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Wednesday, 18 December, 2024
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कौन हैं बर्नार्ड मारक जो आतंकवादी से BJP नेता बना, जिसपर मेघालय में ‘वेश्यालय’ चलाने का आरोप लगा

बर्नार्ड मारक के मुताबिक, उनके फार्महाउस पर पुलिस की छापेमारी मेघालय के सीएम कोनराड संगमा द्वारा उनकी छवि खराब करने का ‘हताशापूर्ण प्रयास’ है.

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गुवाहाटी: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मेघालय इकाई के उपाध्यक्ष और तुरा से जिला परिषद (एमडीसी) के सदस्य बर्नार्ड मराक एक पूर्व आतंकवादी हैं जो बाद में राजनेता बन गया. उन पर अब मानव तस्करी और ‘वेश्यालय चलाने’ का आरोप लगा है.

मेघालय पुलिस ने शुक्रवार शाम मराक के फार्महाउस ‘रिंपू बागान’ पर छापा मारा. वेस्ट गारो हिल्स के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विवेकानंद सिंह के अनुसार, इस साल फरवरी में एक स्थानीय बच्ची के लापता होने की शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने फार्महाउस पर कार्रवाई की थी.

एसपी सिंह ने बताया, ‘बच्ची ने अपने बयान में कहा कि रिंपू बागान के एक कमरे में उसका यौन उत्पीड़न किया गया. इसी आधार पर उनके फार्महाउस पर छापा मारा गया था.’

उन्होंने कहा कि शुक्रवार को छापेमारी के दौरान पुलिस ने बर्नार्ड मारक के फार्महाउस से 36 गाड़ियां, 210 लीटर से ज्यादा शराब और गर्भ निरोधकों के 500 पैकेट जब्त किए. इसके अलावा कुल 68 पुरुषों और महिलाओं को भी हिरासत में लिया गया.

सिंह ने बताया ‘कुछ बिना कपड़ों के थे… हमें पांच बच्चे भी मिले, इनमें एक लड़की और चार लड़के थे. उन्हें छोटे कमरों में बंद करके रखा गया था. हमें दरवाजे तोड़कर अंदर जाना पड़ा.’

मेघालय पुलिस ने बर्नार्ड मारक के खिलाफ अनैतिक तस्करी (रोकथाम) अधिनियम 1956 की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है.

मारक ने अपने फार्महाउस पर छापेमारी को मेघालय के सीएम कोनराड संगमा द्वारा ‘उनकी छवि खराब करने’ के लिए एक ‘हताश प्रयास’ और ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ बताया. उन्होंने शनिवार को एक प्रेस बयान में कहा,‘ मुख्यमंत्री हताश हो रहे हैं क्योंकि उन्हें पता है कि वह अपनी दक्षिण तुरा सीट भाजपा से हार रहे हैं.’

बीजेपी संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ मेघालय डेमोक्रेटिक गठबंधन का हिस्सा है.

रविवार को एक प्रेस बयान में मारक ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ‘सीएम के करीबी आदमी’ हैं. उन्हें मुझे मारने का काम सौंपा गया है. उन्होंने कहा, ‘पुलिस विभाग में गुंडों से मेरी जान को खतरा है, इसलिए मैं उस रात वहां से चला गया था. मैंने उनकी योजना को पूरा नहीं होने दिया.’

मारक ने बताया कि उन्होंने तुरा के एसपी और मेघालय के डीजीपी को एक ईमेल भेजा है. इसमें उन्होंने लिखा है कि वह न तो फरार हैं और न ही गिरफ्तारी से बच रहे हैं. एक बार जब वह सुरक्षित महसूस करेंगे तो लौट आएंगे और जांच में सहयोग करेंगे.

दिप्रिंट ने फोन से राज्य भाजपा अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी से मारक के खिलाफ मामले पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. अगर उनसे कोई प्रतिक्रिया मिल पाई तो रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.


