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Friday, 22 November, 2024
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BJP की ‘नबन्नो चलो’ रैली में पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच हुई हिंसक झड़प, दर्जनों घायल

बंगाल सचिवालय तक विरोध मार्च के लिए विशेष ट्रेन से लाए गए बीजेपी के समर्थक उस समय हिंसक हो गए जब उन्होंने राज्य सचिवालय तक जाने वाली सड़कों पर दंगा रोधी पुलिस द्वारा लगाए गए अवरोधक देखे.

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नई दिल्ली: पिछले साल पश्चिम बंगाल चुनावों में हार के बाद से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के खिलाफ अपने सबसे बड़े अभियान में, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राज्य इकाई ने मंगलवार को ‘नबन्नो चलो’ रैली निकाली जिसमें हजारों कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया. इसके कुछ समय बाद रैली ने हिंसक रूप ले लिया.

खासतौर से, हावड़ा जिले में हिंसा खूनी रही जहां बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने पथराव और देशी बम भी फेंके. पुलिस की कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया.

बीजेपी ने लाठीचार्ज में कुछ कार्यकर्ताओं के घायल होने का भी आरोप लगाया है. पुलिस ने संतरागाछी, हावड़ा मैदान, महात्मा गांधी रोड, रवींद्र सरणी में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया.

अन्य कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार हुए राज्य बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ‘नबन्ना चलो’ रैली से डर गई हैं. उन्होंने कहा कि अभी तो सिर्फ 30 फीसदी ही बीजेपी कार्यकर्ता रैली में पहुंच पाए हैं. कुछ को सोमवार को ही हिरासत में ले लिया गया.

कोलकाता पुलिस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी और सांसद लॉकेट चटर्जी को भी हिरासत में लिया था. बीजेपी नेताओं को कोलकाता के हेस्टिंग्स से हिरासत में लिया गया.

पुलिस हिरासत से रिहा होने के बाद बीजेपी के नेती सुवेंदु अधिकारी ने बताया कि हिंसा में कई कार्यकर्ताओं के हाथ-पैर टूट गए, 200 से अधिक कार्यकर्ता घायल हो गए. उन्होंने कहा कि हम इसके खिलाफ लड़ेंगे. बीजेपी प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाएगी और पार्टी के अगले कार्यक्रम का खुलासा करेगी.

वहीं, हिरासत से छूटने के बाद बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि जिस तरह से हमारे कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागकर हमारा लोकतांत्रिक आंदोलन हिंसक हो गया, उसकी मैं निंदा करता हूं. मेरे सिर और हाथ में चोट आई है. हम तब तक आंदोलन जारी रखेंगे जब तक ममता बनर्जी अपनी सीट नहीं छोड़ देतीं.

दरअसल, बंगाल सचिवालय तक विरोध मार्च के लिए विशेष ट्रेन से लाए गए बीजेपी के समर्थक उस समय हिंसक हो गए जब उन्होंने राज्य सचिवालय तक जाने वाली सड़कों पर दंगा रोधी पुलिस द्वारा लगाए गए अवरोधक देखे.

अंडाल से एक विशेष ट्रेन में सवार होकर महानगर आए 34 वर्षीय दिलीप विश्वास ने कहा, ‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि विरोध मार्च इतनी भयंकर लड़ाई में बदल जाएगा … पुलिस बल प्रयोग कर रही थी, जबकि भीड़ में शामिल लोग भी समान रूप से हिंसक थे.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि किसने पुलिस पर पथराव शुरू किया…पुलिस ने पानी की बौछारें शुरू कर दीं, आंसू गैस के गोले दागे और हम पर लाठीचार्ज किया.’

प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर कांच की बोतलें भी फेंकी.

कौशिक घोष ने कहा, ‘मैं यहां सेरामपुर में अपनी दुकान के लिए बिजली का सामान खरीदने आया था, यह जाने बिना कि यहां विरोध इतना हिंसक हो जाएगा … मेरी जेब कट गई है, आंसू गैस के कारण मेरी आंखों में जलन हो रही है और मैं किसी तरह लाठीचार्ज से बचने में कामयाब रहा हूं। मैं इस दिन को भूलकर घर वापस जाना चाहता हूं.’

इस बीच, रैली में शामिल भाजपा के कई नेताओं को पुलिस ने उनके समर्थकों के साथ हिरासत में ले लिया.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार, पार्टी नेता अग्निमित्र पॉल और सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हावड़ा मैदान में तब धरना दिया जब पुलिस ने उन्हें ‘नबन्ना’ (राज्य सचिवालय) की ओर बढ़ने से रोक दिया.

पिछले कुछ दिनों से भाजपा पूरे पश्चिम बंगाल में रैली निकाल रही है और इसने पार्टी कार्यकर्ताओं से तृणमूल कांग्रेस सरकार के कथित भ्रष्टाचार के विरोध में सचिवालय के बाहर एकत्र होने को कहा है.


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‘चोलो नबोनो ने नशे में धुत लोगों को झकझोर दिया’

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ममता बनर्जी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ‘चोलो नबोनो’ ने पश्चिम बंगाल में भ्रष्ट और सत्ता के नशे में धुत लोगों को झकझोर दिया है. बंगाल अपने गौरव को पुनः प्राप्त करने के लिए उठ खड़ा हुआ है. बंगाल अराजकता, भ्रष्टाचार और लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है. किसी भी तरह का बाहुबली और राज्य प्रायोजित हिंसा लोगों की आवाज को दबा नहीं पाएगी.

उधर, कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार को बीजेपी नबन्ना अभिजन पर पश्चिम बंगाल के गृह सचिव से रिपोर्ट तलब की है. जानकारी के मुताबिक रिपोर्ट 19 सितंबर को प्रस्तुत की जाएगी. अदालत ने कोलकत्ता पुलिस को किसी भी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में नहीं लेने और यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि सार्वजनिक संपत्ति को कोई नुकसान न हो.

भाषा के इनपुट के साथ 


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