों लोगो ने देखा हैं।
डीजे लकी अब यूट्यूब पर 600,000 सब्सक्राइबर वाला एक सत्यापित चैनल है और अपने गीतों से कमाई करने वाले कई चैनलों में से एक है।
एक और युवा डीजे, जैनेंद्र कुमार ने युवाओं पर कुशवाह के प्रभाव को स्वीकार किया।
उन्होंने कहा, “बहुत से युवा लड़के लकी की तरह मिक्सिंग करना चाहते थे। यह तब हुआ जब मैंने मिक्सिंग की कक्षाएं आयोजित करनी शुरू कीं।”
कुमार, जो डीजे जेके झाँसी के नाम से लोकप्रिय हैं, ने आगे बताया, “पाकिस्तान विरोधी संवादों वाले गीतों की मांग बेहद अधिक है। हमें बस इन डॉयलाग्स को फिल्मों और भाषणों से ऑनलाइन ढूँढ़कर, इनमें कुछ म्यूजिक की मिक्सिंग करके रिलीज करना होता है।”
जो लोग इस क्षेत्र में हैं उन्हें अत्यधिक प्रतिस्पर्धा स्वीकार करनी होती है लेकिन ऐसा करना इतना सरल नहीं है।
डीजे सिड ने बताया, “बेहतर मिक्सिंग की बात आने पर हमेशा कुछ प्रतिस्पर्धा होती है। हम विशेषकर हिंदुस्तान और पाकिस्तान मिक्सेस के सहारे दूसरों से आगे निकलने की कोशिश करते हैं।”
वायरल सामग्री का निर्माण अक्सर सहयोग का कारण बनता है, जहा डीजे के धर्म में किसी को कोई दिलचस्पी नहीं होती है।
श्रोताओं को डीजे के धर्म की परवाह नहीं होती या तो: वे सिर्फ उन प्रक्रियाओं के लिए इकट्ठे होते हैं जहां गाने-बजाने होते हैं और रात में नृत्य किया जाता है।
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कुछ लोग इन गानों की लोकप्रियता को इस तथ्य से जोड़ते हैं कि वे श्रोताओं में “देशभक्ति” की भावना पैदा करते हैं।
भाजपा युवा मोर्चा के रोहित गोथंकर ने कहा, “पाकिस्तान एक मित्र राष्ट्र नहीं है, इसलिए जब भी इन गानों को तैयार किया जाता है, तो वे केवल हमारे युवाओं में देशभक्ति की भावना को बढ़ाते हैं, “अगर कोई पाकिस्तान का नाम लेता है, तो हम उनकी वंशावली मिटा देंगे”।
नफरत पैदा करना
इस साल की शुरुआत में पश्चिम बंगाल और बिहार में राम नवमी के दौरान सांप्रदायिक हिंसा को पुलिस ने मुस्लिम-वर्चस्व वाले क्षेत्रों में नारेबाजी और जयकारों को जिम्मेदार ठहराया था।
झांसी डीजे का कहना है कि उनका मकसद किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं है, लेकिन कोई बात नहीं, दिप्रिंट ने उनको सांप्रदायिक तनाव पैदा करने वाले उनके गानों की अज्ञानता के बारे में बताया। उन्हें पता था कि अक्सर मुस्लिम इलाकों और मस्जिदों के बाहर जुनून को व्यक्त करने के इरादे के साथ यह गाना-बजाना किया जाता है।
डीजे लकी ने कहा, “वे अक्सर यह दिखाने के लिए ऐसा करते हैं कि वास्तव में हिंदू की क्षमता क्या है। राम का नाम लेना गलत नहीं है लेकिन मस्जिदों के बाहर इस तरह के जयकारे लगाना विवाद का कारण बन सकता है”।
एक व्यापारी मोनू डीजे ने कहा कि उन्होंने सभी धर्मों के सदस्य उनके ग्राहक है, और कहा कि वह अपने काम के नैतिक प्रभावों के बारे में नहीं सोचना चाहेंगे। उन्होंने कहा, “अगर मैं अपने काम के नैतिक पहलू पर ध्यान देना शुरू करता हूं, तो यह एक व्यापार होने के कारण बहुत ही जल्द बंद हो जाएगा।”
17 वर्षीय स्कूल के छात्र डीजे आरिफ ने कहा, कि उन्होंने और उनके दोस्तों ने विभिन्न धर्मों के लोगों को एकजुट करने के लिए संगीत का निर्माण किया, लेकिन “कुछ अराजक तत्व हमारे गाने डाउनलोड करते हैं और उन्हें परिवर्तित कर देते हैं”।
जहां ये गीत बजाए जाते है, वहां उद्भेद की संभावना पुलिस को सतर्क रखती हैं और वे उन प्रक्रियाओं पर नजर रखते हैं। माणिक चौक जुलूस में, एक मोटरसाइकिल पर दो पुलिसकर्मी कभी-कभी दिखाई देते हैं। महिलाएं, जो इस जुलूस का हिस्सा होती हैं, दूर रुक जाती हैं। पार्टी जारी रहती है।
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