देहरादून: एक तरफ दिल्ली में कांग्रेस नेतृत्व उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत, जिन्हें रविवार को भारतीय जनता पार्टी से निकाल दिया गया था, की उनकी पुरानी पार्टी में संभावित वापसी पर विचार-विमर्श कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ राज्य में इस मामले पर कांग्रेस पूरी तरह बंटी नजर आ रही है.
हरक सिंह रावत ने 2016 में अपने दलबदल के लिए माफी मांगी है, लेकिन कांग्रेस के चुनाव अभियान प्रमुख और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनके समर्थक उन्हें फिर से पार्टी में शामिल किए जाने के सख्त खिलाफ हैं.
हरीश रावत ने दिप्रिंट से बताया, ‘मेरी उनसे (हरक सिंह से) कोई व्यक्तिगत नाराजगी नहीं है, लेकिन 2016 में उन्होंने अन्य दलबदलुओं के साथ मिलकर जो किया वह कांग्रेस विरोधी, लोकतंत्र विरोधी और देश और राज्य की संसदीय परंपराओं के खिलाफ था.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हरक सिंह और पार्टी के अन्य विधायकों ने न केवल दल बदला बल्कि भाजपा के साथ मिलकर कांग्रेस की सरकार गिराने की कोशिश की. यह उत्तराखंड की जनता के साथ विश्वासघात था. उन्होंने कांग्रेस को धोखा दिया. पार्टी आलाकमान को उनके बारे में कोई भी फैसला लेने से पहले इस बात को ध्यान में रखना होगा.
गौरतलब है कि मार्च 2016 में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने हरक सिंह समेत आठ अन्य विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी थी और भाजपा में शामिल हो गए थे जिससे तत्कालीन हरीश रावत सरकार अल्पमत में आ गई थी. इसके बाद केंद्र की तरफ से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था.
लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद हरीश रावत सदन में बहुमत साबित करने में सफल रहे. लेकिन इस घटनाक्रम की वजह से राज्य में दो महीने से अधिक समय तक राजनीतिक उथल-पुथल मची रही थी.
इस बीच, उत्तराखंड विधानसभा में नेता विपक्ष प्रीतम सिंह सहित राज्य कांग्रेस के नेताओं का एक अन्य समूह ने निष्कासित भाजपा नेता की पार्टी में वापसी का समर्थन किया है.
प्रीतम सिंह ने कहा कि हालांकि इस बारे में कोई अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान ही लेगा. उन्होंने कहा, ‘यह भी सच है कि हरक सिंह रावत ने 2016 में पार्टी छोड़ दी थी, लेकिन उन्होंने इसके लिए माफी भी मांगी है.’
हरक सिंह रावत ने रविवार को अपने निष्कासन के बाद कहा था कि वह अब कांग्रेस में शामिल होंगे.
दिप्रिंट की तरफ से संपर्क किए जाने पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के राज्य प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा, ‘हरक सिंह रावत ने हमसे संपर्क किया है और पार्टी में उनकी वापसी के मुद्दे पर एआईसीसी नेतृत्व के साथ बातचीत जारी है. हालांकि, हरीश रावत इस विचार के खिलाफ हैं. लेकिन हम अगले 24 घंटों में यह मुद्दा सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. वह पहले भी पार्टी के साथ रहे हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम चाहे जो कुछ कहें. अंतिम निर्णय तो कांग्रेस अध्यक्ष पर निर्भर करता है.’
पार्टी सूत्रों ने कहना है कि अगर हरक सिंह को कांग्रेस में वापस ले भी लिया जाता है तो भी उन्हें 14 फरवरी को होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में लड़ने का मौका नहीं मिलेगा.
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‘अवसरवादी, आदतन दलबदलू’
केदारनाथ से कांग्रेस के विधायक मनोज रावत ने हरीश रावत की राय से सहमति जताते हुए आरोप लगाया कि हरक सिंह रावत और आठ अन्य कांग्रेस विधायकों ने 2016 में भाजपा के साथ मिलकर साजिश रची थी.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘हरक सिंह रावत अन्य पार्टी विधायकों के साथ मिलकर राज्य में लोकतंत्र की हत्या के लिए भाजपा में शामिल हो गए थे. यहां तक कि देश के सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र की तरफ से लागू राष्ट्रपति शासन के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई के दौरान इसे स्वीकार किया और उन्हें लोकतंत्र का दुश्मन बताया. आम कांग्रेस कार्यकर्ता 2016 में उनके रवैये से आहत हुए थे और वह इसे भूले नहीं हैं.’
