बेंगलुरू: कर्नाटक में सिंदगी और हांगल की दो असेंबली सीटों पर हो रहे उपचुनावों में दिग्गजों के बीच संघर्ष देखने को मिल रहा है, भले ही उनके नतीजों का सत्ताधारी पार्टी या विपक्ष पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है.
कर्नाटक में बीजेपी की बासवराज बोम्मई सरकार के पास आराम से पूर्ण बहुमत है. 224 सदस्यीय सदन में उसके पास 120 विधायक हैं और उसे एक निर्दलीय का समर्थन हासिल है.
संख्या के हिसाब से उपचुनावों के नतीजों का कोई खास महत्व नहीं है लेकिन बीजेपी, कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) इन सीटों को जीतने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं, जो प्रतिष्ठा का सवाल बन गई हैं.
जहां बीजेपी की अगुवाई कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई और राज्य के बहुत से मंत्री कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस पूर्व-सीएम सिद्धारमैया और प्रदेश इकाई अध्यक्ष डीके शिवकुमार की अगुवाई में लड़ रही है. पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा जेडी (एस) की कमान संभाले हुए हैं.
उपचुनाव 30 अक्टूबर को होने जा रहे हैं.
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जीत के लिए क्यों बेताब है भाजपा
17 अक्टूबर को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने हंगल में एक भावुक अपील की. उन्होंने कहा, ‘हमारी (बीजेपी) जड़े यहीं पर हैं. शिवराज सज्जनार (बीजेपी उम्मीदवार) यहीं पैदा हुए और यहीं मरेंगे, शिवकुमार उदासी (बीजेपी सांसद) भी यहीं पैदा हुए और यहीं मरेंगे. मेरी मौत भी यहीं होगी और मुझे यहीं दफ्नाया जाएगा’.
उपचुनावों के प्रचार के पहले चरण के दौरान हंगल में अपील करते हुए बोम्मई कांग्रेस को बाहरी करार देकर उसपर निशाना साध रहे थे.
अपनी अपील में उन्होंने आगे कहा, ‘मैं आप ही के बीच से हूं. चाहे आप मुझे दामाद कहें या पोता कहें, मैं आप ही में से एक हूं. सज्जनार को जो वोट आप देंगे, वो वोट (पीएम) मोदी के लिए होगा, (पूर्व सीएम) येदियुरप्पा के लिए होगा’.
बोम्मई के लिए दोनों सीटें जीतना धारणा बनाने की राजनीति है. सिंदगी और हंगल में लिंगायत मतदाता काफी तादाद में हैं, जिनकी अनुमानित संख्या क्रमश: 70,000 और 62,000 है.
बीजेपी ने छह बार के विधायक स्वर्गीय सीएम उदासी के परिवार के किसी सदस्य की बजाय, जिनकी मौत के कारण हंगल में उपचुनाव हो रहा है, सज्जनार को मैदान में उतारने का फैसला किया. उसके इस कदम से प्रभावशाली उदासी परिवार बहुत खफा था.
पार्टी ने भले ही परिवार को सज्जनार का समर्थन करने के लिए मना लिया लेकिन बोम्मई को हावेरी से एक और विधायक नेहारु ओलेकर को कैबिनेट पद का आश्वासन देकर पार्टी के प्रचार के लिए बुलाना पड़ा.
कर्नाटक बीजेपी महासचिव और हंगल सीट के एक प्रभारी, एन रविकुमार ने दिप्रिंट से कहा, ‘हां, संख्या के हिसाब से नतीजे बहुत अहम नहीं हैं लेकिन हम हर सीट को ऐसे देखते हैं, जैसे कोई मरने-मारने का सवाल हो’.
उपचुनाव में बीजेपी सत्ताधारी के नाते होने वाले फायदे के अलावा, अपने स्वर्गीय विधायक सीएम उदासी की लोकप्रियता का सहारा लेने के साथ-साथ, मोदी फैक्टर तथा बीएस येदियुरप्पा की अपील पर भी निर्भर कर रही है.
रविकुमार ने आगे कहा, ‘हमारी लोगों से बहुत सादी सी अपील है. उन्होंने वैसे भी हंगल से एक बीजेपी विधायक को पांच वर्षों के लिए चुना था. हम बस उनसे ये कह रहे हैं कि हमें कार्यकाल का बाकी हिस्सा भी दे दें. सिंदगी में जहां हमने रमेश भूसानुर को मैदान में उतारा है, वहां हमारा लोगों से एक सीधा सवाल है कि अगर कांग्रेस ये सीटें जीत जाती है, तो क्या वो वापस सत्ता में आ जाएगी? लोग इस बात को समझते हैं कि उन्हें बीजेपी उम्मीदवार को जिताने में ज्यादा फायदा है, चूंकि हमारी पार्टी सत्ता में है.’
बीजेपी ने दोनों सीटों के लिए 13-13 प्रभारी नियुक्त किए हैं, जिनमें बोम्मई कैबिनेट के मंत्री भी शामिल हैं. पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा 20 अक्टूबर से चार दिन का प्रचार अभियान शुरू करने जा रहे हैं.
