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Monday, 6 May, 2024
होमराजनीतिआत्महत्या मामले में बरी हुए और चौटाला के गढ़ सिरसा से विधायक गोपाल कांडा BJP के लिए क्यों हैं अहम?

आत्महत्या मामले में बरी हुए और चौटाला के गढ़ सिरसा से विधायक गोपाल कांडा BJP के लिए क्यों हैं अहम?

गीतिका शर्मा आत्महत्या मामले में आरोप से बरी हुए कांडा ने अपनी हरियाणा लोकहित पार्टी का विस्तार करने की योजना बनाई है, जो अभी एनडीए का हिस्सा है. बीजेपी प्रवक्ता का कहना है कि उनका बीजेपी से साथ जुड़ने पर स्वागत है.

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चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मंत्री गोपाल कांडा को 2012 के एयर होस्टेस गीतिका शर्मा के आत्महत्या मामले में मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत द्वारा बरी कर दिया गया. बरी होने के बाद गोपाल कांडा अपने राजनीतिक संगठन, हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के विस्तार करने की योजना बना रहे हैं. जबकि, भारतीय जनता पार्टी का यह मानना है कि कांडा के बरी होने के बाद उन्हें बीजेपी के साथ आना और आसान हो गया है.

एचएलपी की स्थापना 2014 में हुई थी और अभी यह बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है.

आत्महत्या मामले में उकसाने के आरोप से बरी होने के तुरंत बाद, कांडा अपने गृह नगर और अपने विधानसभा क्षेत्र सिरसा चले गए. कांडा परिवार के पूज्य संत तारा बाबा की तस्वीर के सामने श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद मीडिया से बात करते हुए पूर्व मंत्री ने कहा कि वह अब एचएलपी को मजबूत करने पर ध्यान देंगे.

उन्होंने कहा, “मैं जल्द ही एचएलपी के नेताओं के साथ एक बैठक करूंगा और फिर पार्टी के विस्तार के लिए काम करूंगा. मेरी पार्टी का नाम ही कहता है कि यह लोकहित (लोगों के कल्याण) के लिए है और यही कारण है कि हमने एनडीए का हिस्सा बनने का फैसला किया है.”

उन्होंने कहा, “पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया भर में एक अनूठी पहचान स्थापित की है. मैं दूसरे देशों का दौरा करता रहता हूं और मैंने देखा है कि बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से भारत एक बड़ी ताकत बनकर उभरा है. मुझे यकीन है कि एनडीए 2024 का संसदीय चुनाव आसानी से जीतेगी और दोबारा केंद्र में सरकार बनाएगी.”

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कांडा ने सिरसा में विकास परियोजनाओं और बाढ़ राहत कार्यों को लेकर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से भी मुलाकात की.

इस बीच, कांडा के बरी होने के एक दिन बाद, हरियाणा बीजेपी के प्रवक्ता संजय शर्मा ने दिप्रिंट से कहा कि अगर पूर्व मंत्री चाहें तो अब उनके बीजेपी में शामिल होने में कोई बाधा नहीं है.

शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, “जब तक उनके खिलाफ गीतिका शर्मा आत्महत्या का मामला लंबित था, तब तक बीजेपी उन्हें स्वीकार करने की इच्छा नहीं रखती थी. लेकिन अब जब वह बरी हो गए हैं, तो वह कभी भी हमारी पार्टी में शामिल हो सकते हैं.”

उन्होंने कहा, “कांडा की एचएलपी पहले से ही एनडीए का हिस्सा है. उनके छोटे भाई गोबिंद कांडा पहले ही बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर ऐलनाबाद विधानसभा उपचुनाव (2021 में) लड़ चुके हैं.”

हालांकि, राजनीतिक टिप्पणीकार योगिंदर गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया कि इसकी संभावना नहीं है कि कांडा बीजेपी में शामिल होंगे क्योंकि निर्दलीय या अपनी राजनीतिक पार्टी से चुनाव लड़ना उनके लिए बेहतर होगा.

