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Sunday, 22 December, 2024
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‘धनबल या ज़मीनी स्तर पर लोकप्रियता’ — हरियाणा में BJP के लिए HLP नेता गोपाल कांडा क्यों हैं महत्वपूर्ण

हरियाणा लोकहित पार्टी के प्रमुख और सिरसा विधायक को पूर्व और वर्तमान मुख्यमंत्रियों का करीबी माना जाता है और गैर-जाट आबादी और अग्रवालों के बीच अपने मजबूत समर्थन आधार के कारण भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं.

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गुरुग्राम: 2011 में सिरसा से तत्कालीन कांग्रेस सांसद अशोक तंवर गोपाल कांडा द्वारा आयोजित एक रैली से बाहर निकल गए थे क्योंकि उन्हें पता चला था कि उनका नाम हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा द्वारा शुरू की जा रही एक परियोजना की पट्टिका से हटा दिया गया है. आज 13 साल बाद, सिरसा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार तंवर को हाल ही में इस महीने की शुरुआत में गोपाल कांडा और उनके भाई गोबिंद दोनों को गले लगाते हुए देखा गया.

हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के प्रमुख और सिरसा से दो बार विधायक रह चुके गोपाल कांडा आगामी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. गैर-जाट आबादी और अग्रवाल समुदाय के बीच मजबूत समर्थन के कारण उनका प्रभाव भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर सिरसा और उसके आस-पास के इलाकों में.

वे हरियाणा में गृह राज्य मंत्री रहे हैं, लेकिन 2012 में पूर्व एयर होस्टेस गीतिका शर्मा को आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित आरोपों के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, वे हरियाणा में राजनीतिक दलों और उनके नेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं. उन्हें पूर्व आईएनएलडी मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और कांग्रेस सीएम हुड्डा और अब भाजपा के पूर्व सीएम खट्टर और वर्तमान सीएम सैनी का करीबी माना जाता है.

जुलाई 2023 में दिल्ली की राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने गीतिका शर्मा मामले में कांडा को बरी कर दिया था.

14 अप्रैल को सिरसा के हिसारिया बाज़ार में गोपाल कांडा के कार्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान तंवर-कांडा फिर से मिले.

तंवर ने 13 साल पहले की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा, “कहते हैं, समय जब खराब हो, तो ऊंट पर बैठे हुए को भी कुत्ता काट जाता है.”

तंवर की टीम द्वारा जारी प्रेस बयान के अनुसार, सिरसा में गोपाल कांडा के समर्थकों को संबोधित करते हुए तंवर ने कहा, “मोदी के परिवार की तरह कांडा का परिवार भी देश की भलाई के लिए काम करता है. मेरे मन में कांडा भाईयों के लिए कभी कोई गलत भावना नहीं रही और न ही मैंने उनके खिलाफ कुछ कहा है. लोग हमेशा अशोक तंवर को कांडा भाईयों के पीछे खड़े देखेंगे…पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर और सीएम नायब सिंह सैनी ने कांडा भाईयों से मेरी मुलाकात संभव कराई.”

दिप्रिंट से बात करते हुए तंवर ने कहा कि कांडा परिवार से उनका नाता 15 साल पुराना है, क्योंकि उन्होंने और गोपाल ने 2009 में अपना पहला चुनाव जीता था — तंवर सिरसा लोकसभा सीट से जीते थे और गोपाल सिरसा विधानसभा सीट से.

तंवर ने कहा, “गोपाल कांडा की एचएलपी पहले से ही एनडीए का हिस्सा है. कांडा के पिता मुरलीधर कांडा भी भाजपा में थे. पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के बाद कांडा ने भी मुझे अपना समर्थन देने की घोषणा की है और मैं इसके लिए आभारी हूं. हम एक बार फिर सिरसा की बेहतरी के लिए मिलकर काम करेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एनडीए के लिए 400 सीटें जीतने के लक्ष्य में अपनी भूमिका निभाएंगे.”

राजनीतिक टिप्पणीकार योगिंदर गुप्ता के अनुसार, गैर-जाटों और अग्रवालों के बीच अपनी राजनीतिक पकड़ के कारण गोपाल कांडा इन चुनावों में भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं.

