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Thursday, 21 November, 2024
होमदेश‘दोस्ती, बगावत और आरोप’, कुशवाहा ने बुलाई JDU की मीटिंग तो नीतीश बोले- 'दूसरे की भाषा बोल रहे हैं'

‘दोस्ती, बगावत और आरोप’, कुशवाहा ने बुलाई JDU की मीटिंग तो नीतीश बोले- ‘दूसरे की भाषा बोल रहे हैं’

उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर हैं. कुछ दिन पहले उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था वो पार्टी छोड़ने वाले नेता नहीं है. उन्होंने कहा था, ‘पार्टी के लिए खून पसीना बहाया है, अपना हिस्सा नहीं छोडूंगा.'

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नई दिल्ली: जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच तकरार कम होने का नाम नहीं ले रही है. उपेंद्र कुशवाहा पहले ही नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोलें हुए हैं और अब उन्होंने जदयू की बैठक बुलाने के लिए पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एक पत्र लिखा है. उपेंद्र कुशवाहा ने पत्र में लिखा कि यह लड़ाई जदयू को बचाने की अंतिम कोशिश है.

उन्होंने कहा, ‘जदयू लगातार कमजोर होती जा रही है और मैं विधानसभा उपचुनाव में पार्टी की हार के बाद से ही नीतीश कुमार जी को इससे अवगत करवाता रहा हूं लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया.’

कुशवाहा ने बैठक की तारीख 19 और 20 फरवरी को रखी है. उन्होंने बैठक में जदयू के कार्यकर्ताओं के साथ साथ रालोसपा के पूर्व नेताओं और महात्मा फूले समता परिषद् के नेताओं को भी आमंत्रित किया है.

भाजपा में नहीं जाऊंगा

बीते कई दिनों से उपेंद्र कुशवाहा के भाजपा में जाने की अटकले भी लगाई जा रही थी लेकिन कुशवाहा ने अभी इन अटकलों पर विराम लगा दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं पार्टी बचाने के लिए काफी समय से काम कर रहा हूं. हमारी चिंता का विषय यह है कि पार्टी बचेगी कैसे? इस जन्म में बीजेपी में शामिल नहीं हो सकता.’

उन्होंने आगे कहा, ‘अब मैंने सोचा है कि मैं पार्टी के कार्यकर्ताओं से बातचीत करूंगा.’ उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि यह पार्टी पर है कि वो मुझपर कार्यवाई करे या न करे.

क्या टूट जाएगी जदयू

उपेंद्र कुशवाहा जदयू की बैठक बुलाकर काफी हद तक अपना शक्ति प्रदर्शन करना चाहते हैं. इसके लिए कुशवाहा ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपनी ओर करना शुरू भी कर दिया है. नाम न छापने की शर्त पर जदयू से जुड़े एक नेता ने कहा, ‘पार्टी के अधिकतर नेता और कार्यकर्ता नीतीश कुमार के साथ हैं. पार्टी अभी सत्ता में है ऐसे में कोई भी पार्टी छोड़कर नहीं जाना चाहेगा.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इन सभी घटनाक्रम में कुशवाहा के हित अधिक जुड़े हैं.’

बिहार विधानसभा चुनाव के बाद जब उपेंद्र कुशवाहा जदयू में शामिल हुए तो उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा. बाद में जदयू ने बीजेपी से नाता तोड़ कर राजद से मिलकर सरकार बनाई लेकिन उपेंद्र कुशवाहा को उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया गया जिसके बाद से ही कुशवाहा नीतीश कुमार से नाराज हैं.


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कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं कुशवाहा

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने पलटवार करते हुए उपेद्र कुशवाहा पर पार्टी को कमजोर करने का आरोप लगाया. उमेश सिंह कुशवाहा ने ट्वीट किया, ‘जो स्वयं जदयू को कमजोर करने की ‘डील’ में जुटे हैं, वही पार्टी को ‘बचाने’ की बात कर रहे हैं. जिन्हें जदयू का अस्तित्व खतरे में दिख रहा है, वे शायद यह भूल रहे हैं कि यह पार्टी श्री नीतीश कुमार जी के संघर्ष से उपजी है. किसी अवसरवादी की मजाल नहीं कि इसकी नींव की एक ईंट भी हिला दें.’

