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Friday, 29 March, 2024
होमराजनीतिजब राहुल गांधी ‘हमशक्ल’ से मिले—कौन हैं भारत जोड़ो यात्रा में सुर्खियों में छाए UP के फैज़ल चौधरी

जब राहुल गांधी ‘हमशक्ल’ से मिले—कौन हैं भारत जोड़ो यात्रा में सुर्खियों में छाए UP के फैज़ल चौधरी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी से काफी समानता के कारण 23 वर्षीय फैसल चौधरी को अपने गृहनगर मेरठ में ‘छोटा राहुल’ तक कहा जाता है. यात्रा के दौरान भी कई बार लोग उन्हें राहुल समझकर अपनी समस्याएं बताने लगते हैं या फिर उनके साथ सेल्फी खिंचवाते हैं.

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खन्ना/लुधियाना: गोरे रंग के उस युवक का कद पांच फुट छह इंच है, बाल कुछ भूरे-से हैं और चेहरे पर दाढ़ी भी खिचड़ी है. इस हफ्ते लुधियाना में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के साथ चल रहे इस युवक ने खासी सुर्खियां बटोरीं, अक्सर बड़ी संख्या में लोग उसे घेरकर अपनी समस्याएं सुनाने लगते या फिर बड़े चाव से उसके साथ सेल्फी खिंचवाते नजर आते.

वह राहुल गांधी नहीं हैं. लेकिन, पहली नजर में आप आसानी से धोखा खा सकते हैं और उन्हें कांग्रेस नेता समझने की गलती कर सकते हैं. यहां तक कि उसने कपड़े भी राहुल गांधी की तरह ही पहन रखे हैं—वही सफेद रंग की आधी बाजू की टी-शर्ट और बेज पतलून. 10–13 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ अच्छी-खासी ठंड के बावजूद वह भी कोई स्वेटर पहने बिना ही भारत जोड़ो यात्रा के साथ चल रहे हैं.

अपने गृहनगर मेरठ में ‘छोटा राहुल’ के नाम से मशहूर यह कांग्रेस कार्यकर्ता दरअसल 23 वर्षीय मोहम्मद फैसल चौधरी है.

एक किसान परिवार में जन्मे फैसल चौधरी मेरठ में पार्टी इकाई का हिस्सा हैं. दिल्ली से यात्रा में शामिल होने वाले फैसल का इरादा इस महीने के अंत में श्रीनगर में यात्रा पूरी होने तक इसमें शामिल रहने का है.

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मीडिया वैन के पीछे चलते हुए उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मेरे पिता और दादा कांग्रेस की विचारधारा में विश्वास करते थे. इसलिए मैं भी तीन साल पहले पार्टी में शामिल हो गया. यह तो अल्लाह का करम है कि मेरी कद-काठी ऐसी दिखती है कि लोग मुझे राहुल गांधी समझ बैठते हैं.’

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चौधरी के लिए लोगों का उन्हें इस तरह देखना अब सामान्य बात हो गई है, और वह जहां भी जाते हैं, गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है.

फैसल ने कहा, ‘कभी-कभी लोग सच में ऐसा धोखा खा जाते हैं कि मैं ही राहुल गांधी हूं, और वे मुझे गले लगाते हैं, या मुझे माला पहनाते हैं. राहुल जी कड़ी सुरक्षा के साथ चलते हैं, इसलिए हर कोई उनसे नहीं मिल सकता लेकिन मेरे पास कोई सुरक्षा नहीं है इसलिए वे मेरे साथ फोटो भी खिंचवाते हैं.’

फैसल के साथ चल रहे लोगों ने राहुल के साथ उनकी समानता के संदर्भ में एक किस्सा सुनाया कि जब यात्रा उत्तर प्रदेश के बागपत को पार कर रही थी, तब वहां एक महिला ने गलती से गांधी परिवार का वंशज समझकर उन्हें अपनी समस्याएं बतानी शुरू कर दीं.

अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एक यात्री ने दिप्रिंट को बताया, ‘वह काफी देर तक बातें करती रही और हम चुपचाप देखते रहे. फिर अचानक उसे लगा कि वह असली राहुल गांधी से बात नहीं कर रही है और उसने अपना माथा पीट लिया.’


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जब दे मेट

राहुल गांधी की ‘सादगी और फिटनेस’ से प्रेरित फैसल को शुक्रवार की सुबह अपने आदर्श नेता मिलने का मौका मिला और उन्होंने इस भेंट से जुड़ी तस्वीर इंस्टाग्राम पर साझा की.

यह पूछे जाने पर उन्होंने किस बारे में बात की? फैसल ने दिप्रिंट को बताया, ‘उन्होंने मुझसे मेरे परिवार के बारे में पूछा, और यह भी जानना चाहा कि मैं क्या करता हूं और यात्रा में क्यों चल रहा हूं. मैंने उनसे कहा कि मैं उन्हें अपना आदर्श मानता हूं.’

चार भाई-बहनों में सबसे बड़े फैसल चौधरी एक किसान हैं. उनके पिता की मृत्यु छह साल पहले हो गई थी, जिसके कारण उन्हें खेत संभालने के लिए अपनी बीए की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी.

राहुल गांधी के साथ काफी समानताओं के बावजूद, उनका अभी तक चुनावों से कोई वास्ता नहीं रहा है. हालांकि, वह किसी दिन चुनाव लड़ने की इच्छा जरूर रखते हैं. उनके पास मेरठ कांग्रेस में कोई आधिकारिक पद नहीं है, लेकिन वह अपनी तरफ से हरसंभव योगदान के लिए तैयार रहते हैं. फैसल ने कहा कि अधिक से अधिक लोगों को यात्रा में शामिल होना चाहिए. उनके मुताबिक, ‘भले ही आप कुछ मील ही क्यों न चल सकते हों, लेकिन यात्रा में शामिल जरूर हों. राहुल गांधी के साथ चलें और देश को एकजुट करने के उनके प्रयासों में साथ दें.’

कड़ाके की ठंड के बावजूद फैसल भी स्वेटर न पहनने की जिद पर अड़े हैं.

उन्होंने कहा, ‘ठंड मन से लगती है. मैंने फैसला किया है कि मैं राहुल जी की तरह चलूंगा, इसलिए मुझे ठंड नहीं लगती है.’

हालांकि, चौधरी जहां भी जाते हैं उनका स्वागत किया जाता है, लेकिन घर के कुछ शुभचिंतकों ने उन्हें राजनीति के बारे में खुलकर बोलने के खिलाफ चेतावनी दी है.

उन्होंने कहा, ‘वे कहते हैं कि मुझे ऊंचा लक्ष्य रखने या तेजी से ऊपर उठने की आकांक्षा नहीं रखनी चाहिए, लेकिन ऐसा कहने वाले कुछ ही लोग हैं. ज्यादातर लोगों ने यात्रा में शामिल होने को लेकर मेरा समर्थन ही किया है.’


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