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उग्रवादी से नेता बना

2014 में भाजपा में शामिल होने से पहले मारक अचिक नेशनल वालंटियर काउंसिल (एएनवीसी) के सदस्य थे. यह एक प्रतिबंधित संगठन था जो ‘अचिक भूमि’ नामक गारो के लिए एक अलग राज्य बनाने की मांग करता रहा था.

दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल के अनुसार, ‘अचिक भूमि‘ के प्रस्ताव में असम और मेघालय के पश्चिम खासी पहाड़ी जिले के गारो-बहुल क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने की कल्पना की गई थी.

एएनवीसी, केंद्र सरकार और मेघालय सरकार के 2004 में एक युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद ‘अचिक भूमि’ की यह मांग ठंडी पड़ गई. इस समझौते की वजह से सभी पक्ष शांति वार्ता में शामिल हो गए थे.

हालांकि 2012 में अचिक नेशनल वालंटियर काउंसिल के एक अलग दल- एएनवीसी-बी-का गठन हुआ जो ‘वार्ता-विरोधी’ था.

मराक ने 2012 तक तोरिक मारक के नाम से एएनवीसी के प्रवक्ता के रूप में काम किया, जिसके बाद वह बड़े संगठन से अलग हुए एएनवीसी-बी के अध्यक्ष पद पर विराजमान हो गए.

मेघालय की शांति प्रक्रिया के जानकार एक वरिष्ठ राजनेता ने बताया, ‘सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (SOO) के बाद एएनवीसी अपनी बात पर कायम नहीं रह पाए और उपयोगी जानकारी के अभाव में, जब संगठन वहां से बाहर निकला तो काफी संख्या में सशस्त्र कैडर जंगलों में शिविरों में पीछे छूट गए थे.’

नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से बात करने वाले राजनेता ने कहा, ‘उन्होंने (बर्नार्ड मारक) ही एएनवीसी-बी संगठन बनाया था जिसमें जंगल में रहने वाले ये कैडर शामिल थे.’

एएनवीसी और एएनवीसी-बी दोनों गारो उग्रवादी संगठनों ने 2014 में हथियार डाल दिए थे. उस समय एएनवीसी का नेतृत्व दिलाश मारक और एएनवीसी-बी को बर्नार्ड मारक ने संभाला हुआ था. इसके बाद मराक भाजपा में शामिल हो गए.

‘अच्छा पार्टी कार्यकर्ता’

भाजपा के वेस्ट गारो हिल्स जिला अध्यक्ष मारक ने 2017 में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार की तीसरी वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक ‘बीफ पार्टी’ के विवाद के बाद पार्टी छोड़ दी थी.

नाम न जाहिर करने की शर्त पर राज्य के एक भाजपा नेता ने बताया कि मारक 2019 में फिर से पार्टी में शामिल हो गए और तुरा से काम करना शुरू कर दिया.

सदस्य ने कहा, ‘वह एक अच्छे पार्टी कार्यकर्ता हैं और गारो पहाड़ियों में पार्टी के आधार का विस्तार करने के लिए काम कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा दक्षिण तुरा निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए संगमा के प्रतिद्वंद्वी के रूप में मारक को पेश करने का विचार गलत साबित हुआ.

पिछले साल मई में मारक ने सीएम कॉनराड संगमा और उनकी बहन और तुरा से एनपीपी सांसद अगाथा संगमा के निर्वाचन क्षेत्रों में ‘घोस्ट प्रोजेक्ट’ को लेकर आरोप लगाए थे.

मारक ने दावा किया था ‘आरटीआई से पता चला है कि मुख्यमंत्री के दक्षिण तुरा निर्वाचन क्षेत्र और अगाथा संगमा के गृहनगर तुरा में और भी कई आभासी प्रोजेक्ट चल रहे हैं. जनता के पैसे का दुरुपयोग जारी है.’

मराक ने 2021 में गारो हिल्स स्वायत्त जिला परिषद चुनाव में तुरा से जीत हासिल की. उसी साल उन्हें 2023 विधानसभा चुनावों के लिए 2020-2023 के कार्यकाल के लिए गारो हिल्स क्षेत्र का भाजपा का संयोजक नियुक्त किया गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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