मुंबई: वेदांता-फॉक्सकॉन के करोड़ों रुपये के निवेश को गुजरात के हाथों गंवाने के बाद विपक्ष के निशाने पर आई सरकार ने नानार तेल रिफाइनरी परियोजना के मुद्दे को अपनी ढाल बना लिया है.
भारतीय जनता पार्टी और शिंदे के गुट वाली शिवसेना समेत राज्य सरकार के नेता अब यह बताने में लगे हैं कि कैसे नानार रिफाइनरी परियोजना एक इससे भी बड़ा निवेश था, जिसे उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना- जो कुछ महीने पहले तक राज्य में सत्ता में थी- के विरोध के कारण ठप करना पड़ा.
मंगलवार को दिप्रिंट से बात करते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘वेदांता 1.56 लाख करोड़ रुपये और रिफाइनरी 3.5 लाख करोड़ रुपये की थी. रिफाइनरी भारत में अब तक का सबसे बड़ा निवेश था. समय से पहले उसे खत्म कराने के लिए कौन जिम्मेदार है?’
2019 में ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना ने अपने तत्कालीन गठबंधन सहयोगी भाजपा को नानार रिफाइनरी परियोजना को स्थगित करने के लिए मजबूर किया था. यह रिफाइनरी रत्नागिरी जिले के नानार गांव में आने वाली थी.
यह फैसला 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन पर मुहर लगाने के कुछ ही दिनों बाद आया था. इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डालना, गठबंधन के लिए शिवसेना की शर्तों में से एक बताया गया था. इस परियोजना को स्थानीय लोगों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा था.
जुलाई में सौदे को लगभग अंतिम रूप देने के बाद भी मौजूदा सरकार ताइवान की कॉन्ट्रैक्ट इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन और वेदांता के संयुक्त उद्यम से निवेश प्राप्त करने में विफल रही. विपक्ष के के सवालों से घिरी ये सरकार अपने बचाव के लिए अब इस रिफाइनरी को चर्चा में लेकर आई है.
राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले, वेदांता-फॉक्सकॉन के संयुक्त उद्यम ने मंगलवार को सेमीकंडक्टर निर्माण इकाई और एक डिस्प्ले फैब्रिकेशन इकाई स्थापित करने के लिए गुजरात के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं.
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन वाले पूर्व महा विकास अघाड़ी और शिंदे के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार अब महाराष्ट्र की हार को लेकर एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले शिवसेना सांसद विनायक राउत (अभी भी ठाकरे गुट में शामिल) ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें ‘वेदांता-फॉक्सकॉन के संयंत्र की रिफाइनरी परियोजना से तुलना करने वालों की बुद्धि पर दया आ रही है.’
उन्होंने कहा, ‘कोई भी रिफाइनरी की तुलना सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट से नहीं कर सकता है. रिफाइनरी एक विनाशकारी परियोजना है. यह एक रासायनिक उद्योग है और इसके प्रतिकूल प्रभाव हैं. लेकिन वेदांता-फॉक्सकॉन प्रोजेक्ट के ऐसे कोई एडवर्स इफेक्ट नहीं है. कोंकण के स्थानीय लोग रिफाइनरी का विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह उनकी समृद्ध कृषि, बागवानी को नष्ट कर देगी.’
वह बताते हैं, ‘हमारा कहना सिर्फ इतना था कि लोगों की सहमति होनी चाहिए. आज भी 90 फीसदी स्थानीय निवासी इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं. उनके विचारों को ध्यान में रखना सरकार का काम है. रिफाइनरी परियोजना को ठप करने के लिए हमारी आलोचना कर यह सरकार सिर्फ अपनी बुराइयों को छिपाने की कोशिश कर रही है.’
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‘युवाओं के बीच गलतफहमियां न पैदा करें’
रत्नागिरी रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल लिमिटेड प्रोजेक्ट (आरआरपीसीएल) परियोजना रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिलों के 17 गांवों में 16,000 एकड़ जमीन पर आने वाली थी, जबकि मुख्य तेल रिफाइनरी नानार में प्रस्तावित थी.
परियोजना को पहली बार 2015 में प्रस्तावित किया गया था. लेकिन ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने स्थानीय निवासियों के विरोध का हवाला देते हुए कभी इसका समर्थन नहीं किया. इस साल मार्च के आसपास जब ठाकरे मुख्यमंत्री के रूप में एमवीए सत्ता में थी, शिवसेना ने परियोजना को दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने की इच्छा दिखाई थी, बशर्ते स्थानीय लोग इसमें शामिल हों.
महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम ने नानार से सिर्फ कुछ दूर नदी के पार बसे बारसू गांव में एक वैकल्पिक स्थान की पहचान की.
बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कहा, ‘महाराष्ट्र में इससे बड़ा एक प्रोजेक्ट कब से इंतजार में है. वह (वेदांता-फॉक्सकॉन) 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश था, जबकि ये रिफाइनरी परियोजना 3.5 लाख करोड़ रुपये की है. मैं सभी पार्टियों से अनुरोध करना चाहता हूं कि युवाओं से बात करते समय एक प्रोजेक्ट के लिए एक स्टैंड और दूसरे के लिए दूसरा स्टैंड न लें.
ठाकरे के वंशज आदित्य पर अप्रत्यक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए रत्नागिरी जिले के एक विधायक सामंत ने कहा, ‘मैं युवाओं को यह क्यों बताना चाहता हूं? क्योंकि कुछ लोग प्रोजेक्ट को युवाओं के सामने पेश करते हुए गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. एक समय में, सभी को एक साथ आ जाना चाहिए और परियोजना का समाधान खोजना चाहिए.’
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