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Monday, 23 December, 2024
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बंगाल की कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा- धार्मिक कट्टरता से निपटने के लिए भगवान के नज़दीक जाना जरूरी

सीपीआई(एम) के एक और पोलितब्यूरो के सदस्य नीलोत्पल बासु ने भाजपा पर 'धार्मिक भावनाओं को विकृत करने का आक्रामक प्रयास' करने का आरोप लगाया और कहा कि इसका काउंटर करने की जरूरत है.

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कोलकाता: कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) मानती है कि धार्मिक कट्टरता और ‘शातिराना राजनीतिक माहौल’ से निपटने के लिए उनके सदस्यों को धार्मिक जगहों पर होना चाहिए.

पिछले महीने की एक समीक्षा रिपोर्ट के अनुसार सीपीआई(एम) ने कहा था, ‘मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थानों’ को ‘आरएसएस और उसके विभिन्न उपक्रमों के सहारे’ नहीं छोड़ सकते. पार्टी को ‘हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि ये दिखे कि धर्मनिरेपक्ष मान्यताओं वाले भी मंदिरों का मैनेजमेंट कर सकते हैं.’

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में एक साल से भी कम वक्त है. भाजपा ने राज्य में बढ़त बना रखी है. हालांकि सीपीआई(एम) के पोलितब्यूरो के सदस्य इस फैसले का बचाव कर रहे हैं लेकिन साथ ही साथ ये भी कह रहे हैं कि वे सभी धार्मिक स्थलों पर इस बात को लागू करेंगे.

पोलितब्यूरो सीपीआई(एम) की सबसे बड़ी फैसला लेने वाली समिति है.

‘विचारधारा से अलग नहीं जा रहे लेकिन यह समय की मांग है’

कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेता मानते हैं कि भगवान से नजदीकी पार्टी के प्रगतिशील चेहरे को दिखाएगा और ये विचारधारा के खिलाफ भी नहीं जाती.

सीपीआई(एम) के पोलितब्यूरो के सदस्य और पूर्व सांसद मोहम्मद सालिम ने कहा, ‘हम हमेशा सार्वजनिक जगहों का इस्तेमाल लोगों को जोड़ने के लिए करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हम कभी भी सीधे तौर पर किसी धार्मिक व्यवस्था से जुड़े नहीं रहे हैं. हालांकि तोड़ने वाली और फासिस्ट ताकत अपनी सांप्रदायिक एजेंडा के लिए धार्मिक स्थानों का इस्तेमाल करते हैं. हम इस तरह की चीज़ों को आगे बढ़ाने की इजाजत नहीं देते.’

उनके अनुसार पार्टी ने इससे पहले अपने सदस्यों को किसी पूजा या किसी मंदिर समिति का हिस्सा बनने के लिए इजाजत नहीं दी थी. लेकिन अब इन समितियों में धर्मनिरपेक्ष लोगों की जरूरत है.

उन्होंने कहा, हम उन्हें (आरएसएस) वॉकओवर (ऐसे ही जाने नहीं देना चाहते). ये एकतरफा खेल नहीं होना चाहिए. इसी कारण केरल और दूसरे राज्यों में हमने धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को पूजा पाठ की जगह बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया है. यह केवल मंदिरों के लिए नहीं बल्कि ये मस्जिदों, गुरुद्वारों, चर्च और धार्मिक जगहों के लिए भी मान्य है.’

‘पुराना अभ्यास लेकिन अब स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है’

सीपीआई(एम) के एक और पोलितब्यूरो के सदस्य नीलोत्पल बासु ने भाजपा पर ‘धार्मिक भावनाओं को विकृत करने का आक्रामक प्रयास’ करने का आरोप लगाया और कहा कि इसका काउंटर करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि यह बहुत लंबे समय से हमारी पार्टी में पूजा समितियों में शामिल होने का रिवाज़ है. ‘हम नास्तिक लोग हैं लेकिन हमने कभी नहीं कहा कि दूसरे लोग अपनी मान्यताओं पर भरोसा न करें. अगर हम अभी ऐसा नहीं करते तो सांप्रदायिक ताकतों को बहुसंख्यक का सहारा मिल जाएगा. इसलिए ये फैसला हमारे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को स्पष्टता देती है.’

जबकि कम्युनिस्ट पार्टी दशकों से धार्मिक त्योहारों की जगह पर किताबों का स्टॉल और मेडिकल कैंप्स लगाता आया है. यह पहली बार होगा जब पार्टी ने हिंदुत्व से मुकाबला करने के लिए मंदिर प्रांगण में ‘स्थायी किताबों की दुकान, मेडिकल सेंटर्स, पानी की सुविधा’ की बात कही है.

हालांकि पार्टी ने अपने कॉमरेडों को धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेने से बचने को कहा है.

बंगाल से एक और पोलितब्यूरो के सदस्य हन्नान मोल्लाह ने कहा, ‘हम हमेशा हर साल 3500 पूजा में किताब की स्टॉल लगाते आए हैं. हम धार्मिक स्थलों के प्रांगण में प्रवेश नहीं करेंगे लेकिन हम अपनी भूमिका को क्षेत्र में बढाएंगे. ये इसलिए जिससे लोग देखें और लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर विश्वास करें. हम धर्म में विश्वास नहीं करते लेकिन हम किसी की मान्यताओं का निरादर नहीं करते.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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