नई दिल्ली: अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव टालने के निर्वाचन आयोग के फैसले से उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों में राजनीतिक विवाद छिड़ गया है. विपक्षी दलों का कहना है कि इस फैसले से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को फायदा होगा.
निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश की खाली 10 विधानसभा सीटों में से नौ पर उपचुनाव की तारीखें घोषित कर दीं. मिल्कीपुर सीट को छोड़ दिया गया है. मुख्य चुनाव आयोग (सीईसी) राजीव कुमार ने पहले स्पष्ट किया था कि आयोग उन सीटों पर चुनाव की घोषणा नहीं कर रहा है, जिन पर अदालत में याचिका लंबित है. इस तर्क पर पूर्व सीईसी एस.वाई. कुरैशी ने सवाल उठाए हैं.
मिल्कीपुर के महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव टालने के फैसले से विपक्ष और सत्तारूढ़ भाजपा के बीच राजनीतिक वाकयुद्ध छिड़ गया है. भाजपा को लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है.
समाजवादी पार्टी (सपा) ने आरोप लगाया कि भाजपा मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव को रोकने की कोशिश कर रही है क्योंकि उसे अयोध्या में एक और हार का डर है. राम मंदिर मुद्दे पर जोरदार प्रचार करने के बावजूद सत्तारूढ़ पार्टी लोकसभा चुनाव में फैजाबाद निर्वाचन क्षेत्र में सपा से हार गई, जिसमें अयोध्या भी शामिल है. पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा, “जिसने युद्ध को टाल दिया, वह समझो युद्ध हार गया”.
निर्वाचन आयोग ने मिल्कीपुर उपचुनाव स्थगित कर दिया है, क्योंकि इसके पूर्व विधायक बाबा गोरखनाथ ने 2022 में समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अवधेश प्रसाद के निर्वाचन को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिका दायर की थी.
दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि याचिका में कहा गया है कि प्रसाद के दस्तावेज़ को प्रमाणित करने वाले नोटरी के पास सत्यापन की तिथि पर वैध लाइसेंस नहीं था. इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, दस्तावेज़ प्रमाणीकरण के दिन नोटरी के पास चालू लाइसेंस होना चाहिए.
बाबा गोरखनाथ के वकील रुद्र विक्रम सिंह ने हालांकि, कहा कि याचिका जल्द ही वापस ले ली जाएगी क्योंकि यह अब प्रासंगिक नहीं है क्योंकि प्रसाद ने सीट छोड़ दी है और अब सांसद हैं. बाबा गोरखनाथ ने भी बुधवार को कहा कि वे अपनी याचिका वापस ले लेंगे.
पूर्व सीईसी कुरैशी ने कहा कि आमतौर पर चुनावों को लेकर कई याचिकाएं दायर की जाती हैं, लेकिन यह चुनाव टालने का कारण नहीं हो सकता. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “कोई भी उपचुनाव छह महीने से अधिक समय तक टाल नहीं सकता. इसलिए नियमों के अनुसार, अगर कोई सीट खाली है, तो उन्हें छह महीने के भीतर उपचुनाव कराना होगा. इसका मतलब है कि वे तारीखों की घोषणा करने में ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते. मुझे आयोग में अपने कार्यकाल के दौरान ऐसा कोई मामला याद नहीं है.”
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देरी से भाजपा को मिलेगा फायदा
उत्तर प्रदेश में कई भाजपा नेताओं ने दिप्रिंट से बात की और वे निर्वाचन आयोग के फैसले से खुश हैं क्योंकि इससे उन्हें मिल्कीपुर उपचुनाव की तैयारी के लिए “एक या दो सप्ताह और” मिल जाएंगे.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो व्यक्तिगत रूप से मिल्कीपुर सीट की तैयारियों की देखरेख कर रहे हैं, ने कोई बयान जारी नहीं किया है, लेकिन उनकी टीम को भरोसा है कि भाजपा इस बार अयोध्या में बेहतर प्रदर्शन करेगी. मुख्यमंत्री कार्यालय के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “इस बार महाराज जी (योगी) खुद तैयारियों का निरीक्षण कर रहे हैं. लोकसभा में उन्हें सभी सीटों पर प्रचार करना था और इसलिए वे फैजाबाद सीट पर उतना ध्यान नहीं दे पाए. इसके अलावा, उम्मीदवार का चयन केंद्रीय नेतृत्व ने किया था.”
पदाधिकारी ने कहा, “अब महाराज जी की लोकप्रियता और कड़ी मेहनत भाजपा को यह सीट जीतने में मदद करेगी. पार्टी ने वहां कुछ सुधार भी किया है.”
2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने अयोध्या जिले की फैजाबाद लोकसभा सीट पर भाजपा को हराया था. अयोध्या के मंदिर में राम लला की नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के ठीक चार महीने बाद भाजपा की हार हुई. सपा के अवधेश प्रसाद ने भाजपा के लल्लू सिंह को 54,000 से अधिक मतों से हराया. अवधेश पहले मिल्कीपुर से विधायक थे, जो लोकसभा चुनाव जीतने के बाद उनके इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी.
अयोध्या में हार भाजपा के लिए एक बड़ा झटका थी, भले ही उसने लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाई हो.
अब, ये उपचुनाव 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के लिए लिटमस टेस्ट माने जा रहे हैं और मिल्कीपुर सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक है क्योंकि यह अयोध्या में आती है.
सपा और कांग्रेस के कई विपक्षी नेताओं ने इस देरी के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है.
यूपी कांग्रेस इकाई के प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने एक बयान में कहा कि हालांकि, भाजपा एक राष्ट्र, एक चुनाव में विश्वास करती है, लेकिन वे उपचुनाव एक साथ लड़ने से डरती है. उन्होंने कहा, “मिल्कीपुर में चुनाव न कराकर, भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या की है और अयोध्या का अपमान किया है. अब मिल्कीपुर की जनता भाजपा को सबसे बड़ी शिकस्त देकर इसका हिसाब चुकता करेगी.”
13 नवंबर को जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उनमें कटेहरी, करहल, मीरापुर, कुंदरकी, फूलपुर, सीसामऊ, गाजियाबाद, मझवां और काहिर शामिल हैं. इनमें से एनडीए और इंडिया ब्लॉक के पास पांच-पांच सीटें थीं.
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