मुंबई: जबकि कुछ टॉप भारतीय पहलवान यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एक महीने से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, तो ऐसे में गोवा में चुनाव हारने के बावजूद भाजपा के सत्ता में आने की छह साल पुरानी कहानी उत्तर प्रदेश के अपने गृह क्षेत्र के बाहर भी सांसद की राजनीतिक उपयोगिता की एक झलक देती है.
गोंडा, बलरामपुर और कैसरगंज से छह बार के सांसद – रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृज भूषण को पार्टी गोवा में क्षेत्रीय संगठन गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) को अपने पक्ष में करने के लिए अंतिम चरण की बातचीत के दौरान राज्य में लेकर आई थी. तटीय राज्य, गोवा में भाजपा सहित सभी पार्टियों के कई नेताओं ने दिप्रिंट को इस बात की जानकारी दी.
गोवा के बीजेपी अध्यक्ष सदानंद तनावडे ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें बृजभूषण के गोवा आने या सरकार गठन में उनकी कथित भूमिका के बारे में कुछ नहीं पता.
लेकिन, GFP के विजय सरदेसाई ने सरकार गठन के लिए बातचीत के दौरान बृजभूषण की गोवा यात्रा की पुष्टि की. हालांकि, उन्होंने कहा कि वह 2017 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में केवल इसलिए शामिल हुए क्योंकि पार्टी मनोहर पर्रिकर, जो उस समय केंद्रीय रक्षा मंत्री थे, को मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त करने के लिए सहमत हुई थी.
सरदेसाई ने दिप्रिंट को बताया, “भाजपा नेतृत्व बृजभूषण को मुझसे बात करने के लिए गोवा लेकर आया था. लेकिन जैसा कि मैंने उस सरकार को समर्थन देने के अपने पत्र में भी कहा था, कि मैं श्री मनोहर पर्रिकर के कारण ही सरकार में शामिल हुआ था,”
यह गठबंधन दो साल तक ही चला क्योंकि सरदेसाई की जीएफपी 2019 में भाजपा से अलग हो गई और अब गोवा में भाजपा की प्रतिद्वंद्वी है.
बृज शरण से दिप्रिंट ने फोन पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका और उन्होंने दिप्रिंट के टेक्स्ट मैसेज का जवाब नहीं दिया.
2017 में क्या हुआ था?
भाजपा गोवा में सत्ता पर काबिज होने के लिए विभिन्न दलों के गठबंधन को एक साथ लाने की प्रक्रिया में थी, बावजूद इसके कि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, हालांकि बहुमत के आंकड़े से पीछे थी. 40 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 13 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस के पास 17 सीटें थीं.
तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भाजपा के नेतृत्व वाली गोवा सरकार बनाने के लिए ऑपरेशन का प्रभारी बनाया था.
लेकिन जब सारे प्रयास विफल होने लगे तो भाजपा नेतृत्व बृज शरण सिंह को गोवा लेकर आया.
पार्टी सूत्रों ने कहा कि बृज शरण की भूमिका तीन विधायकों वाली पार्टी जीएफपी और सरदेसाई को मनाने की थी क्योंकि दोनों एक ही तार से जुड़े थे और वह था- कुश्ती. सरदेसाई गोवा के प्रगतिशील कुश्ती संघ के प्रमुख हैं.
गोवा कांग्रेस के दो नेताओं और 2017 में मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के सत्तारूढ़ गठबंधन से एक तिहाई ने दिप्रिंट को बताया कि भाजपा ने सबसे पहले महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के तीन विधायकों से संपर्क किया और उनका समर्थन हासिल किया, जो पूर्व में भी बीजेपी की सहयोगी रह चुकी थी.
उन्होंने कहा, इस बीच, एमजीपी को साथ लाने के बाद, भाजपा नेतृत्व ने बृज शरण सिंह को एक निजी जेट से गोवा भेजा.
उपरोक्त गोवा कांग्रेस के दो नेताओं में से एक ने दिप्रिंट को बताया, “बृजभूषण उस समय विजय सरदेसाई के आवास पर गए थे जब कांग्रेस नेतृत्व भी उनके साथ बातचीत कर रहा था. गोवा में सरकार बनाने के लिए GFP के भाजपा में शामिल होने के सौदे को बृज भूषण के साथ अंतिम रूप दिया गया था,“
2017 के सत्तारूढ़ गठबंधन के तीसरे सूत्र ने विवरणों की पुष्टि की और कहा कि इस बैठक में सरदेसाई ने जीएफपी के तीनों विधायकों को राज्य में कैबिनेट मंत्री बनाने की अपनी मांग रखी थी.
उन्होंने कहा, “बृज भूषण के साथ बातचीत के बाद सरदेसाई के फैसले के बारे में बीजेपी नेतृत्व को सूचित किया गया था, और जीएफपी ने अपना समर्थन पत्र इस शर्त पर दिया था कि पर्रिकर सीएम के रूप में बागडोर संभालेंगे.”
सूत्र ने कहा, “जब भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने के लिए सहमत हुए सभी विधायक अपना समर्थन पत्र देने के लिए एकत्र हुए तो उस वक्त बृज भूषण भी एक होटल में गडकरी और पर्रिकर के साथ मौजूद थे.
कुछ मीडिया आउटलेट्स ने भी इस कार्यक्रम की एक तस्वीर प्रकाशित की थी.”
सरदेसाई ने कहा, “भाजपा आलाकमान ने उन्हें मुझसे बात करने और मुझे सहज करने के लिए भेजा था क्योंकि वह भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख थे और मैं लोकल रेसलिंग बॉडी का प्रमुख था. वह कुछ दिनों तक यहां रुके हुए थे,”
उन्होंने कहा, “लेकिन, सरकार को मेरा समर्थन केवल पर्रिकर के कारण था, और कुछ नहीं. और इस देश में कुश्ती की फील्ड में मेरी भूमिका भी बहुत बेपरवाही वाली है,”
गोवा भाजपा के एक सूत्र ने कहा कि चुनाव के दौरान सरदेसाई का पूरा अभियान भाजपा को गोवा से बाहर करने के एजेंडे पर आधारित था.
इसके अतिरिक्त, सरदेसाई की जड़ें कांग्रेस में होने के कारण – वह 2012 में कांग्रेस से अलग हुए थे – ने भाजपा नेताओं को सरदेसाई द्वारा कांग्रेस का समर्थन करने और इसे सत्ता में लाने की संभावना के बारे में चिंतित कर दिया.
पार्टी ने अंततः महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) के तीन विधायकों और कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ-साथ जीएफपी के समर्थन के साथ सरकार बनाई.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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