scorecardresearch
Monday, 4 November, 2024
होमराजनीति‘BJP को सबक सिखाएंगे.’ पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के ‘अपमान’ पर राजपूत संगठनों ने जताया विरोध

‘BJP को सबक सिखाएंगे.’ पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के ‘अपमान’ पर राजपूत संगठनों ने जताया विरोध

जयपुर में 20 अगस्त को हुए उस प्रकरण को लेकर गुस्सा फूट पड़ा, जिसमें भाजपा के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने राजेंद्र राठौड़ से पार्टी पदाधिकारियों की बैठक से बाहर निकलने पर सवाल किया था.

Text Size:

नई दिल्ली: राजस्थान के प्रमुख राजपूत नेता राजेंद्र राठौड़ का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल द्वारा कथित तौर पर ‘अपमान’ किए जाने के बाद राजनीतिक विवाद गहरा गया है. दो राजपूत संगठनों ने बीजेपी के राज्यसभा सांसद से माफी मांगने की अपील की है और विधानसभा उपचुनाव में ‘भाजपा को सबक सिखाने’ की धमकी दी है.

सात बार विधायक रह चुके राठौड़ 2023 के राजस्थान चुनाव में तारानगर से हार गए थे. वे पहले राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) रह चुके हैं.

राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना और श्री राजपूत करणी सेना ने चुनाव का बहिष्कार करने और ‘भाजपा को सबक सिखाने’ की धमकी दी है.

इस मामले की जड़ जयपुर में 20 अगस्त को हुई बैठक है, जिसमें नवनियुक्त प्रदेश प्रभारी अग्रवाल ने सदस्यता अभियान कार्यक्रम से अनुपस्थित रहने वाले पार्टी के विधायकों, सांसदों और जिला अध्यक्षों पर निशाना साधा था.

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने इस घटना को याद करते हुए कहा, “इस बैठक के दौरान उन्होंने खास तौर पर राजेंद्र राठौड़ को निशाना बनाया. राठौड़ जी बैठक में शामिल हुए थे, हालांकि अब वे विधायक भी नहीं हैं और न ही उनके पास कोई संगठनात्मक पद है. उनके कुछ पूर्व निर्धारित कार्यक्रम थे और बीच में ही उन्हें जाना पड़ा. अग्रवाल जी ने मंच से उनकी ओर इशारा किया और प्रदेश अध्यक्ष (मदन राठौड़) से कहा कि पता करें कि उन्हें क्यों जाना पड़ा. उन्होंने उन्हें चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि संगठन से ऊपर कोई नहीं है.”

एक वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी के अनुसार, इस घटना से भाजपा के कुछ नेताओं के साथ-साथ राठौड़ के समर्थकों में भी रोष फैल गया, जिन्होंने सोशल मीडिया पर हैशटैग कैंपेन ‘राजेंद्र राठौड़ नहीं तो भाजपा नहीं’ चलाया.

नाराज राजपूत समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया और झुंझुनू में आयोजित एक बैठक के दौरान, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए बैठक बीच में ही छोड़नी पड़ी.

राजपूतों ने पारंपरिक रूप से भाजपा का समर्थन किया है, लेकिन वे उन कारकों में से एक थे, जिनके कारण भाजपा की लोकसभा सीटों की संख्या घटकर 14 रह गई, जो पिछले दो आम चुनावों की तुलना में बहुत कम है. भाजपा ने 2014 में सभी 25 सीटों पर क्लीन स्वीप किया था और 2019 में 24 सीटें हासिल की थीं, जबकि एक सहयोगी ने बाकी की एक सीट जीती थी.

इस बीच, कांग्रेस ने यह कहकर आग में घी डालने का काम किया कि राजेंद्र राठौड़ जैसे कद के राजपूत नेता को इस तरह से अपमानित किया गया है.

राठौड़ को सोशल मीडिया पर पोस्ट करके हस्तक्षेप करना पड़ा कि एक अनावश्यक विवाद पैदा किया जा रहा है.

उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “सोशल मीडिया पर कुछ लोग मेरे और भाजपा संगठन के बारे में गलत धारणाएं फैला रहे हैं और एक अनर्गल ट्रेंड चला रहे हैं, जिसका मैं विरोध करता हूं. मैंने अपना पूरा राजनीतिक जीवन भाजपा संगठन को समर्पित कर दिया है और भविष्य में भी मैं एक कार्यकर्ता के रूप में संगठन को मजबूत करने के लिए निरंतर काम करता रहूंगा. मैं अपने सभी समर्थकों और कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि वे सोशल मीडिया पर अनुचित टिप्पणी न करें. अगर भाजपा है तो हम हैं.”


