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Thursday, 21 November, 2024
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हरियाणा विधानसभा में ‘कफन’ पहनकर क्यों आना चाहते हैं कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा

नीरज शर्मा ने कहा कि स्पीकर को बता दिया गया है कि कफन पर राम का नाम, स्वास्तिक, तुलसीदास की चौपाइयां और निर्वाचन क्षेत्र की कुछ समस्याएं चित्रित हैं. आपत्तिजनक पाई गई किसी भी चीज़ को हटाया जा सकता है.

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गुरुग्राम: हरियाणा में कांग्रेस के एक विधायक ‘जय सिया राम’, तुलसीदास की चौपाइयां और अपने निर्वाचन क्षेत्र की समस्याओं वाला कफन पहनकर विधानसभा में प्रवेश करना चाहते हैं. हालांकि, स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने उन्हें अनुमति देने से इनकार कर दिया है, लेकिन फरीदाबाद एनआईटी के विधायक नीरज शर्मा अड़े हैं और कपड़ों में कुछ भी असंसदीय होने पर जांच करने की भी पेशकश की है.

शर्मा, जिन्हें 2022 में विधानसभा द्वारा “सर्वश्रेष्ठ विधायक” चुना गया था, ने पहली बार 17 जनवरी को दो गज सफेद कपड़े का कफन पहना था, जब मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी-जननायक जनता पार्टी सरकार ने शीतकालीन सत्र के दौरान वादे के बावजूद उनके निर्वाचन क्षेत्र में नागरिक कार्यों के लिए 27 करोड़ रुपये की मंजूरी में देरी की.

शर्मा ने रविवार को स्पीकर को पत्र लिखकर कहा कि वे हरियाणा विधानसभा के आगामी सत्र में कफन पहनकर शामिल होंगे — जिस पर गुप्ता ने मीडिया से कहा कि कपड़े सदन की “मर्यादा का उल्लंघन” करेंगे.

शर्मा को 26 जनवरी को पुलिस ने उनके कपड़ों के कारण पानीपत में गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने से रोक दिया था, जहां राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को तिरंगा फहराना था और उन्हें विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा द्वारा अंततः “बचाए” जाने तक एक विश्राम गृह में हिरासत में रखा गया था.

इस डर से कि उन्हें उनके कपड़ों के कारण 20 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में शामिल होने से रोका जा सकता है, शर्मा ने स्पीकर को पत्र लिखकर उन परिस्थितियों से अवगत कराया है जिनके तहत उन्हें सर्द मौसम में “कफन” पहनने के लिए मजबूर होना पड़ा और उन्हें आगामी सत्र में इन कपड़ों में ही शामिल होने के अपने इरादे के बारे में भी बताया.

शर्मा ने अपने पत्र, जिसकी प्रति दिप्रिंट के पास भी है, में कहा, “मैं यह पत्र इसलिए लिख रहा हूं, ताकि आपको यह सूचित कर सकूं कि मैंने काले कपड़े नहीं पहने हैं, मेरे कपड़ों पर कोई असंसदीय भाषा नहीं लिखी है. इस पर प्रभु श्रीराम का नाम, सनातन धर्म का स्वास्तिक चिह्न, तुलसीदास की चौपाइयां और मेरे विधानसभा क्षेत्र की कुछ समस्याएं चित्रित हैं. मैं आपको इन कपड़ों में अपनी तस्वीरें भी भेज रहा हूं और आपसे समय मांग रहा हूं ताकि आप सत्र शुरू होने से पहले किसी विशेषज्ञ से मेरे कपड़ों की जांच करा सकें ताकि गणतंत्र दिवस पर पुलिस ने मेरे साथ जिस तरह से पानीपत में दुर्व्यवहार किया, वह दोबारा न हो.”

मंगलवार को चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस विषय पर एक सवाल का जवाब देते हुए गुप्ता ने स्पष्ट किया कि शर्मा को विधानसभा में कफन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि यह विधानसभा की मर्यादा के खिलाफ है.

