नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत ने ‘ब्रांड मोदी’ को और मजबूत किया है क्योंकि पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील और उनकी ‘गारंटियों’ पर भरोसा करते हुए सामूहिक रूप से चुनाव लड़ा था.
शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश ने कहा, “दिल्ली की जीत पीएम मोदी के नेतृत्व का प्रमाण है. लोगों ने शासन मॉडल, वादों और मोदी की गारंटी पर भरोसा जताया है, जो कि काम पूरा करने की है…आखिरकार ‘ब्रांड मोदी’ समावेशिता और विकास का प्रतिनिधित्व करता है और ‘सबका साथ सबका विकास’ कुछ ऐसा है जिसे देश के लोगों के बीच स्वीकार्यता का एक स्तर प्राप्त है.”
पिछली बार जब भाजपा ने दिल्ली में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों के नाम घोषित किए थे, उसके विपरीत, पार्टी इस बार बिना किसी सीएम चेहरे को पेश किए, केवल मोदी की अपील पर निर्भर करते हुए चुनाव में उतरी. चुनाव से पहले कई रैलियों को संबोधित करते हुए, मोदी ने भाजपा के अभियान की टोन तय की, जब उन्होंने AAP के लिए ‘आप-दा’ शब्द गढ़ा, जिसमें उन्होंने इसकी “दूरदर्शिता की कमी” और “भ्रष्टाचार” का हवाला दिया. दिल्ली चुनाव के लिए भाजपा के पोस्टरों और विज्ञापनों पर ‘मोदी की गारंटी’ की वापसी भी देखी गई.
वरिष्ठ भाजपा नेता और दिल्ली के प्रभारी बैजयंत पांडा ने जोर देकर कहा कि नतीजों से पता चलता है कि “दिल्ली के लोगों को पीएम मोदी की गारंटी पर बहुत भरोसा है”. पांडा ने कहा, “दिल्ली भ्रष्टाचार, झूठ और रुके हुए विकास की ‘आप-दा’ से मुक्त होगी.”
लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला नारा ‘गारंटी’ संसद में ‘400 पार’ के लक्ष्य तक पहुंचने में असमर्थ होने के बाद ‘चुपचाप’ गायब हो गया था. जैसे-जैसे दिल्ली में चुनाव प्रचार आगे बढ़ा, पार्टी ने फिर से मोदी की गारंटी पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें नेताओं ने राजधानी के लिए केंद्र में मोदी सरकार द्वारा किए गए कार्यों को उजागर किया.
इस साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए भाजपा पार्टी के मुख्य विषय के रूप में ‘मोदी की गारंटी’ पर ध्यान केंद्रित करने की संभावना है.
दिल्ली में भाजपा का वनवास खत्म
भाजपा 1998 से दिल्ली में सत्ता से बाहर है. पहले भाजपा ने किरण बेदी और वरिष्ठ भाजपा नेता हर्षवर्धन को दिल्ली में पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया था, लेकिन जीत नहीं पाई थी.
दिल्ली में संसदीय स्तर पर भाजपा ने 2014, 2019 और 2024 में राजधानी की सभी सात सीटों पर जीत हासिल करते हुए सफल प्रदर्शन किया है. हालांकि, विधानसभा के नतीजे निराशाजनक रहे हैं, पार्टी के पास वर्तमान में शहर के 70 विधायकों में से केवल आठ विधायक हैं. फरवरी 2020 में हुए पिछले चुनाव में आप ने 62 सीटें जीती थीं.
दिल्ली भाजपा के अभियान का फोकस मोदी की गारंटी पर था, पार्टी के सोशल मीडिया पर इनसे जुड़ी पोस्ट की भरमार थी. इसकी तुलना में हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में पार्टी के अभियान के केंद्रीय विषय के रूप में ‘मोदी की गारंटी’ गायब थी. यहां तक कि दिल्ली भाजपा ने चुनाव से पहले जो घोषणापत्र जारी किया था, उसमें भी ‘मोदी की गारंटी’ पर फोकस था और उसमें प्रधानमंत्री की कई तस्वीरें थीं. मुख्य पृष्ठ पर केवल मोदी की तस्वीर थी.
हालांकि, पार्टी ने एक महत्वपूर्ण फर्क किया — मोदी को AAP संयोजक और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नहीं खड़ा किया गया.
दिप्रिंट से बात करते हुए, कई भाजपा नेताओं ने कहा कि वह मोदी की अपील पर भरोसा कर रहे थे क्योंकि “वह दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता हैं, लेकिन आप उनकी तुलना केजरीवाल से नहीं कर सकते, जो ज़मानत पर बाहर हैं और उन्हें सीएम की फाइलों पर हस्ताक्षर करने की भी अनुमति नहीं है”.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “दिल्ली भाजपा ने ये चुनाव सामूहिक रूप से लड़े और जैसे अन्य राज्यों में सीएम बाद में चुने गए, दिल्ली में भी सीएम को बाद में चुना जाएगा.”
‘2014 में शुरू की गई भाजपा परियोजना मजबूत होगी’
विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि दिल्ली चुनाव ‘ब्रांड मोदी’ को और मजबूत करेगा.
सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) के फेलो राहुल वर्मा ने कहा, “मोदी भारतीय राजनीति और खास तौर पर भाजपा पर छाए हुए हैं. मुझे नहीं लगता कि मोदी के उदय के बाद से भाजपा ने कभी भी उनके बिना और उनके द्वारा बनाए गए गठबंधन के बिना कोई चुनाव लड़ा हो. 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम भाजपा और मोदी दोनों के लिए बहुत बड़ा झटका हैं. उस चुनाव के बाद एक समय ऐसा लग रहा था कि भाजपा को किनारे किया जा सकता है.”
वर्मा ने कहा, “हरियाणा के चुनाव परिणामों ने जहां भाजपा के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी, उस गिरावट पर विराम लगा दिया. फिर, महाराष्ट्र में मिली शानदार जीत ने इस धारणा को उलट दिया कि मोदी और भाजपा का पतन हो रहा है और अब, दिल्ली में जहां वह 27 वर्षों से सत्ता में नहीं थे, राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह की जीत उस तरह की परियोजना को मजबूत करेगी जिसे भाजपा ने 2014 में शुरू किया था.”
उन्होंने कहा, “इसलिए कुछ मायनों में भारत के राजनीतिक केंद्र में सत्ता में आना, एक आरामदायक जीत हासिल करना, भाजपा और मोदी दोनों के लिए एक और उपलब्धि जोड़ने जा रहा है, अगर आप इसे ऐसा कहना चाहें तो.”
2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के अभियान और घोषणापत्र में मुख्य टैगलाइन ‘मोदी की गारंटी’ और ‘फिर एक बार मोदी सरकार’ थीं. मोदी के भाषणों से लेकर अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं तक, मोदी की ‘स्टैम्प’ के साथ सुशासन और डिलीवरी पर ध्यान केंद्रित किया गया था.
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