गुरुग्राम: कांग्रेस द्वारा गुरुवार को हरियाणा के लिए घोषित आठ उम्मीदवारों की सूची में, सोनीपत संसदीय सीट से सतपाल ब्रह्मचारी की उम्मीदवारी, उत्तराखंड में सक्रिय राजनीति में दो दशक बिताने के बाद गृह राज्य की राजनीति में लौटने के कारण दिलचस्पी पैदा कर रही है.
ब्राह्मण समुदाय से संबंध रखने वाले ब्रह्मचारी को राई विधानसभा क्षेत्र से विधायक और ब्राह्मण जाति के ही बीजेपी के उम्मीदवार मोहन लाल बडोली के खिलाफ मैदान में उतारा गया है.
कांग्रेस सोनीपत से ब्रह्मचारी के नामांकन को मास्टरस्ट्रोक बता रही है. पार्टी नेताओं का दावा है कि इससे न केवल पार्टी को यह सीट जीतने में मदद मिलेगी बल्कि इससे पड़ोसी सीटों पर भी फायदा होगा.
ब्रह्मचारी ने दिप्रिंट को बताया कि वह सोनीपत से चुनाव लड़ने का मौका देने के लिए कांग्रेस नेतृत्व के आभारी हैं और “निश्चित रूप से पार्टी के लिए यह सीट जीतेंगे”.
सोनीपत लोकसभा सीट के अंतर्गत जींद जिले के गंगोली गांव में जन्मे ब्रह्मचारी 2003 में हरिद्वार नगर निगम के मेयर बने.
उन्होंने 2012 और 2022 में कांग्रेस के टिकट पर हरिद्वार से उत्तराखंड चुनाव लड़ा और दोनों बार भाजपा के दिग्गज मदन कौशिक से हार गए. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में कौशिक को 53,147 वोट मिले, जबकि ब्रह्मचारी को 37,910 वोट मिले. 2012 में कौशिक को 42,297 वोट मिले थे और ब्रह्मचारी को 33,677 वोट मिले थे.
बाद में, उन्हें मार्च 2023 में हरिद्वार शहर कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
कांग्रेस हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से नौ पर चुनाव लड़ रही है. सीट बंटवारे के तहत पार्टी ने कुरुक्षेत्र सीट आम आदमी पार्टी (आप) को दी है, जिसने सुशील गुप्ता को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने गुड़गांव सीट पर उम्मीदवारी बरकरार रखी है, जहां से अभिनेता राज बब्बर उम्मीदवार हैं.
ब्रह्मचारी के अलावा, कांग्रेस ने फरीदाबाद से महेंद्र प्रताप सिंह, भिवानी-महेंद्रगढ़ से राव दान सिंह, सिरसा से कुमारी शैलजा, अंबाला से वरुण चौधरी, करनाल से युवा नेता दिव्यांशु बुद्धिराजा, रोहतक से दीपेंद्र सिंह हुड्डा और हिसार से जय प्रकाश को मैदान में उतारा है.
सोनीपत सीट के अंतर्गत आने वाले जुलाना के पूर्व विधायक परमिंदर सिंह ढुल के अनुसार, ब्रह्मचारी इन सभी वर्षों में भले ही उत्तराखंड में सक्रिय रहे होंगे, लेकिन वह जींद के रहने वाले हैं और लोगों के साथ उनके अच्छे संबंध हैं क्योंकि वह हरिद्वार, गंगोली और पांडु पंडारा में तमाम धर्मशालाओं के प्रमुख हैं, जहां हजारों लोग उनके अतिथि के रूप में जाते थे.
ढुल ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे सोनीपत के अन्य विधानसभा क्षेत्रों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन जींद, जुलाना, सफीदों और गोहाना विधानसभा क्षेत्रों में शायद ही कोई ऐसा गांव होगा, जहां के लोग अपनी तीर्थयात्राओं के दौरान उनकी धर्मशालाओं में न गए हों.’
सोनीपत लोकसभा सीट में नौ विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इनमें से जिंद, सफीदों और जुलाना जिंद जिले में आते हैं, जबकि गोहाना, सोनीपत, राई, बड़ौदा, गन्नौर और खरखौदा सोनीपत जिले में आते हैं. गौरतलब है कि ब्रह्मचारी जीन्द जिले से आते हैं, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी बड़ौली सोनीपत जिले से आते हैं.
