नई दिल्ली: पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे और कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित का कहना है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के खिलाफ तेज़ राजनीतिक हवाएं चल रही हैं और लोग अब “शीला जी वाली दिल्ली” को याद कर रहे हैं.
दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में संदीप दीक्षित ने दावा किया कि अगर आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस फिर से सत्ता में आती है, तो सभी को दिल्ली के सुनहरे दिन फिर से देखने को मिलेंगे.
संदीप दीक्षित नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस सीट पर पश्चिमी दिल्ली से अपने पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारा है.
केजरीवाल 2013 के विधानसभा चुनावों से नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र पर काबिज हैं, जब कांग्रेस ने दिल्ली की 70 में से केवल 8 सीटें जीती थीं.
इससे पहले शीला दीक्षित ने परिसीमन से पहले 1998 और 2008 और 2013 में कुल तीन बार यह सीट जीती थी. परिसीमन से पहले इसे गोल मार्केट निर्वाचन क्षेत्र के रूप में जाना जाता था.
सरोजिनी नगर मार्केट और वेस्ट किदवई नगर, जहां बुधवार को संदीप दीक्षित ने डोर-टू-डोर अभियान चलाया, दोनों ही इस निर्वाचन क्षेत्र में आते हैं.
दिल्ली के सरोजिनी नगर मार्केट में लोगों ने उन्हें अपनी दुकानों में आमंत्रित किया, न केवल उनका स्वागत करने के लिए बल्कि उन्हें सड़कों और नालियों की स्थिति दिखाने के लिए, जहां हर जगह कूड़ा बिखरा हुआ था. परशु राम ने संदीप दीक्षित से कहा, “आकर एक बार देख लीजिए. जितना काम शीला जी कर गईं, उसके बाद कुछ नहीं हुआ.”
45-वर्षीय परशु राम की मार्केट में एक छोटी सी क्रॉकरी की दुकान है.
थोड़ा आगे, चार दुकानदारों ने मार्केट में सुविधाओं की कमी के बारे में शिकायत की. उनमें से एक ने कहा, “दिल्ली को सिर्फ संवारने की ज़रूरत है, बनाने से ज़्यादा.”
संदीप दीक्षित से बात करते हुए उन्होंने कहा कि शीला दीक्षित ने न केवल विकास पर ध्यान दिया, बल्कि इसकी स्थिरता पर भी ध्यान दिया. नाम न बताने की शर्त पर दुकानदार ने कहा, “वह छोटे व्यापारियों, जिनमें दुकानदार, फल वाले आदि शामिल हैं, के बारे में चिंतित थीं और उन्होंने हमें वोट बैंक के रूप में नहीं देखा.”
मिट्टी के बर्तन बेचने वाली 50-वर्षीय लीला ने संदीप दीक्षित से कहा, “जब शीला जी मुख्यमंत्री थीं, तो वे हमारी शिकायतें सुनती थीं. छोटे दुकानदारों की भी शिकायतें सुनी जाती थीं. उस समय हमारे बच्चों को काम मिल रहा था.”
इस क्षेत्र के बारे में दिप्रिंट से बात करते हुए, संदीप दीक्षित ने कहा कि बाज़ार “आज घुट रहा है”.
उन्होंने कहा, “हर तरफ निर्माण कार्य चल रहा है. दुकानदार ट्रैफिक जाम, कनेक्टिविटी की कमी और निर्माण कार्य से धूल से भी परेशान हैं. केजरीवाल के पास इसकी जांच करने का समय नहीं है.”
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‘लोग केजरीवाल को सबक सिखाएंगे’
60-वर्षीय संदीप दीक्षित ने दावा किया कि ग्राउंड पर लोगों की भावनाएं यह दर्शाती हैं कि दिल्ली के लोगों ने केजरीवाल को हराने का फैसला कर लिया है. संदीप दीक्षित ने कहा कि लोगों को लगता है कि केजरीवाल ने उन्हें वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया है. उन्होंने बहुत सारे वादे किए लेकिन कुछ काम नहीं किया.
उन्होंने केजरीवाल पर लगातार केंद्र सरकार के साथ मतभेद रखने का आरोप लगाया, जिसके कारण दिल्ली के विकास कार्यों की फाइलें दोनों सरकारों के बीच अटकी हुई हैं. इसके विपरीत, उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि (पूर्व प्रधानमंत्री) अटल जी के दौर में भी शीला जी की फाइलें पास होती थीं.”
उन्होंने एक घटना को याद किया, जब पूर्व प्रधानमंत्री का शीला दीक्षित से तब विवाद हो गया था, जब वे उनसे मिलने उनके कार्यालय गई थीं. उन्होंने कहा, “उनके अधीनस्थों ने मान लिया था कि फाइलें अटकी रहेंगी, लेकिन जाने से पहले शीला जी ने कहा, ‘अटल जी, आज चाय भी नहीं पिलाएंगे क्या’ और अचानक अटल जी मुस्कुराने लगे. बाद में उन्होंने शीला दीक्षित द्वारा लाई गई सभी फाइलों पर हस्ताक्षर कर दिए. इसलिए, वे अपना काम करवाने के लिए हथकंडे जानती थीं.”
उन्होंने कहा, “अगर कोई फाइल अटकी हुई थी, तो उन्होंने (शीला दीक्षित) प्रधानमंत्री या एलजी (लेफ्टिनेंट गवर्नर) के खिलाफ कोई धरना प्रदर्शन या मीडिया में बयान जारी नहीं किया.”
वेस्ट किदवई नगर में, जहां मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा सरकारी कर्मचारी हैं, संदीप दीक्षित ने अपने दल के कई कार्यकर्ताओं को दूर भेज दिया और उन्हें एक बार से ज़्यादा घंटी न बजाने की सलाह दी.