गुप्ता ने कहा, “गोपाल कांडा ने 2000 के आसपास चौटाला के साथ अपनी राजनीति शुरू की और 2005 तक राज्य में सत्ता में रहने तक उनके साथ रहे. हालांकि, चौटाला ने उन्हें कभी भी चुनाव में टिकट देने के बारे में नहीं सोचा. एक बार जब वे सत्ता से बाहर हो गए, तो कांडा ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी, जब तक कि उन्होंने 2009 में सार्वजनिक रूप से उनकी निंदा नहीं की.”

गुप्ता ने कहा, “इसके बाद कांडा ने 2009 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में निर्दलीय रहकर सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का समर्थन किया. वे मंत्री भी बने. हालांकि, गीतिका शर्मा आत्महत्या मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्हें 2012 में इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद उन्होंने एचएलपी की स्थापना की और 2014 और 2019 के चुनाव अपनी पार्टी से लड़े. 2019 के विधानसभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद गोपाल कांडा ने भाजपा को समर्थन देने की पेशकश की.”

दिप्रिंट ने फोन कॉल के ज़रिए गोपाल कांडा से संपर्क की कोशिश की थी, लेकिन प्रतिक्रिया नहीं मिली है. जवाब आने के बाद इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


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कांडा की ज़मीनी लोकप्रियता

गोपाल कांडा सिरसा विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने 2009 में निर्दलीय और बाद में 2019 में अपनी हरियाणा लोकहित पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की. ​2014 के चुनाव में उन्होंने एचएलपी के बैनर तले सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के उम्मीदवार माखन लाल सिंगला से मामूली अंतर से हार गए थे.

उनके छोटे भाई गोबिंद कांडा तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं — 2014 और 2019 में एचएलपी उम्मीदवार के तौर पर रानिया विधानसभा सीट से और 2021 में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर ऐलनाबाद विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में. हालांकि, उन्हें अभी तक जीत हासिल नहीं हुई है.

गोपाल कांडा सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि वे ‘तारा बाबा कुटिया’ नाम से एक निजी धार्मिक संपत्ति भी चलाते हैं. दिवंगत आध्यात्मिक गुरु के नाम पर बनी यह संपत्ति सिरसा शहर के बाहरी इलाके में 20 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन पर फैली है, जहां हर रोज़ हज़ारों श्रद्धालु आते हैं और इसका प्रबंधन एक पारिवारिक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जिसके सदस्य गोपाल कांडा, उनके भाई गोबिंद, उनकी मां सरस्वती देवी और उनके परिवार के कई अन्य लोग हैं.

गोपाल के पास 4.5 एकड़ के परिसर में एक भव्य मकान भी है, जिसमें एक हेलीपैड, एक स्कूल, एक अस्पताल और तारा बाबा कुटिया से सटा एक रेस्तरां भी है.

अस्पताल में आंखों का निःशुल्क इलाज, कैंप निःशुल्क चश्मे और दवाइयां उपलब्ध हैं.

परिवार महाशिवरात्रि और गोपाल कांडा के जन्मदिन जैसे प्रमुख अवसरों पर गरीबों में उपहार भी वितरित करता है.

राजनीतिक विश्लेषक पवन कुमार बंसल ने कहा, “विभिन्न राजनीतिक दलों को कांडा में सबसे महत्वपूर्ण बात यह लगती है कि उनके पास तारा बाबा कुटिया के अनुयायियों का एक बड़ा वोट बैंक है. अमीर व्यवसायी होने के नाते, कांडा हमेशा राजनीतिक दलों के लिए फायदेंद रहे हैं.”

बंसल ने आगे कहा कि कांडा थोड़े भाग्यशाली भी रहे हैं, क्योंकि दोनों बार जब वे विधायक चुने गए (2009 और 2019), सत्ता में रहने वाली पार्टियों को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला और उन्हें कांडा जैसे निर्दलीयों के समर्थन की ज़रूरत पड़ी.

