मुंबई: शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के हाल ही में अपने ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं से जुड़ने के लिए एक आउटरीच प्रोग्राम शुरू करने के बाद उनके प्रतिद्वंद्वी एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने भी महाराष्ट्र में खुद को ‘शिवसेना’ के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से उसी तर्ज पर एक ‘शिवधनुष्य यात्रा’ अभियान शुरू करने का ऐलान किया है.
अभियान के हिस्से के रूप में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पूरे महाराष्ट्र राज्य का दौरा करेंगे. मगर उससे पहले वह अपने वफादार सांसदों और विधायकों के साथ उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थल अयोध्या होकर आएंगे.
शिंदे समूह को दो सप्ताह पहले ‘शिवसेना’ नाम और पार्टी का पारंपरिक धनुष-बाण चिन्ह आवंटित करने के चुनाव आयोग (ईसी) के आदेश के बाद दोनों गुटों के प्रचार अभियान शुरू हो गए हैं.
शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘‘हम चाहते हैं कि चुनाव आयोग के आदेश के बाद अब महाराष्ट्र में हर कोई सीएम शिंदे को शिवसेना के ‘धनुष और तीर’ के प्रतीक के साथ जोड़कर देखे. धनुष और तीर की प्रतिकृति के साथ हमारी राज्य का दौरा करने की योजना है.’’
ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के खिलाफ बगावत करने और पिछले साल शिंदे गुट में शामिल होने वाले 13 शिवसेना सांसदों में से एक शिवसेना सांसद राहुल शेवाले ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी अभी अभियान की तारीख और अन्य विवरणों को अंतिम रूप देने में लगी हुई है.
दूसरी ओर शिवसेना (यूबीटी) ने अपने आउटरीच अभियान को ‘शिवगर्जना यात्रा’ के रूप में ब्रांडेड किया है. इस अभियान के अंतर्गत महाराष्ट्र के 36 जिलों में से प्रत्येक में 5 या 6 पार्टी पदाधिकारियों के समूह दौरा कर रहे हैं. अभियान का उद्देश्य पार्टी का नाम और प्रतीक खोने के बाद ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को आश्वस्त करना है और यह पता लगाना है कि कौन से स्थानीय नेता अभी भी ठाकरे के प्रति वफादार हैं.
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अयोध्या और धनुष-बाण यात्रा
उक्त शिंदे गुट के पदाधिकारी के अनुसार, 25 मार्च को विधायिका का बजट सत्र समाप्त होने के बाद सीएम शिंदे के अयोध्या दौरे का कार्यक्रम तय किए जाने की संभावना है.
उन्होंने कहा, ‘‘सीएम पार्टी के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों, सांसदों और विधायकों के साथ अयोध्या जाएंगे. वह वहां एक मंदिर के महंत से धनुष और बाण स्वीकार करेंगे. सीएम धनुष और तीर को महाराष्ट्र वापस लाएंगे और फिर इसे शिवधनुष यात्रा के हिस्से के रूप में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में ले जाया जाएगा.’’
पिछले साल शिंदे ने महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को गिराकर शिवसेना के अधिकांश विधायकों की बगावत का नेतृत्व किया और शिवसेना के विभाजन का कारण बने थे.
एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस शामिल थीं.
इसके बाद शिंदे ने खुद को मुख्यमंत्री के रूप में राज्य में सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिला लिया.
शिंदे ने बाद में पार्टी के आधिकारिक नाम, शिव सेना और उसके प्रतीक पर दावा करने के लिए चुनाव आयोग से संपर्क किया था.
(अनुवाद : संघप्रिया | संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
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