येदियुरप्पा के एक करीबी सहयोगी ने दिप्रिंट से कहा, ‘ये एक मुश्किल स्थिति है. अगर पार्टी दोनों सीटें जीत लेती है, तो येदियुरप्पा के विरोधी घोषित कर देंगे कि चुनाव जीतने के लिए पार्टी को अब उनकी जरूरत नहीं है. और अगर वो हार जाती है तो ये बोम्मई, पार्टी और येदियुरप्पा सबके लिए शर्मनाक होगा, जिन्हें दृढ़ता के साथ सुनिश्चित कराना पड़ा कि उनके बेटे और बीजेपी उपाध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र को हंगल के लिए एक प्रभारी बनाया जाए, चूंकि शुरुआती सूची में उनका नाम नहीं था’.
यही वो समस्या है जिसके साथ अनुभवी योद्धा येदियुरप्पा, लिंगायत प्रभुत्व वाली सीटों पर प्रचार कर रहे हैं.
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कांग्रेस के लिए जीत क्यों अहम है
कांग्रेस के लिए, जिसके पास दोनों में से कोई सीट नहीं थी, एक मौका है कि वो मस्की उपचुनाव की अपनी जीत को दोहरा सकती है.
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर खांद्रे ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमारे पास ये सीटें भले न रही हों लेकिन सिंदगी और हंगल में हम मजबूती के साथ मौजूद हैं. उपचुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं, ये दिखाने के लिए कि राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर लोग बीजेपी से कितने ऊब चुके हैं’.
खांद्रे ने कहा कि लखीमपुर खीरी हिंसा से लेकर कृषि कानून, ईंधन और एलपीजी कीमतों में बढ़ोतरी और महंगाई तथा बीजेपी के अधूरे वायदों तक कांग्रेस अपने चुनाव प्रचार में सभी मुद्दों को उठा रही है.
जहां कांग्रेस जोर देकर कह रही है कि वो एक सामूहिक नेतृत्व के साथ उपचुनाव में जा रहे हैं, वहीं पार्टी के अंदरूनी सूत्र इस बात से सहमत हैं कि विधायक दल के नेता सिद्धारमैया हंगल पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं, जबकि केपीसीसी अध्यक्ष डीके शिवकुमार सिंदगी पर ध्यान दे रहे हैं.
पिछले हफ्ते एक इंटरव्यू में सिद्धारमैया ने दिप्रिंट से कहा था, ‘पिछले चुनाव में 5,000 वोटों से चुनाव हारने के बावजूद, हंगल में हमारे उम्मीदवार श्रीनिवास माने लोगों के लिए काम करते रहे हैं. सिंदगी में हमारे उम्मीदवार अशोक मानागुली को अपने स्वर्गीय पिता की साख का भी फायदा है’.
एक पूर्व जेडी(एस) विधायक एमसी मानागुली की मौत के कारण उपचुनाव कराया जा रहा है और उनके बेटे अब कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
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जेडी(एस) किसके लिए लड़ रहा है
जेडी(एस) चुनाव प्रचार की कमान पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के हाथ में है. अशोक मानागुली के कांग्रेस में चले जाने के बाद पार्टी ने दोनों सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं.
जेडी(एस) ने सिंदगी से नाज़िया शकील अंगाड़ी और हंगल से नियाज़ शेक को चुनाव में खड़ा किया है.
पार्टी का दावा है कि उम्मीदवारों का चयन उनकी योग्यता के आधार पर किया है लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि जेडी(एस), बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए मुस्लिम वोटों को बांट रही है जैसा उसने बासवकल्याण उपचुनाव में किया था.
मंगलवार को अपने चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व सीएम और जेडी(एस) विधायक दल के नेता एचडी कुमारस्वामी ने कहा, ‘जेडी(एस) ने सिंदगी और हंगल में योग्य उम्मीदवारों को उतारा है लेकिन सिद्धारमैया ने आरोप लगाया है कि हमारी मंशा वोटों को बांटकर बीजेपी को फायदा पहुंचाने की है. तो फिर कांग्रेस को एक मुसलमान उम्मीवार उतारने से किसने रोका था?’
उन्होंने कहा कि सिंदगी में कांग्रेस हमेशा तीसरे नंबर पर रही है और उसका वहां ज्यादा कुछ दांव पर नहीं लगा है.
इस परंपरा के बावजूद कि उपचुनावों में सत्ताधारी व्यवस्था को फायदा रहता है और जेडी(एस) उसके वोटों को तोड़ सकती है, कांग्रेस दोनों सीटों पर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है.
केपीसीसी कार्यकारी अध्यक्ष रामलिंगा रेड्डी ने दिप्रिंट से कहा, ‘वोट काटने के लिए मुस्लिम उम्मीदवारों को खड़ा करना हमेशा काम नहीं करता. लोग अब इस पहेली को समझने लगे हैं’.
बीजेपी नेता जोर देकर कहते हैं कि दोनों सीटें पार्टी के पक्ष में हैं लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्र इशारा करते हैं कि ये कोई आसान काम नहीं होगा.
प्रदेश बीजेपी के एक सूत्र ने दिप्रिंट से कहा, ‘अभी तक दोनों सीटें जीतने योग्य हैं लेकिन उसके लिए मेहनत करनी होगी. हंगल सीट भी, जो आसान होनी चाहिए थी, एक चुनौती साबित हो रही है’.
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