वहीं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने ट्वीट किया, ‘कहीं पर निगाहें, कहीं पर निशाना. जदयू के समर्पित एवं निष्ठावान कार्यकर्ता साथियों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास है. ‘ना कोई डील है और ना ही विलय की बात’ – यह सिर्फ एक मनगढ़ंत कहानी है.

वहीं उपेंद्र कुशवाहा मामले पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जिसको जहां जाना है जाएं.

उन्होंने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा पता नहीं किसकी भाषा बोल रहे हैं. मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘जब वह पार्टी में आए तो सबने उनकी इज्जत की. मैं खुद उनकी बहुत इज्जत करता हूं. लेकिन पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि वो किसी और की भाषा बोल रहे हैं.’

राजद के साथ डील का आरोप

बीजेपी के साथ रिश्ते खत्म करने और राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने को लेकर उपेंद्र कुशवाहा काफी समय से नाखुश दिख रहे थे. पार्टी नेताओं को लिखे पत्र में उन्होंने राजद के साथ हुई खास ‘डील’ पर चर्चा करने की बात कही है.

इससे पहले भी प्रेस कांफ्रेंस कर कुशवाहा ने कहा था कि नीतीश कुमार बताए की राजद के साथ क्या डील हुई है.

जदयू और राजद के बीच डील पर राजद नेता भाई वीरेंद्र ने कहा था, ‘राजद जदयू के बीच डील नहीं अमित शाह और उपेंद्र कुशवाहा के बीच डील हुई है. इसी वजह से वह इस तरह की भाषा बोल रहे हैं. वो खुद पार्टी छोड़ने वाले हैं.’

हालांकि हाल ही में प्रेस कांफ्रेंस कर उपेद्र कुशवाहा ने कहा था कि वो पार्टी नहीं छोड़ने वाले हैं. उन्होंने कहा था,  ‘मुख्यमंत्री के कहने पर भी मैं जदयू नहीं छोडूंगा. हम आए-गए नेता नहीं हैं. जेडीयू को बचाने की लड़ाई लड़ेंगे. मुख्यमंत्री के मंत्रिमंडल में ही कई ऐसे नेता हैं, जो दूसरी पार्टी से जदयू में शामिल हुए हैं. उनमें से कुछ लोगों ने कई बार पार्टी भी बदली है. मैं पार्टी क्यों छोडूंगा.‘

उसी प्रेस कांफ्रेंस में उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी को कमजोर करने के लिए नीतीश कुमार पर आरोप लगाया था.

दोस्ती- बगावत और दोस्ती

उपेंद्र कुशवाहा का नीतीश कुमार के साथ दोस्ती और बगावत का पुराना इतिहास रहा है.

2004 में चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश ने कई सीनियर नेताओं को पीछे छोड़ते हुए नेता प्रतिपक्ष बनाया था. साल 2013 में नीतीश के साथ अनबन होने के बाद उन्होंने अपनी अलग पार्टी रालोसपा बनाई और 2014 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा. लेकिन बाद में बीजेपी के साथ भी कुशवाहा की नहीं बनी तो 2017 में वह बीजेपी से अलग हो गए. 2019 का लोकसभा चुनाव उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी महागठबंधन के साथ मिलकर चली गई और बिहार की 5 लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ी और पांचों सीट हार गई.

खुद कुशवाहा काराकाट और उजियारपुर लोकसभा सीट से चुनाव हार गए. 2020 का विधानसभा चुनाव कुशवाहा ने मायावती की पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के साथ मिलकर लड़ा लेकिन कुशवाहा की पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के बाद वो दोबारा जदयू के साथ आए और मार्च 2021 में अपनी पार्टी का विलय जदयू में कर दिया.

इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा उन्हें जदयू के संसदीय बोर्ड का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था. जदयू में कुशवाहा द्वारा अपनी पार्टी के विलय करने पर नीतीश कुमार ने उनकी जमकर तारीफ भी की थी. नीतीश कुमार ने कहा था, ‘उपेंद्र कुशवाहा के साथ बड़ी संख्या में लोग हैं. हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि अब हम मिलकर काम करेंगे.’


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