एक दरवाज़े के बाहर इंतज़ार करते हुए उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “सरकारी कर्मचारियों को बहुत ज़्यादा भीड़ और बैंड-बाजा पसंद नहीं है. इसलिए मैं यहां प्रचार को थोड़ा कम रख रहा हूं.”
जब दरवाज़ा खुला, तो उन्होंने खुद को कांग्रेस उम्मीदवार बताते हुए एक निवासी (आईएफएस अधिकारी) से मिलवाया. “मैं संदीप दीक्षित हूं, कांग्रेस उम्मीदवार, मैं नई दिल्ली से चुनाव लड़ रहा हूं. आपको परेशान करने के लिए माफी चाहता हूं.”
अधिकारी ने कहा कि वे शीला दीक्षित के काफी प्रशंसक हैं और कहा, “हमने आज आपको अखबार में देखा.” उसी गली में कुछ युवा संदीप दीक्षित को देख रहे थे, लेकिन उन्हें पहचान नहीं पाए और बोले, “राहुल गांधी वाले आए हैं वोट मांगने.”
2004 से राजनीति में सक्रिय
अभियान के हिस्से के रूप में संदीप दीक्षित ने अपने बायोडेटा के साथ एक पैम्फलेट दिया, जिसमें उनकी शिक्षा और शोध कार्य और उनकी और उनकी मां की एक तस्वीर शामिल थी. उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास में मास्टर डिग्री और ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आणंद (IRMA) से ग्रामीण प्रबंधन में पोस्ट-ग्रेजुएट डिप्लोमा किया है.
पर्चे में उनके काम के बारे में भी बताया गया है. उन्होंने 2004 में राजनीति में प्रवेश किया और तब से, कांग्रेस के सक्रिय सदस्य रहे हैं. वे 2004 से 2014 के बीच पूर्वी दिल्ली से सांसद थे.
जब उनसे पूछा गया कि वे उस दिन अपने अभियान में कांग्रेस की गारंटी के बारे में ज़्यादा बात क्यों नहीं कर रहे थे, तो संदीप दीक्षित ने कहा, “जहां भी ज़रूरत होती है, मैं करता हूं, लेकिन वर्तमान में, हम सरकारी कर्मचारियों के बीच प्रचार कर रहे हैं. वे विकास कार्यों और उम्मीदवार के विज़न को सुनना चाहते हैं. वे मुफ्त चीज़ों पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते हैं.”
कुल मिलाकर, कांग्रेस ने पांच गारंटियों की घोषणा की है जिसमें 300 यूनिट मुफ्त बिजली, सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर, शिक्षित बेरोज़गार युवाओं और महिलाओं के लिए मासिक वजीफा और स्वास्थ्य बीमा शामिल हैं. “हर क्षेत्र की भावना अलग होती है. अगर मैं महिलाओं की किसी सभा में जाता, तो मैं महिलाओं के लिए हमारे गारंटी कार्यक्रम के बारे में बात करता.”
‘AAP को बेनकाब करने की ज़रूरत’
दिल्ली में सत्तारूढ़ पार्टी के पिछले कामों की आलोचना करते हुए दीक्षित ने कहा, “AAP को बेनकाब करना ज़रूरी है.”
उन्होंने पार्टी के इस दावे को खारिज कर दिया कि उसने “12वीं पास प्रतिशत में क्रांतिकारी काम” किया है.
जब दिल्ली में शीला दीक्षित की सरकार हारी थी, तब दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 16.40 लाख छात्र थे. आज 17 से 18 लाख बच्चे हैं. उन्होंने कहा कि अगर नामांकन सरकार द्वारा बताई गई गति से बढ़ा होता, तो आज 22 से 23 लाख बच्चे होते — यानी हमारे सरकारी स्कूलों में 4-5 लाख छात्र कम हैं.
उन्होंने कहा, “शीला दीक्षित के कार्यकाल में प्रगति की गति केजरीवाल सरकार के तहत किए गए कामों से कहीं ज्यादा तेज़ थी.”
संदीप दीक्षित ने AAP के प्रचार पोस्टरों पर भी कटाक्ष किया, जहां उन्होंने कहा कि शीला दीक्षित की तस्वीर गायब थी. “हर स्कूल, कॉलेज और अस्पताल उनकी गवाही देते हैं. उनकी विरासत को फोटो की ज़रूरत नहीं है. वे मार्केटिंग में बहुत ज्यादा विश्वास नहीं रखती थीं.”
जब उनसे पूछा गया कि पार्टी ने उन्हें केजरीवाल के खिलाफ क्यों चुना, तो उन्होंने कहा, “मैं शुरू से ही केजरीवाल के खिलाफ मुखर रहा हूं. मैं सच बोलने में कभी नहीं हिचकिचाता. इसलिए, शायद पार्टी को इसका एहसास हुआ और उसने मुझे उनके खिलाफ टिकट देने का फैसला किया.”
उन्होंने यह भी कहा, “केजरीवाल ने मेरी मां पर जो हमला किया, वह राजनीतिक से कहीं ज्यादा था. उन्होंने व्यक्तिगत आरोप लगाए, लेकिन 11 साल में उन्हें साबित नहीं कर पाए.”
केजरीवाल ने शीला दीक्षित पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था.
संदीप दीक्षित ने कहा, “अब जनता उन्हें सत्ता से हटाना चाहती है. दिल्ली वाले शीला जी वाली दिल्ली चाहते हैं.”
दिल्ली विधानसभा चुनाव 5 फरवरी को होने हैं और नतीजे 8 फरवरी को आएंगे.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
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