चंडीगढ़: खरड़ में तंबू-कनात लगाने से शुरुआत करने के बाद तीन बार विधायक बने 58 वर्षीय चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने वाले पहले दलित सिख होंगे.
चन्नी उन चार कैबिनेट मंत्रियों में शुमार हैं, जो उस राजनीतिक विरोध की अगुआई कर रहे थे जिसके कारण कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
चंडीगढ़ में राजनीतिक उथल-पुथल से भरे घटनाक्रम के बीच चन्नी को डिप्टी सीएम पद का दावेदार माना जा रहा था. लेकिन मुख्यमंत्री पद की होड़ में सबसे आगे माने जा रहे कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और राज्य कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तकरार के बाद शीर्ष पद के लिए उनका नाम तय कर दिया गया.
मुख्यमंत्री पद के लिए दोपहर में रंधावा के नाम को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया था लेकिन सिद्धू की तरफ से जोरदार विरोध किए जाने के बाद पार्टी की तरफ से दलित सिख को इस पद पर बैठाने के लिए सहमति बनी, और चन्नी के नाम पर मुहर लगा दी गई. वह सोमवार सुबह 11 बजे शपथ लेने वाले हैं, और उनके मंत्रिमंडल में दो डिप्टी सीएम बनाए जाने की संभावना है.
रामदसिया सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले चन्नी 2015 से 2016 तक पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे हैं. वह अमरिंदर सिंह की कैबिनेट के युवा सदस्यों में से एक थे, लेकिन कुछ समय पहले वह निवर्तमान मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के विरोध में खड़े हो गए थे. तकनीकी शिक्षा मंत्री के तौर पर चन्नी अपने काम में सीएमओ की तरफ से लगातार किए जाने वाले हस्तक्षेप का विरोध करते रहे हैं. उन्होंने राज्य में निजी विश्वविद्यालय खोलने का विरोध किया है, लेकिन उनकी आपत्तियों को ज्यादातर नजरअंदाज ही किया जाता रहा है.
यह भी पढ़ें: कौन होगा नया सरदार: कांग्रेस के भीतर जारी है मंथन, अंबिका ने कहा- सिख को संभालनी चाहिए यह जिम्मेदारी
स्वाध्याय में लगे नेता
रूपनगर जिले के चमकौर साहिब निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चन्नी को स्वाध्याय के लिए जाना जाता है. पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से कानून में स्नातक, और पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी, जालंधर से एमबीए चन्नी ने विपक्ष के नेता रहने के दौरान राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री पूरी की थी, और इस समय पीएचडी कर रहे हैं.
पहली बार 2007 में वह निर्दलीय विधायक बने, उस समय कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था. उन्होंने 2012 में फिर से जीत हासिल की और इस बार कांग्रेस के टिकट पर जीते और इसके बाद 2017 में भी विधायक निर्वाचित हुए.
मृदु भाषी और विनम्र स्वभाव वाले चन्नी चमकौर साहिब के मकरोना कलां गांव के एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं. उनका परिवार काम की तलाश में मलेशिया चला गया था, लेकिन बाद में खरड़ लौट आया और उसने एक टेंट हाउस शुरू किया. इसमें वह एक टेंट लगाने वाले लड़के के तौर पर काम करके परिवार की मदद करते थे.
उन्होंने खरड़ में अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की और खेलों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. उनके पिता हरसा सिंह गांव के सरपंच बने और चन्नी भी उनके नक्शेकदम पर चलकर राजनीति में आ गए.
उन्होंने अपनी सियासी पारी की शुरुआत खरड़ नगरपालिका से की और दो कार्यकाल के लिए नगर परिषद अध्यक्ष बनने से पहले तीन बार पार्षद भी बने.
अमरिंदर सिंह सरकार में रोजगार सृजन कैबिनेट मंत्री (तकनीकी शिक्षा और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ) के तौर पर चन्नी पिछले कुछ वर्षों से पार्टी के चुनावी वादे के तहत राज्य भर में रोजगार मेलों के आयोजन में सबसे आगे रहे हैं..
उनके भाई डॉ. मनोहर सिंह एक चिकित्सा विशेषज्ञ है और पंजाब सरकार में सेवारत हैं. एक अन्य भाई सुखवंत सिंह सुखी ने इस साल फरवरी में खरड़ नगर परिषद का चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें 12 मतों से हार का सामना करना पड़ा था.
अनुचित टेक्स्ट मैसेज विवाद
2018 में चन्नी उस समय विवाद में घिर गए थे जब पंजाब कैडर की एक महिला आईएएस अधिकारी ने शिकायत की थी कि उन्होंने उन्हें अनुचित संदेश भेजे थे.
विवाद के बीच चन्नी चुप्पी साधे रहे थे. हालांकि, कथित तौर पर यह आरोप भी लगाया गया कि लगातार मुख्यमंत्री को निशाना बनाए जाने के कारण वह विवाद में घिरे थे.
(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: चरणजीत सिंह बने नये मुख्यमंत्री, अमरिंदर सिंह ने दी बधाई, कहा-उम्मीद है चन्नी पंजाब को सुरक्षित रखेंगे