गुप्ता ने बताया, “अपनी पार्टी से चुनाव लड़ने से उन्हें 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में सत्ता में आने वाली पार्टी का समर्थन करने की आजादी मिल जाएगी, जिससे संभवत: उन्हें अधिक लाभ मिलेगा.”

दिप्रिंट ने टिप्पणी के लिए टेलिफोन के माध्यम से कांडा से संपर्क किया, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. हालांकि, उनके छोटे भाई गोबिंद ने कहा कि वह खुद बीजेपी में बने रहेंगे.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “मेरे भाई गोपाल कांडा ने घोषणा की है कि वह 2024 के राज्य चुनाव से पहले एचएलपी को मजबूत करेंगे और इसके आधार का विस्तार करेंगे. हालांकि, मैं बीजेपी में बना रहूंगा और ऐलनाबाद से विधानसभा चुनाव लड़ूंगा.”

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2021 के ऐलनाबाद उपचुनाव में, गोबिंद कांडा ने इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के अभय सिंह चौटाला के खिलाफ चुनाव लड़ा था और उन्हें लगभग 59,000 वोट मिले थे, जबकि चौटाला को लगभग 65,000 वोट मिले थे.


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सिरसा में कांडा फैक्टर

योगिंदर गुप्ता के अनुसार, “कांडा ब्रदर्स 2024 के संसदीय चुनावों में बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनका सिरसा जिले में, खासकर अग्रवाल समुदाय और गैर-जाट सवर्णों में काफी प्रभाव है.”

सिरसा लोकसभा क्षेत्र कभी INDL के संस्थापक और पूर्व डिप्टी पीएम चौधरी देवीलाल का गढ़ था, जो इस क्षेत्र से ताल्लुक रखते थे.

1987 से 2019 के बीच हुए 10 चुनावों में INLD ने पांच बार सिरसा सीट जीती.

1998 और 1999 के संसदीय चुनावों में, INLD के सुशील इंदौरा ने यहां से चुनाव जीता. जबकि 2014 में पार्टी के चरणजीत सिंह रोरी सांसद चुने गए. 1988 और 1989 में, हेत राम ने पार्टी के लिए सीट जीती.

1991 और 1996 में यह सीट कुमारी शैलजा (कांग्रेस), 2004 में आत्मा सिंह गिल (कांग्रेस), 2009 में अशोक तंवर (कांग्रेस) और 2019 में सुनीता दुग्गल (बीजेपी) को मिली.

सिरसा जिले के पांच विधानसभा क्षेत्र सिरसा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं. इनमें से कांडा बंधुओं ने तीन-सिरसा, रानिया और ऐलनाबाद से चुनाव लड़ा है.

गोपाल कांडा ने सिरसा विधानसभा सीट से 2009 और 2019 का चुनाव जीता और 2014 में INLD उम्मीदवार माखन लाल सिंगला से मामूली अंतर से हार गए.

गोबिंद कांडा ने 2014 और 2019 का विधानसभा चुनाव रानिया सीट से लड़ा और दोनों बार दूसरे नंबर पर रहे. नवंबर 2021 में हुए उपचुनाव में वह ऐलनाबाद से खड़े हुए, लेकिन अभय चौटाला से हार गए.

गोपाल कांडा की राजनीति के बारे में बात करते हुए, गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, “कांडा ने 2000 के आसपास चौटाला के साथ अपनी राजनीति शुरू की और 2005 तक राज्य में सत्ता में रहने तक उनके साथ रहे. एक बार जब वे बाहर हो गए, तो कांडा ने उनसे दूरी बनाना शुरू कर दिया. मई 2009 के चुनावों में INLD के सभी 10 संसदीय सीटें हार जाने के बाद दूरियां और अधिक हो गईं.”

उन्होंने आगे कहा, “इसके बाद कांडा ने 2009 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में निर्दलीय चुनाव लड़ा और भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का समर्थन किया, हालांकि उन्होंने पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. बाद में उन्होंने एचएलपी की स्थापना की और अपनी पार्टी से 2014 और 2019 का चुनाव लड़ा. 2019 विधानसभा चुनाव जीतने के तुरंत बाद, गोपाल कांडा ने बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की.”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)


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