मनोज रावत ने यह आरोप भी लगाया कि हरक सिंह ‘एक आदतन दलबदलू’ नेता हैं.
उन्होंने आगे कहा, ‘उनकी किसी संगठन के प्रति कोई निष्ठा नहीं है, बल्कि सिर्फ अपने और अपने परिवार के बारे में सोचते हैं. वह उत्तराखंड के लोगों की भलाई के बारे में कोई खास परवाह नहीं करते हैं और हमेशा उनकी आकांक्षाओं के साथ खिलवाड़ करते रहे हैं.’
पिरान कलियार का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अन्य कांग्रेस विधायक फुरकान अहमद ने कहा कि हरक सिंह हमेशा एक ‘अवसरवादी’ नेता रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने अक्सर अपनी निष्ठा को अपने हितों को ध्यान में रखकर बदला है. वह उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने कांग्रेस को धोखा दिया. हम हरीश रावत की इस राय से पूरी तरह सहमत हैं कि पार्टी नेतृत्व को उनके बारे में कोई निर्णय लेने से पहले यह जरूर देखना चाहिए कि हरक सिंह और अन्य ने 2016 में पार्टी के साथ क्या किया था. पार्टी ने उन्हें सब कुछ दिया था, इसके बावजूद उन्होंने हमारी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए भाजपा के साथ साजिश रची.’
प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के उपाध्यक्ष पृथ्वीपाल चौहान ने भी कुछ इसी तरह की राय जताई. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस कार्यकर्ता संगठन में हरक सिंह रावत के स्वागत को तैयार नहीं हैं. उनके प्रति कार्यकर्ताओं के मन में भारी रोष है. वह पार्टी के लिए उपयोगी नहीं हो सकते.’
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा पार्टी को आगामी चुनावों के लिए टिकट बांटने के दौरान उन्हें समायोजित करना मुश्किल होगा. उन्हें टिकट देने के लिए हमारे अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.’
वहीं, प्रीतम सिंह ने कहा कि हरक सिंह रावत ने ‘2016 में पार्टी छोड़ दी थी’ लेकिन उन्होंने ‘इसके लिए माफी भी मांगी’ है.
उन्होंने कहा, ‘यही नहीं मतदाताओं के बीच उनका एक व्यापक आधार और मजबूत राजनीतिक स्थिति है. उनकी कांग्रेस में वापसी को लेकर पार्टी नेतृत्व के साथ बातचीत जारी है. अंतिम निर्णय तो केंद्रीय नेतृत्व को ही करना है.’
पार्टी टिकट की इच्छा से ऊपर उठ चुका हूं : हरक सिंह
हरक सिंह ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से माफी मांगते हुए कहा कि उन्हें माफी मांगने में कोई दिक्कत नहीं है, भले ही थोड़ी ‘गलती उनकी भी’ क्यों न रही हो.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘हरीश रावत मेरे लिए एक बड़े भाई की तरह हैं. हालांकि. 2016 में जो हुआ उसके लिए मैं अकेला जिम्मेदार नहीं था. वह भी इसके लिए जिम्मेदार थे. लेकिन हरीश रावत को अगर यह लगता है कि गलती केवल मेरी थी, तो मैं हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं.’
यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव का टिकट न मिलने की स्थिति में भी वह कांग्रेस में शामिल होने को तैयार हैं, हरक सिंह ने कहा, ‘मैं पार्टी का टिकट पाने की इच्छा से ऊपर उठ चुका हूं. मैं अपनी सारी इच्छाएं-आकांक्षाएं दरकिनार करके कांग्रेस के लिए काम करने को तैयार हूं. अपनी मूल पार्टी में फिर से शामिल होने की मेरी कोई शर्त नहीं होगी. 2016 में भाजपा में शामिल होना वास्तव में एक बड़ी भूल थी.’
हरक सिंह ने उत्तराखंड में जितने भी चुनाव लड़े, किसी में हार का सामना नहीं किया है.
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