बंसल ने कहा, “जब वे 2009 में चुने गए थे, तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस को 40 सीटें मिलीं थीं और कांडा जैसे निर्दलीयों का उनकी सरकार में स्वागत था. उन्हें मंत्री बनाया गया और गृह विभाग दिया गया. 2019 में फिर से, जब कांडा जीते, (भाजपा के) मनोहर लाल खट्टर को 40 सीटें मिलीं और कांडा ने अपना समर्थन दिया.”

बंसल ने कहा, “हालांकि, खट्टर द्वारा उनका समर्थन स्वीकार करने से पहले, पूर्व एमपी सीएम उमा भारती ने कांडा से समर्थन लेने के भाजपा के प्रयासों का विरोध करते हुए कई ट्वीट किए. इसके बाद ही भाजपा ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन करने का फैसला किया. हालांकि, अब जब जेजेपी उनके साथ गठबंधन में नहीं है, तो कांडा फिर से भाजपा के करीब हैं.”

उन्होंने कहा कि अगर कांडा 2014 में जीत जाते, जब भाजपा ने 47 सीटें जीती थीं, तो सत्ता में मौजूद राजनीतिक दल की उनमें कोई दिलचस्पी नहीं होती.

सिरसा से वरिष्ठ इनेलो नेता और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य जसबीर सिंह जस्सा ने कहा कि कांडा अपने सिरसा में भी उतने लोकप्रिय नहीं हैं, जितना उन्हें अक्सर बताया जाता है.

उन्होंने कहा कि अगर कांडा 2014 में जीत जाते, जब भाजपा ने 47 सीट जीती, तो सत्ता में मौजूद राजनीतिक दल की उनमें कोई दिलचस्पी नहीं होती. सिरसा से वरिष्ठ इनेलो नेता और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य जसबीर सिंह जस्सा ने कहा कि कांडा अपने सिरसा में भी उतने लोकप्रिय नहीं हैं, जितना कि अक्सर कहा जाता है.

भारतीय चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, कांडा को 2019 में 44,915 वोट मिले थे – 31.65 प्रतिशत वोट शेयर.

इसी तरह, 2009 में उन्हें 39,147 वोट मिले थे – 32.94 प्रतिशत वोट शेयर.

जस्सा के अनुसार, कांडा के लिए सबसे बड़ा फायदा यह था कि उन्होंने अपने दोनों चुनाव तब जीते जब सत्ताधारी दलों को साधारण बहुमत नहीं मिला था.

जस्सा ने कहा, “यह हमेशा देखा गया है कि जब भी राज्य विधानसभा के लिए चुनाव लहर की अनुपस्थिति में होते हैं, तो अधिक निर्दलीय उम्मीदवारों को जीतने का मौका मिलता है, क्योंकि वोट दो प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच लगभग समान रूप से विभाजित होते हैं और मजबूत निर्दलीय उम्मीदवार, जो थोड़ा बेहतर वोट शेयर हासिल करते हैं, विजेता बनकर उभरते हैं.”

उनकी व्यावसायिक सफलताएं

कांडा परिवार के एक करीबी सहयोगी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि कांडा शुरू में व्यवसायी थे, 1990 के दशक तक सिरसा शहर में जूतों का शोरूम चलाते थे, जब तक कि वे उनके आध्यात्मिक गुरु तारा बाबा की सलाह पर गोपाल कांडा गुरुग्राम नहीं चले गए.

1999 के आसपास, ओम प्रकाश चौटाला के सीएम के कार्यकाल के दौरान, कांडा ने रियल एस्टेट में कदम रखा और राज्य सरकार की सहायता से समृद्ध हुए. सहयोगी ने कहा कि तब से, उनके व्यवसाय पोर्टफोलियो में काफी विस्तार हुआ है, जिसमें रियल एस्टेट, होटल, कैसीनो, शैक्षणिक संस्थान और मीडिया शामिल हैं, जिसमें हरियाणा टीवी चैनल का स्वामित्व भी शामिल है. इसके अतिरिक्त, उन्होंने एमडीएलआर एयरलाइंस लॉन्च की, जिसका संचालन बाद में बंद हो गया.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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