ढुल ने कहा कि यह पहली बार है कि किसी प्रमुख राजनीतिक दल ने सोनीपत से जींद के किसी व्यक्ति को अपना टिकट दिया है, और इसलिए ब्रह्मचारी को जींद जिले की तीन सीटों से भारी प्रतिक्रिया मिलने की संभावना है.
विशेष रूप से, उत्तराखंड में अपने कार्यकाल के बावजूद, ब्रह्मचारी ने अपने फेसबुक पेज पर कवर इमेज के रूप में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के साथ एक तस्वीर लगाई है, जो उनकी राजनीतिक निष्ठा का संकेत है.
ब्रह्मचारी का हुडडा के साथ जुड़ाव दो दशक पुराना है जब कांग्रेस नेता हुड्डा को 2003 में उत्तराखंड में जानलेवा स्थिति का सामना करना पड़ा था. हुड्डा उस वक्त बाल-बाल बच गए जब उनका वाहन पीली नदी के बढ़ते पानी के बीच घिर गया, जबकि उनके भाई राजिंदर हुड्डा बह गए.
उस समय हुड्डा के साथ मौजूद पूर्व पत्रकार योगिंदर गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया कि बहने से बचने के लिए वे रात भर पेड़ों से चिपके रहे. भोर में, ब्रह्मचारी, जो उस समय हरिद्वार के मेयर के रूप में कार्यरत थे, उनकी सहायता के लिए अपने नेतृत्व में एक बचाव दल लेकर गए.
ब्रह्मचारी और उनके आश्रम
ब्रह्मचारी के 2022 के चुनावी हलफनामे में देनदारियों से मुक्त 47 लाख रुपये की संपत्ति घोषित की गई. उनके पास वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से स्नातक (शास्त्री) की डिग्री है, और उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. अपने हलफनामे में, पिता के नाम के सेक्शन के तहत, वह खुद को राधा कृष्ण ब्रह्मचारी के शिष्य के रूप में बताते हैं.
ब्रह्मचारी के सहायक रितेश शर्मा के अनुसार, कांग्रेस उम्मीदवार ब्रह्रमचारी हरिद्वार में दो आश्रमों – राधाकृष्ण आश्रम और थानाराम आश्रम – के साथ-साथ जींद के पांडु पिंडारा में वक्तानंद आश्रम और गंगोली में अपने पैतृक गांव में बड़ा मंदिर के महंत (मुख्य पुजारी) हैं.
उन्होंने कहा, “हरियाणा से हजारों लोग इन आश्रमों में आते हैं और अपनी तीर्थयात्रा के दौरान वहां रुकते हैं, और ब्रह्मचारीजी का उनमें से कई लोगों के साथ व्यक्तिगत संबंध है.”
पूर्व विधायक ढुल ने यह भी कहा कि जाट बहुल क्षेत्र जींद, सोनीपत, रोहतक और हिसार से सभी समुदायों के हजारों लोग पांडु पिंडारा जाते हैं जहां ब्रह्मचारी का आश्रम है.
हरियाणा पर्यटन विभाग की वेबसाइट के अनुसार, पिंडारा, जिसे पांडु पिंडारा के नाम से भी जाना जाता है, एक पवित्र स्थल है जो जींद-गोहाना मार्ग पर जींद से लगभग 6.5 किमी दूर स्थित है.
यह स्थान पौराणिक कथाओं से भरा पड़ा है, जिसमें बताया गया है कि कैसे पांडवों ने सोमवती अमावस्या (सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या) के दौरान पिंडारा में पिंड दान किया था, ताकि उन्हें श्रद्धांजलि दी जा सके, जो रिश्तेदार महाभारत युद्ध में मारे गए थे.
महेंद्रगढ़ में हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर और पांडु पिंडारा गांव के मूल निवासी राकेश मलिक ने दिप्रिंट को बताया कि अमावस्या के दौरान पांडु पिंडारा में काफी हलचल होती है, जिसमें पूरे राज्य से और हर जाति के लोग शामिल होते हैं.
कांग्रेस के चुनाव प्रबंधकों का मानना है कि ब्रह्मचारी के नामांकन से न केवल उनके आश्रमों में आने और रहने वाले स्थानीय लोगों के साथ उनके लंबे जुड़ाव के कारण उन्हें बढ़त मिलेगी, बल्कि भाजपा के धार्मिक नैरेटिव का भी मुकाबला कर मिलेगा क्योंकि ब्रह्मचारी खुद एक सामाजिक-धार्मिक कार्यकर्ता हैं.
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