पूछे जाने पर कि शर्मा को विधानसभा द्वारा 2022 में सर्वश्रेष्ठ विधायक चुना गया था, तो स्पीकर ने कहा कि अगर विधायक ने अपना तरीका नहीं बदला तो पुरस्कार वापस लिया जा सकता है.

शर्मा ने बुधवार को गुप्ता को एक और पत्र लिखा, जिसमें उनसे 7 फरवरी के लिए समय देने का अनुरोध किया गया, ताकि उनके कपड़ों का निरीक्षण किया जा सके.

दिप्रिंट ने पत्र में देखा, “मैंने 28 जनवरी को आपको पुलिस द्वारा मेरे साथ किए गए दुर्व्यवहार के बारे में लिखा था और आपसे फोन पर भी बात की थी. हालांकि, मुझे कोई जवाब नहीं मिला. अब 7 फरवरी को चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल की बैठक है. अगर आप मुझे उस दिन के लिए समय दें तो मेरे कपड़ों का निरीक्षण विशेषज्ञों द्वारा कराया जा सकता है. मेरे कपड़ों पर कुछ भी असंसदीय नहीं लिखा है. मैं अपने कपड़ों पर आपत्तिजनक पाई गई किसी भी चीज़ को हटाने के लिए तैयार हूं.”

जब दिप्रिंट ने शुक्रवार को प्रतिक्रिया के लिए गुप्ता से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि नियम किसी भी विधायक को विधानसभा की मर्यादा का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं देते हैं.

गुप्ता ने समझाया, “नियम बताते हैं कि कोई भी विधायक विधानसभा में बैनर या तख्तियां नहीं ला सकता है, लेकिन शर्मा राज्य विधानसभा में एक ऐसे कपड़ोंके साथ प्रवेश करना चाहते हैं जो स्वयं एक बैनर है.”


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‘मेरे निर्वाचन क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार’

दिप्रिंट द्वारा शुक्रवार को संपर्क किए जाने पर शर्मा ने कहा कि विधानसभा उनका दूसरा घर है और स्पीकर उनके अभिभावक हैं.

शर्मा ने कहा, “अपने पत्रों के साथ-साथ स्पीकर के साथ फोन पर हुई बातचीत में मैंने स्पष्ट किया है कि मेरे कपड़ों पर प्रभु श्री राम का नाम चित्रित है. अगर उन्हें इस पर आपत्ति है तो मैं इसे हटवा दूंगा. कपड़ों पर सनातन धर्म का स्वास्तिक चिह्न है. अगर स्पीकर को आपत्ति है तो मैं उसे दूर करने के लिए तैयार हूं. रामचरितमानस से तुलसीदास की चौपाइयां हैं. अगर स्पीकर को आपत्ति है तो मैं इसे दूर कर सकता हूं और मेरे कपड़ों पर मेरे निर्वाचन क्षेत्र की समस्याएं चित्रित हैं. बतौर विधायक मुझे अपने लोगों की समस्याओं को उजागर करना चाहिए.”

उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें मीडिया में गुप्ता का यह बयान पढ़कर आश्चर्य हुआ कि उनका “सर्वश्रेष्ठ विधायक” पुरस्कार वापस लिया जा सकता है.

शर्मा ने कहा, “मुझे हैरानी है कि क्या पुरस्कार वापस लेने का कोई नियम है. मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार के विरोध में अपना पुरस्कार लौटा सकता हूं, लेकिन किसी को भी मुझे दिया गया पुरस्कार वापस लेने का अधिकार नहीं है.”

शर्मा के पुरस्कार वापस लेने के बारे में पूछे जाने पर, स्पीकर गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया कि चयन विधायकों के समग्र आचरण के आधार पर किया गया था, लेकिन अगर शर्मा इसी तरह का व्यवहार जारी रखते हैं, तो पुरस्कार वापस लिया जा सकता है.

इससे पहले, मार्च 2022 में विधायक ने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान अपने कपड़े और जूते उतार दिए थे और घोषणा की थी कि जब तक फरीदाबाद नगर निगम में एक कथित घोटाले के खिलाफ कार्रवाई की उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक वह बिना सिले कपड़े पहनेंगे.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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