यह भी पढ़ेंः SC/ST तक पहुंचने के लिए VHP करेगी धर्म सभा और पद यात्रा, हिंदुओं के ‘जरूरी मुद्दों’ पर करेगी चर्चा 


मोर्चे पर चुप नहीं

हालांकि, पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अग्रवाल से पहले अरुण सिंह राजस्थान के राज्य प्रभारी थे और उन्होंने कभी भी इस तरह के प्रकरणों को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा.

इस पदाधिकारी ने कहा कि केंद्रीय नेतृत्व को इस मुद्दे पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

यह स्थिति गुटबाजी में उलझी भाजपा के लिए और भी चिंताजनक हो गई है क्योंकि राजपूत समुदाय ने चुनाव का बहिष्कार करने की धमकी दी है.

राजस्थान में झुंझुनू, दौसा, देवली-उनियारा, चौरासी, खींवसर और सलूंबर में विधानसभा उपचुनाव होंगे. ये सीटें चार विधायकों के लोकसभा चुनाव में जीतने के बाद खाली हुई हैं, जबकि सलुंबर विधायक अमृत लाल मीना का इस महीने की शुरुआत में निधन हो गया था.

हालांकि अभी तक आधिकारिक तौर पर तारीखों की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन कांग्रेस और भाजपा दोनों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. यह चुनाव मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के लिए भी अग्निपरीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है.

राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के भारी विरोध का सामना कर रहे अग्रवाल इस पर टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके.

एक पार्टी पदाधिकारी ने झुंझनू जिले की बैठक के दौरान हुई घटना का ब्यौरा दिया, जिसमें मदन राठौड़ को राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना की मांगों के आगे झुकना पड़ा.

पार्टी पदाधिकारी ने कहा, “राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष मनोहर सिंह घोड़ीवारा के नेतृत्व में राजपूत समुदाय के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे राठौड़ को बैठक बीच में ही छोड़कर प्रदर्शनकारियों से मिलने जाना पड़ा.”

राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष मनोहर सिंह घोरीवाड़ा ने कहा कि वरिष्ठ राजपूत नेता का अपमान किया गया है. उन्होंने कहा कि पार्टी को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “वे वरिष्ठ नेता हैं और उनके साथ वैसा व्यवहार किया गया जैसा हाजिरी लेते समय बच्चों के साथ किया जाता है. जो राजस्थान को सिखाते हैं, ये उनकी क्लास लेंगे? वे एक सम्मानित नेता हैं, जो कई बार विधायक रह चुके हैं और मंत्री भी रह चुके हैं.”

“हम उनके अपमान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे, जो पूरे राजपूत समुदाय का अपमान है, जब तक अग्रवाल खुले तौर पर माफी नहीं मांगते. बल्कि हम यह भी मांग कर रहे हैं कि उन्हें उनके पद से हटा दिया जाए.”

करणी सेना के नेता ने कहा कि अगर पार्टी उचित कार्रवाई नहीं करती है, तो राजपूत आगामी उपचुनावों में उनका बहिष्कार करेंगे. “हम देख रहे हैं कि राजपूत नेताओं का भाजपा द्वारा नियमित रूप से अपमान किया जा रहा है और उन्हें इसकी कीमत चुकानी होगी. उन्होंने कहा कि अग्रवाल राज्य में जहां भी जाएंगे, हम अपना विरोध जारी रखेंगे.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा कि राठौड़ उनके बड़े भाई और पार्टी के वरिष्ठ नेता होने के साथ-साथ भाजपा परिवार के वरिष्ठ सदस्य भी हैं और “न तो भाजपा ने कभी उनका अपमान किया है और न ही कोई भाजपा कार्यकर्ता उनका अपमान बर्दाश्त कर सकता है.”

श्री राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने कहा कि भाजपा पिछले कुछ समय से राजपूत नेताओं का अपमान कर रही है और उसे अपने तरीके में सुधार करने की जरूरत है.

मकराना ने दिप्रिंट से कहा, “राजपूतों का भाजपा नेताओं द्वारा अपमान किया जा रहा है. पिछले राज्य प्रभारी अरुण सिंह, अग्रवाल की तरह नहीं थे, वे सभी का सम्मान करते थे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर राजनाथ सिंह और अब राठौड़ तक को पार्टी द्वारा अपमानित किया जा रहा है. हमने उन्हें लोकसभा में पहले ही सबक सिखा दिया है और अगर वे कार्रवाई नहीं करते हैं, तो हमें उपचुनावों के दौरान भी ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.” साथ ही उन्होंने कहा कि राजपूत समुदाय पारंपरिक रूप से भाजपा का वफादार रहा है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः SC/ST तक पहुंचने के लिए VHP करेगी धर्म सभा और पद यात्रा, हिंदुओं के ‘जरूरी मुद्दों’ पर करेगी चर्चा 


 

share & View comments